ट्रिब्यून न्यूज सर्विस डेंगू ने पानीपत के 2 लोगों की जान ले ली है। पानीपत की खादी कॉलोनी के रहने वाले सुनील (35) ने बुधवार को रोहतक में दम तोड़ा। इससे पहले मंगलवार रात मोहित (15) की करनाल में मौत हुई। दोनों मामलों में निजी अस्पतालों ने डेंगू की
पुष्टि की थी।डेंगू से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने डॉक्टरों और पैरा-मेडिकल स्टाफ की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। छुट्टी पर गये डॉक्टरों को वापस बुलाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अस्पतालों में डेंगू के मरीजों के लिए अलग वार्ड बना दिए गये हैं। मेवात सहित सभी जिलों में रैपिड रिस्पाॅन्स टीमों का गठन किया गया है। बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरआर जोवल से रिपोर्ट मांगी।
विज ने बताया कि निजी अस्पतालों को निर्देश दिए गये हैं कि वे उनके पास आने वाले डेंगू के मरीजों की पूरी जानकारी सरकार को दें। सिविल सर्जनस को निर्देश दिए गये हैं कि वे घर-घर सर्वे कराएं।
आचार संहिता में फंसी फॉगिंग, ग्रामीणों से मांगे पैसे
सोनीपत (हप्र) : स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि प्रदेश के सभी गली-कूचों में फॉगिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। लेकिन सोनीपत के गांव शहजानपुर में फॉगिंग के लिए ग्रामीणों से रुपये मांगे जा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग के कर्मचारी फॉगिंग मशीन में पेट्रोल-डीजल डालने के लिए रुपये मांग रहे हैं। वहीं, सिविल सर्जन डाॅ. जेएस पूनिया का कहना है कि नियमों के अनुसार फॉगिंग करवाने के लिए पेट्रोल-डीजल का खर्च सरपंच उठाता है। पर आचार संहिता के कारण सरंपच खर्च नहीं दे रहे। इसलिए विभाग ने पेट्रोल-डीजल का इंतजाम खुद करने को कहा है।
सोनीपत (हप्र) : स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि प्रदेश के सभी गली-कूचों में फॉगिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। लेकिन सोनीपत के गांव शहजानपुर में फॉगिंग के लिए ग्रामीणों से रुपये मांगे जा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग के कर्मचारी फॉगिंग मशीन में पेट्रोल-डीजल डालने के लिए रुपये मांग रहे हैं। वहीं, सिविल सर्जन डाॅ. जेएस पूनिया का कहना है कि नियमों के अनुसार फॉगिंग करवाने के लिए पेट्रोल-डीजल का खर्च सरपंच उठाता है। पर आचार संहिता के कारण सरंपच खर्च नहीं दे रहे। इसलिए विभाग ने पेट्रोल-डीजल का इंतजाम खुद करने को कहा है।
वायरस कम घातक : आईएमए
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने कहा है कि डेंगू वायरस का मौजूदा सीरम प्रारूप 2013 की तुलना में कम घातक है। आईएमए के महासचिव केके अग्रवाल ने कहा है कि डेंगू के केवल गंभीर मामलों में मरीज को भर्ती कराने की जरूरत होती है। ज्यादातर मामलों में इलाज ओपीडी के जरिये हो सकता है।
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