इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थाओं में 15 अगस्त और 26 जनवरी को अनिवार्य रूप से तिरंगा झंडा फहराया जाए। संविधान के अनुच्छेद 51 ए का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि यह प्रत्येक
नागरिक का कत्तर्व्य है कि वह जाति, धर्र्म, लिंग आदि से ऊपर उठकर ध्वजारोहण करे।
कोर्ट ने सभी शिक्षा विभागों के सचिवों को आदेश दिया है कि स्कूल-कालेजों में राष्ट्रीय पर्वों पर ध्वजारोहण कराया जाना सुनिश्चित करें। अदालत ने यह आदेश प्रदेश सरकार द्वारा याचिका पर दाखिल जवाब के बाद दिया। सरकार के जवाब में सिर्फ मदरसों में तिरंगा फहराये जाने संबंधी आदेश जारी किए जाने की बात कही गई थी।
अलीगढ़ के अजीत गोड़ और अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति डा. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया। इससे पूर्व कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि मदरसों का संचालन अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है।
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प्रमुख सचिव ने आदेश जारी कर निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण और सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह मदरसों में तिरंगा झंडा फहराया जाना सुनिश्चित करें। इस पर टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि सरकार ने हमारे पिछले आदेश को समझने में भूल की है। तिरंगा झंडा फहराया जाना एक संवैधानिक कत्तर्व्य है।
इसका पालन सभी के लिए अनिवार्य है। इसमें धर्म, सम्प्रदाय, जाति या लिंग का भेद नहीं किया जा सकता है। इसकी शुरूआत शिक्षण संस्थाओं से सबसे बेहतर हो सकती है इसलिए हर स्तर की शिक्षण संस्था में ध्वजारोहण होना चाहिए चाहे वह सरकारी, सहायता प्राप्त या गैरसरकारी संस्था हो।
याची का कहना था कि अलीगढ़ के कुछ मदरसों में राष्ट्रीय पर्वों पर तिरंगा नहीं फहराया जाता है। हालांकि याचिका में यह नहीं बताया गया था कि किस मदरसे में ध्वजारोहण नहीं किया गया है। इस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या शिक्षण संस्थाओं में तिरंगा फहराये जाने को लेकर कोई नीति है।
नागरिक का कत्तर्व्य है कि वह जाति, धर्र्म, लिंग आदि से ऊपर उठकर ध्वजारोहण करे।
कोर्ट ने सभी शिक्षा विभागों के सचिवों को आदेश दिया है कि स्कूल-कालेजों में राष्ट्रीय पर्वों पर ध्वजारोहण कराया जाना सुनिश्चित करें। अदालत ने यह आदेश प्रदेश सरकार द्वारा याचिका पर दाखिल जवाब के बाद दिया। सरकार के जवाब में सिर्फ मदरसों में तिरंगा फहराये जाने संबंधी आदेश जारी किए जाने की बात कही गई थी।
अलीगढ़ के अजीत गोड़ और अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति डा. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया। इससे पूर्व कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि मदरसों का संचालन अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है।
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प्रमुख सचिव ने आदेश जारी कर निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण और सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह मदरसों में तिरंगा झंडा फहराया जाना सुनिश्चित करें। इस पर टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि सरकार ने हमारे पिछले आदेश को समझने में भूल की है। तिरंगा झंडा फहराया जाना एक संवैधानिक कत्तर्व्य है।
इसका पालन सभी के लिए अनिवार्य है। इसमें धर्म, सम्प्रदाय, जाति या लिंग का भेद नहीं किया जा सकता है। इसकी शुरूआत शिक्षण संस्थाओं से सबसे बेहतर हो सकती है इसलिए हर स्तर की शिक्षण संस्था में ध्वजारोहण होना चाहिए चाहे वह सरकारी, सहायता प्राप्त या गैरसरकारी संस्था हो।
याची का कहना था कि अलीगढ़ के कुछ मदरसों में राष्ट्रीय पर्वों पर तिरंगा नहीं फहराया जाता है। हालांकि याचिका में यह नहीं बताया गया था कि किस मदरसे में ध्वजारोहण नहीं किया गया है। इस पर कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि क्या शिक्षण संस्थाओं में तिरंगा फहराये जाने को लेकर कोई नीति है।
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