राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए हरियाणा सरकार को करीब सात हजार ग्रामीण चौकीदारों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने के निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने अब
से पहले कभी इस तरह के निर्देश केंद्र अथवा किसी राज्य सरकार को जारी नहीं किए हैं। चौकीदारों ने दलील दी थी कि वह दलित और पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। उच्च वर्ग के लोग कभी चौकीदारी नहीं करते। इसलिए उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य एवं पूर्व राज्यसभा सांसद चौ. ईश्वर सिंह के पास जब 60 साल की आयु पूरी कर चुके करीब दो हजार ग्रामीण चौकीदारों को पिछले ढाई साल से मानदेय नहीं मिलने का केस पहुंचा तो उन्होंने मुख्य सचिव डीएस ढेसी को तलब कर लिया। राज्य में करीब सात हजार ग्रामीण चौकीदार हैं। उन्हें 3500 रुपये मासिक मानदेय मिलता है। किसी भी चौकीदार को पेंशन बंटाई मुनादी भत्ते की 100 रुपये मासिक की राशि भी नहीं मिल रही।
पिछली कांग्रेस सरकार ने पंजाब चौकीदार एक्ट तोड़कर हरियाणा ग्रामीण चौकीदार अधिनियम 2011 लागू किया था, जिसके तहत प्रावधान किया गया कि चौकीदारों की नियुक्तियां पांच साल के लिए होंगी। 60 साल से ऊपर के चौकीदार की सेवाएं खत्म करने का प्रावधान भी इस अधिनियम में किया गया, जिसके तहत पिछले ढ़ाई साल से 60 साल की उम्र पूरी कर चुके 2 हजार ग्रामीण चौकीदारों का मानदेय रोक दिया गया है।
हरियाणा ग्रामीण चौकीदार सभा के पदाधिकारी कैथल निवासी जगदीश समेत कई चौकीदार राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में अपना केस लेकर गए। आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह ने सरकार का पक्ष जानने के लिए कैथल, जींद और सिरसा के डीसी तथा मुख्य सचिव डीएस ढेसी को दिल्ली तलब कर लिया। मुख्य सचिव ने आयोग को बताया कि 60 साल उम्र पूरी कर चुके चौकीदारों को वेतन देने का प्रावधान नहीं है, जिस पर चौकीदारों ने दलील दी कि वे सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, इसलिए उन पर सरकार का यह फैसला लागू नहीं होता। उन्हें सिर्फ मानदेय मिलता है, जिसे रोका नहीं जा सकता।
कैथल के डीसी ने आयोग से कहा कि चौकीदारों की ड्यूटी फुल टाइम नहीं होती, जिस पर चौकीदारों ने दलील दी कि गांव में मुनादी का काम हो या फिर पेंशन बांटने की सूचना देने की जिम्मेदारी। कोई सरकारी अधिकारी गांव में आ जाए अथवा कोई बैठक होने वाली हो, सभी की सूचना 24 घंटे ग्रामीण चौकीदार ही देते हैं। मुख्य सचिव ने आयोग से कहा कि चौकीदारों को मानदेय गृह विभाग देता है, जिस पर आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह सख्त हो गए। उन्होंने कहा कि किसी भी विभाग को डीसी रेट से कम वेतन देने का हक नहीं है।
आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह ने माना कि ज्यादातर चौकीदार पिछड़े, दलित और शोषित वर्ग से हैं। इसलिए सरकार न केवल उनका रुका हुआ वेतन जारी करे बल्कि सभी चौकीदारों को सरकारी कर्मचारी घोषित करे। आयोग ने लिखित में यह निर्देश राज्य सरकार के पास भिजवाते हुए कहा कि ग्रामीण चौकीदारों को रिटायरमेंट, मेडिकल भत्ता और अन्य सुविधाएं दी जाए।
मुख्य सचिव की नम्रता का कायल हुआ आयोग
आयोग मुख्य सचिव डीएस ढेसी की नम्रता का कायल हो गया। आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह के अनुसार मुख्य सचिव खुद पेश हुए और उन्होंने ग्रामीण चौकीदारों की दलीलों से इत्तफाक जाहिर किया, लेकिन साथ ही सरकार का पक्ष भी पूरी मजबूती के साथ रखा।
मजबूत थीं चौकीदारों की दलीलें
मुझे ग्रामीण चौकीदारों की दलीलों में बेहद दम लगा। कोई भी सरकार डीसी रेट से कम वेतनमान नहीं दे सकती। ग्रामीण चौकीदारों की दलील थी कि उच्च वर्ग का कोई व्यक्ति चौकीदारी के पेशे में नहीं आ सकता। इस काम को करने वाले दलित, पिछड़े और शोषित वर्ग के हैं। आयोग के सामने ग्रामीण चौकीदारों ने अपनी बात पूरी मजबूती व तथ्यों के साथ रखी। मैंने सरकार को डायरेक्शन जारी की है कि वह सभी ग्रामीण चौकीदारों को सरकारी कर्मचारी घोषित कर तमाम सुविधाएं प्रदान करे।
- ईश्वर सिंह, सदस्य, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
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से पहले कभी इस तरह के निर्देश केंद्र अथवा किसी राज्य सरकार को जारी नहीं किए हैं। चौकीदारों ने दलील दी थी कि वह दलित और पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। उच्च वर्ग के लोग कभी चौकीदारी नहीं करते। इसलिए उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य एवं पूर्व राज्यसभा सांसद चौ. ईश्वर सिंह के पास जब 60 साल की आयु पूरी कर चुके करीब दो हजार ग्रामीण चौकीदारों को पिछले ढाई साल से मानदेय नहीं मिलने का केस पहुंचा तो उन्होंने मुख्य सचिव डीएस ढेसी को तलब कर लिया। राज्य में करीब सात हजार ग्रामीण चौकीदार हैं। उन्हें 3500 रुपये मासिक मानदेय मिलता है। किसी भी चौकीदार को पेंशन बंटाई मुनादी भत्ते की 100 रुपये मासिक की राशि भी नहीं मिल रही।
पिछली कांग्रेस सरकार ने पंजाब चौकीदार एक्ट तोड़कर हरियाणा ग्रामीण चौकीदार अधिनियम 2011 लागू किया था, जिसके तहत प्रावधान किया गया कि चौकीदारों की नियुक्तियां पांच साल के लिए होंगी। 60 साल से ऊपर के चौकीदार की सेवाएं खत्म करने का प्रावधान भी इस अधिनियम में किया गया, जिसके तहत पिछले ढ़ाई साल से 60 साल की उम्र पूरी कर चुके 2 हजार ग्रामीण चौकीदारों का मानदेय रोक दिया गया है।
हरियाणा ग्रामीण चौकीदार सभा के पदाधिकारी कैथल निवासी जगदीश समेत कई चौकीदार राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में अपना केस लेकर गए। आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह ने सरकार का पक्ष जानने के लिए कैथल, जींद और सिरसा के डीसी तथा मुख्य सचिव डीएस ढेसी को दिल्ली तलब कर लिया। मुख्य सचिव ने आयोग को बताया कि 60 साल उम्र पूरी कर चुके चौकीदारों को वेतन देने का प्रावधान नहीं है, जिस पर चौकीदारों ने दलील दी कि वे सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, इसलिए उन पर सरकार का यह फैसला लागू नहीं होता। उन्हें सिर्फ मानदेय मिलता है, जिसे रोका नहीं जा सकता।
कैथल के डीसी ने आयोग से कहा कि चौकीदारों की ड्यूटी फुल टाइम नहीं होती, जिस पर चौकीदारों ने दलील दी कि गांव में मुनादी का काम हो या फिर पेंशन बांटने की सूचना देने की जिम्मेदारी। कोई सरकारी अधिकारी गांव में आ जाए अथवा कोई बैठक होने वाली हो, सभी की सूचना 24 घंटे ग्रामीण चौकीदार ही देते हैं। मुख्य सचिव ने आयोग से कहा कि चौकीदारों को मानदेय गृह विभाग देता है, जिस पर आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह सख्त हो गए। उन्होंने कहा कि किसी भी विभाग को डीसी रेट से कम वेतन देने का हक नहीं है।
आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह ने माना कि ज्यादातर चौकीदार पिछड़े, दलित और शोषित वर्ग से हैं। इसलिए सरकार न केवल उनका रुका हुआ वेतन जारी करे बल्कि सभी चौकीदारों को सरकारी कर्मचारी घोषित करे। आयोग ने लिखित में यह निर्देश राज्य सरकार के पास भिजवाते हुए कहा कि ग्रामीण चौकीदारों को रिटायरमेंट, मेडिकल भत्ता और अन्य सुविधाएं दी जाए।
मुख्य सचिव की नम्रता का कायल हुआ आयोग
आयोग मुख्य सचिव डीएस ढेसी की नम्रता का कायल हो गया। आयोग के सदस्य ईश्वर सिंह के अनुसार मुख्य सचिव खुद पेश हुए और उन्होंने ग्रामीण चौकीदारों की दलीलों से इत्तफाक जाहिर किया, लेकिन साथ ही सरकार का पक्ष भी पूरी मजबूती के साथ रखा।
मजबूत थीं चौकीदारों की दलीलें
मुझे ग्रामीण चौकीदारों की दलीलों में बेहद दम लगा। कोई भी सरकार डीसी रेट से कम वेतनमान नहीं दे सकती। ग्रामीण चौकीदारों की दलील थी कि उच्च वर्ग का कोई व्यक्ति चौकीदारी के पेशे में नहीं आ सकता। इस काम को करने वाले दलित, पिछड़े और शोषित वर्ग के हैं। आयोग के सामने ग्रामीण चौकीदारों ने अपनी बात पूरी मजबूती व तथ्यों के साथ रखी। मैंने सरकार को डायरेक्शन जारी की है कि वह सभी ग्रामीण चौकीदारों को सरकारी कर्मचारी घोषित कर तमाम सुविधाएं प्रदान करे।
- ईश्वर सिंह, सदस्य, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
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