जांच में हुआ खुलासा, शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़ा


बड़े पैमाने पर गड़बड़ी

उत्तर प्रदेश सरकार की हर शिक्षक भर्ती में अंकपत्रों एवं प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़े की बात सामने आ रही है। एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से होने वाली शिक्षक भर्ती एवं बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से प्राथमिक विद्यालयों में हो रही 72825 शिक्षकों की भर्ती में प्रमाणपत्रों का फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद अब शिक्षामित्रों के अंकपत्र एवं प्रमाणपत्रों की जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है।

ऐसे में शिक्षामित्रों की भर्ती प्रक्रिया की सुचिता पर भी सवाल खड़ा हो गया है। प्रमाणपत्रों की जांच के बाद बड़ी संख्या में जिलों में तैनात शिक्षामित्रों की नौकरी जाने का खतरा बन गया है। शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन में पता चला कि हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के फर्जी प्रमाणपत्र बिहार बोर्ड, एमपी बोर्ड एवं यूपी बोर्ड से जारी हुए हैं।

जांच में पता चला कि ग्राम सभा स्तर पर हुई शिक्षामित्रों की भर्ती में गलत प्रमाणपत्रों को लगाकर नौकरी हासिल की गई। स्नातक के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय, आगरा विश्वविद्यालय, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, कानपुर विश्वविद्यालय सहित देश के दूसरे राज्यों के विश्वविद्यालयों से फर्जी प्रमाण पत्र हासिल कर लोगों ने शिक्षामित्र की नौकरी हासिल कर ली थी।
अधिकारी नहीं बोल रहे कुछ

संबंधित जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों की ओर से प्रमाणपत्रों की जांच कराए जाने के बाद बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा पकड़ में आया।

पहले चरण में 59 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाया गया था, इसमें सभी को वेतन इसीलिए जारी नहीं किया गया क्योंकि बड़ी संख्या में जिलों में शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्र पर आपत्ति जताई गई।

प्रमाणपत्रों पर आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद भी शिक्षामित्र बीएसए कार्यालय के कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर दबाव बनाकर अपने खिलाफ कार्रवाई को रोके रखे। इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी बोलने को आगे नहीं आ रहे हैं।


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