जयपुर। राजस्थान सरकार अपने कर्मचारियों के सरकारी अवकाश कम करने की कवायद कर रही है। इस बारे में सरकार ने कर्मचारी संगठनों के समक्ष प्रस्ताव रखा है, हालांकि संगठनों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।
राजस्थान में भाजपा ने अपने पिछले कार्यकाल में सरकारी कार्यालयों में पांच दिन कामकाज की व्यवस्था लागू की थी। उस समय तर्क यह दिया गया था कि इससे सरकारी खर्च में कमी आएगी।
एक दिन का अवकाश बढ़ाने के एवज में सरकारी कार्यालयों का समय दस से पांच के बजाए सुबह 9.30 से शाम छह बजे तक कर दिया गया था।
बाद में कांग्रेस सरकार ने भी इस व्यवस्था को जारी रखा। अब सत्ता में लौटने के बाद भाजपा सरकार फिर से छह दिन के कामकाज की व्यवस्था लागू करना चाहती है, लेकिन खुद की दी हुई सुविधा वापस लेने में सरकार को विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है।
इस बारे में सरकार के सामान्य प्रशासन सचिव ने कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक की तो कर्मचारियों ने इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया।
सामान्य प्रशासन सचिव अजीत कुमार सिंह का कहना था कि जनप्रतिनिधि मौजूदा व्यवस्था से खुश नहीं हैं, क्योंकि जनता के काम नहीं हो पा रहे हैं।
कर्मचारी समय पर ऑफिस नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में सरकार इस व्यवस्था को बदलना चाहती है। इसके अलावा राजपत्रित अवकाश भी ज्यादा हैं।
केंद्र में जहां 17 राजपत्रित अवकाश है, वहीं राजस्थान में 28 राजपत्रित अवकाश हैं। सरकार इन्हें केंद्र के बराबर कर अनिवार्य को एच्छिक अवकाश में बदलना चाहती है, ताकि जनता को परेशानी न हो।
बैठक में 17 कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे और सभी ने इन दोनों प्रस्ताव को खारिज कर दिया। राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष महेंद्र सिंह का कहना था कि एक भी कर्मचारी संगठन सरकार के प्रस्ताव पर सहमत नहीं है।
मौजूदा व्यवस्था सही चल रही है और इसमें कुछ कमी है या कर्मचारी समय पर नहीं आने की शिकायत है तो संबंधित संबंधित कर्मचारी पर सरकार कार्रवाई करे। सभी कर्मचारियों की सुविधा छीनने का कोई अर्थ नहीं है।
सचिवालय कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष महेश व्यास का कहना है सरकार जनता को राहत देना चाहती है तो कर्मचारियों के पद बढ़ाए। jagran
www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
राजस्थान में भाजपा ने अपने पिछले कार्यकाल में सरकारी कार्यालयों में पांच दिन कामकाज की व्यवस्था लागू की थी। उस समय तर्क यह दिया गया था कि इससे सरकारी खर्च में कमी आएगी।
एक दिन का अवकाश बढ़ाने के एवज में सरकारी कार्यालयों का समय दस से पांच के बजाए सुबह 9.30 से शाम छह बजे तक कर दिया गया था।
बाद में कांग्रेस सरकार ने भी इस व्यवस्था को जारी रखा। अब सत्ता में लौटने के बाद भाजपा सरकार फिर से छह दिन के कामकाज की व्यवस्था लागू करना चाहती है, लेकिन खुद की दी हुई सुविधा वापस लेने में सरकार को विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है।
इस बारे में सरकार के सामान्य प्रशासन सचिव ने कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक की तो कर्मचारियों ने इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया।
सामान्य प्रशासन सचिव अजीत कुमार सिंह का कहना था कि जनप्रतिनिधि मौजूदा व्यवस्था से खुश नहीं हैं, क्योंकि जनता के काम नहीं हो पा रहे हैं।
कर्मचारी समय पर ऑफिस नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में सरकार इस व्यवस्था को बदलना चाहती है। इसके अलावा राजपत्रित अवकाश भी ज्यादा हैं।
केंद्र में जहां 17 राजपत्रित अवकाश है, वहीं राजस्थान में 28 राजपत्रित अवकाश हैं। सरकार इन्हें केंद्र के बराबर कर अनिवार्य को एच्छिक अवकाश में बदलना चाहती है, ताकि जनता को परेशानी न हो।
बैठक में 17 कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे और सभी ने इन दोनों प्रस्ताव को खारिज कर दिया। राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष महेंद्र सिंह का कहना था कि एक भी कर्मचारी संगठन सरकार के प्रस्ताव पर सहमत नहीं है।
मौजूदा व्यवस्था सही चल रही है और इसमें कुछ कमी है या कर्मचारी समय पर नहीं आने की शिकायत है तो संबंधित संबंधित कर्मचारी पर सरकार कार्रवाई करे। सभी कर्मचारियों की सुविधा छीनने का कोई अर्थ नहीं है।
सचिवालय कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष महेश व्यास का कहना है सरकार जनता को राहत देना चाहती है तो कर्मचारियों के पद बढ़ाए। jagran
www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
No comments:
Post a Comment
thanks for your valuable comment