ट्रेड यूनियनों का भारत बंद आज
रेलवे को छोड़ केंद्र, राज्य सरकारों व निजी क्षेत्र के कर्मचारी होंगे शामिल बैंक, बीमा, परिवहन सहित अन्य क्षेत्रों में कामकाज प्रभावित होने के संकेत
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : रेलवे को छोड़ केंद्र, राज्य व निजी क्षेत्र से संबंधित विभिन्न प्रतिष्ठानों के लाखों कर्मचारी बुधवार, 2 सितंबर को हड़ताल पर रहेंगे। इनमें बैंक, बीमा, सड़क व हवाई परिवहन, तेल व गैस से जुड़े प्रतिष्ठान शामिल हैं। सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में और अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर कांग्रेस व वाम समर्थित ट्रेड यूनियनों ने एक दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया है। भाजपा समर्थित बीएमएस हड़ताल में शामिल नहीं है।1एटक के महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि हड़ताल शांतिपूर्ण रहेगी जिसमें रेलवे को छोड़ सभी प्रतिष्ठान शामिल होंगे। जबकि भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव विरजेश उपाध्याय का कहना है कि हड़ताल का विशेष असर नहीं होगा और बिजली व पेट्रोलियम व गैस क्षेत्र इससे प्रभावित नहीं होंगे। 1इस बीच केंद्रीय श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने एक बार फिर यूनियनों से हड़ताल न करने का अनुरोध किया है। मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा वह पिछले साल 19 नवंबर और इस साल 15 मई को अकेले, जबकि 19 जुलाई व 26-27 अगस्त को अंतरमंत्रलय समिति के सदस्य के रूप में यूनियनों के साथ कई मर्तबा चर्चा कर चुके हैं। यूनियनों की मांगें सरकार की उच्च प्राथमिकता में हैं। संगठित व असंगठित दोनों तरह के कामगारों को केंद्र द्वारा तय न्यूनतम वेतन देने की अनिवार्यता के लिए जल्द ही कानून में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव है। राज्य का न्यूनतम वेतन केंद्र के न्यूनतम वेतन से अधिक है तो वहां वही मान्य होगा। इसमें सुप्रीम कोर्ट और इंटरनेशनल लेबर कान्फ्रेंस (आइएलसी) के मानक अपनाए जाएंगे। फलस्वरूप जो राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन अभी 160 रुपये है, वह बढ़कर 273 रुपये प्रति दिन हो जाएगा। उन्होंने कहा यद्यपि मुङो नहीं लगता कि हड़ताल से ज्यादा असर पड़ेगा। क्योंकि बीएमएस के अलावा नेशनल फंट्र आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस ने इससे अलग रहने का निर्णय लिया है।1
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : रेलवे को छोड़ केंद्र, राज्य व निजी क्षेत्र से संबंधित विभिन्न प्रतिष्ठानों के लाखों कर्मचारी बुधवार, 2 सितंबर को हड़ताल पर रहेंगे। इनमें बैंक, बीमा, सड़क व हवाई परिवहन, तेल व गैस से जुड़े प्रतिष्ठान शामिल हैं। सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के विरोध में और अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर कांग्रेस व वाम समर्थित ट्रेड यूनियनों ने एक दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया है। भाजपा समर्थित बीएमएस हड़ताल में शामिल नहीं है।1एटक के महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि हड़ताल शांतिपूर्ण रहेगी जिसमें रेलवे को छोड़ सभी प्रतिष्ठान शामिल होंगे। जबकि भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव विरजेश उपाध्याय का कहना है कि हड़ताल का विशेष असर नहीं होगा और बिजली व पेट्रोलियम व गैस क्षेत्र इससे प्रभावित नहीं होंगे। 1इस बीच केंद्रीय श्रममंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने एक बार फिर यूनियनों से हड़ताल न करने का अनुरोध किया है। मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा वह पिछले साल 19 नवंबर और इस साल 15 मई को अकेले, जबकि 19 जुलाई व 26-27 अगस्त को अंतरमंत्रलय समिति के सदस्य के रूप में यूनियनों के साथ कई मर्तबा चर्चा कर चुके हैं। यूनियनों की मांगें सरकार की उच्च प्राथमिकता में हैं। संगठित व असंगठित दोनों तरह के कामगारों को केंद्र द्वारा तय न्यूनतम वेतन देने की अनिवार्यता के लिए जल्द ही कानून में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव है। राज्य का न्यूनतम वेतन केंद्र के न्यूनतम वेतन से अधिक है तो वहां वही मान्य होगा। इसमें सुप्रीम कोर्ट और इंटरनेशनल लेबर कान्फ्रेंस (आइएलसी) के मानक अपनाए जाएंगे। फलस्वरूप जो राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन अभी 160 रुपये है, वह बढ़कर 273 रुपये प्रति दिन हो जाएगा। उन्होंने कहा यद्यपि मुङो नहीं लगता कि हड़ताल से ज्यादा असर पड़ेगा। क्योंकि बीएमएस के अलावा नेशनल फंट्र आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस ने इससे अलग रहने का निर्णय लिया है।1
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