चंडीगढ़ : हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा भले ही पिछली सरकारों को कर्ज लेने के मामले में कठघरे में खड़ी कर चुकी है, लेकिन बिना कर्ज लिए काम उसका भी नहीं चल रहा है। मनोहर सरकार अपना पहला बजट पेश करने
के बाद चार माह में करीब पाच हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। साढ़े चार हजार करोड़ का कर्ज बाजार से लिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड और राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास बैंक से भी सरकार को कर्ज लेना पड़ा है।
भाजपा ने मार्च ने अपनी सरकार का पहला बजट पेश किया था। इसके बाद एक अप्रैल 2015 से 31 जुलाई 2015 तक सरकार ने चार माह की अवधि में बाजार से 4800 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। अप्रैल माह में सरकार ने कोई कर्ज नहीं लिया। मई में दो बार 1900 करोड़ का कर्ज लिया गया। जून में एक हजार करोड़ और जुलाई में भी दो बार 1900 करोड़ के कर्ज सरकार को लेने पड़े।
राष्ट्रीय लघु बचत फंड से अप्रैल और मई में सरकार ने कोई कर्ज नहीं लिया, जबकि जून में 10 करोड़ 1 लाख और जुलाई में 53 करोड़ 51 लाख के कर्ज के साथ कुल 63.52 करोड़ रुपये कर्ज लिया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (एनसीआरपीबी) से सरकार ने 54.42 करोड़ का कर्ज लिया है। मई में 4.38 करोड़, जून में 45.51 करोड़ और जुलाई में 4.53 करोड़ का कर्ज लिया गया। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के तहत ग्रामीण आधारभूत विकास निधि के ऋणों के तहत जुलाई में सिर्फ एक बार 20.62 करोड़ का कर्ज सरकार को लेना पड़ा है।
मेवात जिले के नूंह से इनेलो विधायक जाकिर हुसैन ने विधानसभा में सरकार से कजरें के संबंध में सवाल पूछा था, जिसके जवाब में वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने सदन में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चार माह की अवधि में सरकार के राजस्व खर्च 16 हजार 601 करोड़ 6 लाख रहे, जबकि पूंजीगत खर्च की राशि 990.06 करोड़ है।
हरियाणा सरकार का वर्ष 2015-16 का बजट एक नजर में
कुल प्राप्तिया - 68 हजार 985 करोड़ 87 लाख
कुल खर्चे - 69 हजार 140 करोड़ 29 लाख
राजस्व घाटा - 9 हजार 557 करोड़ 52 लाख
राजकोषीय घाटा - 16 हजार 423 करोड़ 58 लाख
हरियाणा पर कर्ज - 32 हजार रुपये प्रति व्यक्ति
by http://www.jagran.com/
के बाद चार माह में करीब पाच हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। साढ़े चार हजार करोड़ का कर्ज बाजार से लिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड और राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास बैंक से भी सरकार को कर्ज लेना पड़ा है।
भाजपा ने मार्च ने अपनी सरकार का पहला बजट पेश किया था। इसके बाद एक अप्रैल 2015 से 31 जुलाई 2015 तक सरकार ने चार माह की अवधि में बाजार से 4800 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। अप्रैल माह में सरकार ने कोई कर्ज नहीं लिया। मई में दो बार 1900 करोड़ का कर्ज लिया गया। जून में एक हजार करोड़ और जुलाई में भी दो बार 1900 करोड़ के कर्ज सरकार को लेने पड़े।
राष्ट्रीय लघु बचत फंड से अप्रैल और मई में सरकार ने कोई कर्ज नहीं लिया, जबकि जून में 10 करोड़ 1 लाख और जुलाई में 53 करोड़ 51 लाख के कर्ज के साथ कुल 63.52 करोड़ रुपये कर्ज लिया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (एनसीआरपीबी) से सरकार ने 54.42 करोड़ का कर्ज लिया है। मई में 4.38 करोड़, जून में 45.51 करोड़ और जुलाई में 4.53 करोड़ का कर्ज लिया गया। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के तहत ग्रामीण आधारभूत विकास निधि के ऋणों के तहत जुलाई में सिर्फ एक बार 20.62 करोड़ का कर्ज सरकार को लेना पड़ा है।
मेवात जिले के नूंह से इनेलो विधायक जाकिर हुसैन ने विधानसभा में सरकार से कजरें के संबंध में सवाल पूछा था, जिसके जवाब में वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने सदन में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चार माह की अवधि में सरकार के राजस्व खर्च 16 हजार 601 करोड़ 6 लाख रहे, जबकि पूंजीगत खर्च की राशि 990.06 करोड़ है।
हरियाणा सरकार का वर्ष 2015-16 का बजट एक नजर में
कुल प्राप्तिया - 68 हजार 985 करोड़ 87 लाख
कुल खर्चे - 69 हजार 140 करोड़ 29 लाख
राजस्व घाटा - 9 हजार 557 करोड़ 52 लाख
राजकोषीय घाटा - 16 हजार 423 करोड़ 58 लाख
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