नई शिक्षा नीति बनाने के लिए 13 थीमों पर हुए मंथन में सभी एकमत
बच्चों को फेल न करने वाली शिक्षा नीति का विरोध
नई शिक्षा नीति में हर धर्म के विचारों को जोड़ेंगे : खट्टर
हर्ष कुमार सलारिया
चंडीगढ़। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत यूपीए सरकार की ओर से पहली से आठवीं कक्षा तक किसी बच्चे को फेल नहीं करने की नीति को शिक्षाविदों ने सिरे से नकार दिया है। शिक्षाविदों ने परीक्षा परिणाम में ग्रेडिंग सिस्टम को भी गलत ठहराया है। पंचकूला के सेक्टर-14 स्थित पंचायत भवन में शुक्रवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर से नई शिक्षा नीति पर विचार के लिए आयोजित की गई राज्यस्तरीय संगोष्ठी में शामिल सभी शिक्षाविदों, गैर सरकारी संगठनों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि फेल नहीं किए जाने की नीति के कारण बच्चे पढ़ाई से विमुख हो रहे हैं और उनमें कुछ सीखने की भावना भी खत्म हो रही है। इसके साथ ही बच्चों को पढ़ाने वाले अध्यापक भी लापरवाह होते जा रहे हैं।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर आयोजित इस संगोष्ठी में नई शिक्षा नीति पर विचार के लिए 13 थीम पर विचार-विमर्श करने के बाद जो नतीजे सामने आए, उन्हें संगोष्ठी के समापन पर उपस्थित मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सौंपा गया।
राज्य सरकार इस निष्कर्ष को केंद्र सरकार को भेजेगी। संगोष्ठी के दौरान जिन 13 थीम पर विचार-विमर्श हुआ, उनके तहत एलीमेंटरी शिक्षा में सीखने के परिणाम सुनिश्चित करने, सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी शिक्षा में विस्तार, वोकेशनल शिक्षा को मजबूत बनाने, स्कूल एग्जामिनेशन सिस्टम में सुधार करने, अच्छे टीचर तैयार करने के लिए अध्यापक शिक्षा में सुधार करने सहित महिला, आरक्षित वर्ग, तकनीकी एवं वैज्ञानिक शिक्षा के विषय प्रमुख रहे। विभिन्न थीमों पर मंथन के बाद यह निष्कर्ष निकला कि प्रदेश के स्कूलों में अध्यापकों की कमी, उनसे अध्यापन से इतर काम लिया जाना, निजी स्कूलों की भांति सरकारी स्कूलों में प्री नर्सरी व नर्सरी कक्षाओं का प्रावधान नहीं होना और विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावकों का भी शिक्षा के प्रति रुचि नहीं दिखाना गंभीर मुद्दे हैं।
विज्ञापन के युग में निजी स्कूल आगे : शिक्षा मंत्री
•चंडीगढ़(ब्यूरो)। हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा है कि आज भी सरकारी स्कूलों में अच्छे अध्यापक हैं और स्कूलों में अच्छे परिणाम आते हैं, लेकिन विज्ञापन के इस युग में निजी स्कूल सरकारी स्कूलों से बेहतर न होते हुए भी आगे हैं। शिक्षा मंत्री शुक्रवार को पंचकूला के सेक्टर-14 स्थित किसान भवन में नई शिक्षा नीति पर मंथन के लिए आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी का शुभारंभ कर रहे थे। इस संगोष्ठी का आयोजन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा किया गया था।
चंडीगढ़(ब्यूरो)। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शिक्षा के साथ संस्कारों को जोड़ने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि नई शिक्षा नीति में गीता सहित सभी धर्मों के विचारों को समाहित किया जाएगा। शुक्रवार को पंचकूला के सेक्टर-14 स्थित किसान भवन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित नई शिक्षा नीति राज्य स्तरीय परामर्श संगोष्ठी के समापन अवसर पर उपस्थित शिक्षाविदों, गैर सरकारी संगठनों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने संस्कारी शिक्षा नीति बनाने की पहल की है, जिस पर सबकी संतुष्टि है।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कारों में कर्तव्य, निष्ठा, समर्पित और त्याग की भावना होती है जबकि पाश्चात्य संस्कृति में अधिकार प्रधान संस्कार होते हैं। उन्होंने कहा कि कर्म के सिद्धांत को महत्ता दी गई है, गीता में भी इसका वर्णन किया गया है, कर्म करते जाएं, फल की इच्छा न करें। उन्होंने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया: अर्थात दूसरों की भलाई करना भारतीय संस्कृति का आरंभ से मूलमंत्र रहा है।
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