डीगढ़। हरियाणा में पिछले साल चयनित 9455 जेबीटी टीचर को अभी नियुक्ति पत्र के लिए इंतजार करना पड़ेगा। बुधवार को सीएफएसएल चंडीगढ़ ने हाईकोर्ट के आदेश पर इस भर्ती के परिणाम से जुड़ी हार्ड डिस्क व
कंप्यूटर की जांच कर अपनी रिपोर्ट देने के लिए समय मांगा। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की जस्टिस दीपक सिब्बल पर आधारित खंडपीठ ने उसे दो सप्ताह का समय दिया। इसके साथ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 7 अक्टूबर तक स्थगित कर दी।
चयनित 9455 जेबीटी टीचर को नियुक्ति देने का मामला
1 सितंबर को हाईकोर्ट ने इस मामले में सीलबंद इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए हुई परीक्षा के परिणाम वाले हार्ड डिस्क व कंप्यूटर की जांच चंडीगढ़ सीएफएसएल लैब कराने का आदेश दिया था। खंडपीठ ने आदेश दिया था कि सीएफएसएल लैंब जांच में इस बात का पता करे कि इन कप्यूटरों में कब-कब डाटा फीड किया गया है और कितनी बार संशोधित किया गया हैं।
खंडपीठ का सीएफएसल को यह जांच देने का मतलब एक्सपर्ट ओपनियन लेना है क्योंकि हरियाणा सरकार इस मामले में वास्तविक रिकार्ड पेश नहीं कर पा रही हैं। खंडपीठ ने डाटा फीड करने वाली प्रोगामर सविता व कर्मचारी चयन आयोग को भी इस जांच में सीएफएसल को पूर्ण सहयोग करने का निर्देश दिया था।
इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश पर कर्मचारी चयन आयोग के सचिव महावीर कौशिक व पूर्व टीचर सलेक्शन कमीशन की प्रोग्रामर सविता ने हलफनामा दायर कर कहा था कि अंक देने में किसी भी तरह की धांधली नहीं हुई हैं।
प्रोग्रामर सविता ने हलफनामे में कहा है कि रिजल्ट अपलोड करते नियमानुसार एमए वाले उम्मीदवारों के दो अंक जोड़े नहीं गए। बाद में उसे कुल अंक में जोड़ दिया गया था। जब फाइनल रिजल्ट तैयार किया गया था उसमें फार्मूला गलती के कारण एमए पास उम्मीदवारों के दो अंक साक्षात्कार में नही जोड़े गए लेकिन बाद में गलती सामने आने के बाद उसे ठीक कर दिया गया था और टोटल में में कोई गलती नहीं थी। उसी के आधार पर मेरिट बना कर रिजल्ट वेब साइट पर लोड कर दिया गया।
कर्मचारी चयन आयोग के सचिव महावीर कौशिक ने हाईकोर्ट को बताया कि रिजल्ट की पीडीएफ फाइनल करने से पहले बोर्ड द्वारा इसे चेक किया गया था। इसके बावजूद परिणाम वेबसाइट पर डालने के बाद बोर्ड को पता चला कि एमए पास के जो अतिरिक्त दो अंक साक्षात्कार में दिए जाने थे उनको लिखित परीक्षा के अंकों में जोड़ दिया गया है। यह तकनीकी गलती थी जबकि टोटल सही था। हाईकोर्ट ने इनके जवाब पर सहमत न होते हुए इसकी सीएफएसएल से जांच कर रिपोर्ट मांगी।
यह है मामला
एक स्नातकोत्तर (एमए) योग्यता प्राप्त अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि सरकार के नियमों के अनुसार चयन प्रक्रिया के दौरान उसे शैक्षणिक योग्यता के दो अंक अधिक मिलने थे। शैक्षणिक योग्यता में इनका लाभ दे दिया गया, लेकिन इंटरव्यू में हासिल अंकों में से उसके दो अंक काट लिए गए। ऐसे में वह चयन से वंचित रह गया। इसके बाद हाईकोर्ट ने चयनित जेबीटी को नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी थी।
कंप्यूटर की जांच कर अपनी रिपोर्ट देने के लिए समय मांगा। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की जस्टिस दीपक सिब्बल पर आधारित खंडपीठ ने उसे दो सप्ताह का समय दिया। इसके साथ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 7 अक्टूबर तक स्थगित कर दी।
चयनित 9455 जेबीटी टीचर को नियुक्ति देने का मामला
1 सितंबर को हाईकोर्ट ने इस मामले में सीलबंद इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए हुई परीक्षा के परिणाम वाले हार्ड डिस्क व कंप्यूटर की जांच चंडीगढ़ सीएफएसएल लैब कराने का आदेश दिया था। खंडपीठ ने आदेश दिया था कि सीएफएसएल लैंब जांच में इस बात का पता करे कि इन कप्यूटरों में कब-कब डाटा फीड किया गया है और कितनी बार संशोधित किया गया हैं।
खंडपीठ का सीएफएसल को यह जांच देने का मतलब एक्सपर्ट ओपनियन लेना है क्योंकि हरियाणा सरकार इस मामले में वास्तविक रिकार्ड पेश नहीं कर पा रही हैं। खंडपीठ ने डाटा फीड करने वाली प्रोगामर सविता व कर्मचारी चयन आयोग को भी इस जांच में सीएफएसल को पूर्ण सहयोग करने का निर्देश दिया था।
इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश पर कर्मचारी चयन आयोग के सचिव महावीर कौशिक व पूर्व टीचर सलेक्शन कमीशन की प्रोग्रामर सविता ने हलफनामा दायर कर कहा था कि अंक देने में किसी भी तरह की धांधली नहीं हुई हैं।
प्रोग्रामर सविता ने हलफनामे में कहा है कि रिजल्ट अपलोड करते नियमानुसार एमए वाले उम्मीदवारों के दो अंक जोड़े नहीं गए। बाद में उसे कुल अंक में जोड़ दिया गया था। जब फाइनल रिजल्ट तैयार किया गया था उसमें फार्मूला गलती के कारण एमए पास उम्मीदवारों के दो अंक साक्षात्कार में नही जोड़े गए लेकिन बाद में गलती सामने आने के बाद उसे ठीक कर दिया गया था और टोटल में में कोई गलती नहीं थी। उसी के आधार पर मेरिट बना कर रिजल्ट वेब साइट पर लोड कर दिया गया।
कर्मचारी चयन आयोग के सचिव महावीर कौशिक ने हाईकोर्ट को बताया कि रिजल्ट की पीडीएफ फाइनल करने से पहले बोर्ड द्वारा इसे चेक किया गया था। इसके बावजूद परिणाम वेबसाइट पर डालने के बाद बोर्ड को पता चला कि एमए पास के जो अतिरिक्त दो अंक साक्षात्कार में दिए जाने थे उनको लिखित परीक्षा के अंकों में जोड़ दिया गया है। यह तकनीकी गलती थी जबकि टोटल सही था। हाईकोर्ट ने इनके जवाब पर सहमत न होते हुए इसकी सीएफएसएल से जांच कर रिपोर्ट मांगी।
यह है मामला
एक स्नातकोत्तर (एमए) योग्यता प्राप्त अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि सरकार के नियमों के अनुसार चयन प्रक्रिया के दौरान उसे शैक्षणिक योग्यता के दो अंक अधिक मिलने थे। शैक्षणिक योग्यता में इनका लाभ दे दिया गया, लेकिन इंटरव्यू में हासिल अंकों में से उसके दो अंक काट लिए गए। ऐसे में वह चयन से वंचित रह गया। इसके बाद हाईकोर्ट ने चयनित जेबीटी को नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी थी।
www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
No comments:
Post a Comment
thanks for your valuable comment