राज्य सरकार की शिक्षामित्रों के मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की मंशा नहीं है। राज्य सरकार के पास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका दायर करने के लिए 90 दिन का समय है। सरकार
ने इसे अंतिम विकल्प के रूप में चुना है।
राज्य सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई है जो इस मामले का हल ढूंढ़ने में सरकार की मदद करेगी। इसमें प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा के अलावा, न्याय व वित्त विभाग के प्रमुख सचिव समेत बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक और बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सदस्य बनाए गए हैं।
बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री योगेश प्रताप सिंह के मुताबिक, सरकार शिक्षामित्रों की रोजी-रोटी के मामले में एकदम स्पष्ट राय रखती है। शिक्षामित्रों की नौकरी को बचाना सरकार की प्राथमिकता पर है। लिहाजा, केन्द्र सरकार से बात करके आवश्यकतानुसार संशोधन किए जाएंगे ताकि शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाया जा सके। महाराष्ट्र से भी इस मामले में मदद ली जा रही है।
शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण पर हाईकोर्ट ने कोई खास टिप्पणी नहीं की है। लिहाजा, इसे ही आधार बनाते हुए शिक्षामित्रों को दोबारा नियुक्ति दिए जाने की योजना है। वहीं, भाषा के लिए अलग से अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की तर्ज पर संविदा शिक्षकों के लिए टीईटी का आयोजन किया जा सकता है।www.facebook.com/teacherharyana
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