चंडीगढ़ : हरियाणा शिक्षा विभाग के चंडीगढ़ (यूटी) में तैनात 45 फीसदी शिक्षकों की जल्द ही घर वापसी हो सकती है। राज्य में शिक्षकों की भारी कमी होने के बावूजद भी हजारों की संख्या में शिक्षक ऑन डेपुटेशन चंडीगढ़ में काम कर रहे हैं। इसी तरह से पंजाब से भी 55 फीसदी शिक्षक चंडीगढ़ शिक्षा विभाग को अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
दो साल के लिए गए थे
साल दो साल के लिए यूटी में जाने वाले 60 फीसदी से ऊपर शिक्षकों का यहां पर ओवरस्टे हो चुका है। हरियाणा की मनोहर सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सबसे पहले अपने विभाग के डेपुटेशन पर गए डाक्टरों की डेपुटेशन केंसिल करते हुए उन्हें वापसी ज्वाइन करने के निर्देश जारी किये थे। जिसके बाद में काफी संख्या में डाक्टरों की घर वापसी हो गयी थी। अब उसी तर्ज पर शिक्षकों की घर वापसी की तैयारी हो चुकी है। इस पूरे मामले में यूटी शिक्षक नेता भी केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर दस से बीस साल से जमे शिक्षकों को वापस बुलाने की मांग कर चुके हैं।
ब्योरा मांगा गया
भरोसेमंद उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इस क्रम में एक तरफ राज्य की हरियाणा सरकार शिक्षा विभाग में डेपुटेशन पर गए और ओवर स्टे करने वाले शिक्षकों को वापसी के लिए विचार मंथन में जुटी है। वहीं दूसरी ओर इस संबंध में केंद्र के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से शिक्षा विभाग चंडीगढ़ को पत्र भेजकर ओवर स्टे करने वालों का पूरा ब्योरा मांग लिया गया है। चंडीगढ़ शिक्षा विभाग से वैसे तो पहले भी इस तरह का ब्योरा मांगा गया था।
पूर्व में लीपापोती कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता था। अब मनोहर सरकार पूरे मामले में स्वीकृत शिक्षकों के पदों, खाली पदों, डेपुटेशन पर गए शिक्षकों के साथ ही स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की संख्या के आंकड़ों को भी देखा जा रहा है। जिसके बाद में बच्चों की संख्या और बाकी हालात देखते हुए शिक्षकों की तैनाती की जा सके।
इस पूरे मामले में चंडीगढ़ में काम करने वाले शिक्षक भी चाहते हैं कि यहां काम करने वाले गैर यूटी के शिक्षक अपने राज्य को लौट जाएं। बताया गया है कि एजुकेशनल इंप्लाइज यूनियन भी इस पूरे मामले में केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों के सामने पूरी बात रख चुकी है। यूनियन के नेताओं ने बीती 30 सितंबर को ही पूरा मामला केंद्रीय गृह मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह से मिलकर पूरा मामला रखा था। इस संबंध में यूनियन के नेता मानव संसाधन विकास मंत्नी स्मृति ईरानी से भी मिले थे। जिसके बाद में इस क्रम में एक्शन के लिए आश्वासन दिया गया था। एजुकेशन डिपार्टर्मेंट यूटी में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल राज्य के शिक्षक आए हुए हैं। यूनियन चाहती है कि ओवर स्टे करने वाले लोगों को वापस भेजा जाए, क्योंकि यूटी कैडर्स शिक्षक नेताओं का दावा है कि पूरे मामले में उनकी प्रमोशन पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। यूटी कैडर यूनियन प्रधान स्वर्ण सिंह कांबोज और सचिव राकेश इस पूरे मामले में कहते है कि डेपुटेशन का मामला पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है। डेपुटेशन पर आने वाले काफी शिक्षक दस से बीस साल से यहां पर जमे हुए हैं।
शिक्षकों की रिपोर्टतैयार कर केंद्र को भेजी जाएगी
उधर, अब ऐसे में डेपुटेशन पर जमे शिक्षकों के सामने खुद के प्रदेश में वापसी लौटने का ही विकल्प बचेगा, क्योंकि सरकार व शिक्षा विभाग हरियाणा चाहता है कि उनके खजाने से सैलरी लेने वाले शिक्षक राज्य के अंदर ही बच्चों को अपनी सेवाएं दें। मानव संसाधन विकास मंत्नालय की ओर से मांगे गए ब्योरे को जल्द ही यूटी शिक्षा विभाग केंद्र के पास भेजेगा। अब पूरे मामले में शिक्षकों की रिपोर्ट तैयार कर केंद्र के पास में भेजी जाएगी। जिसके बाद में शिक्षकों की घर वापसी की तैयारी कर ली जाएगी। शिक्षा विभाग में जिन लोगों का डेपुटेशन किया जाता है। इस तरह के शिक्षकों का कायर्काल दो से तीन साल होता है। कुछ खास कारणों पर इसे बढ़ा दिया जाता है, और पांच साल कर दिया जाता है। कार्यकाल पूर्ण हो जाने के हालात में शिक्षकों को अपने मूल राज्य में जाना होता है।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
दो साल के लिए गए थे
साल दो साल के लिए यूटी में जाने वाले 60 फीसदी से ऊपर शिक्षकों का यहां पर ओवरस्टे हो चुका है। हरियाणा की मनोहर सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सबसे पहले अपने विभाग के डेपुटेशन पर गए डाक्टरों की डेपुटेशन केंसिल करते हुए उन्हें वापसी ज्वाइन करने के निर्देश जारी किये थे। जिसके बाद में काफी संख्या में डाक्टरों की घर वापसी हो गयी थी। अब उसी तर्ज पर शिक्षकों की घर वापसी की तैयारी हो चुकी है। इस पूरे मामले में यूटी शिक्षक नेता भी केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर दस से बीस साल से जमे शिक्षकों को वापस बुलाने की मांग कर चुके हैं।
ब्योरा मांगा गया
भरोसेमंद उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इस क्रम में एक तरफ राज्य की हरियाणा सरकार शिक्षा विभाग में डेपुटेशन पर गए और ओवर स्टे करने वाले शिक्षकों को वापसी के लिए विचार मंथन में जुटी है। वहीं दूसरी ओर इस संबंध में केंद्र के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से शिक्षा विभाग चंडीगढ़ को पत्र भेजकर ओवर स्टे करने वालों का पूरा ब्योरा मांग लिया गया है। चंडीगढ़ शिक्षा विभाग से वैसे तो पहले भी इस तरह का ब्योरा मांगा गया था।
पूर्व में लीपापोती कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता था। अब मनोहर सरकार पूरे मामले में स्वीकृत शिक्षकों के पदों, खाली पदों, डेपुटेशन पर गए शिक्षकों के साथ ही स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की संख्या के आंकड़ों को भी देखा जा रहा है। जिसके बाद में बच्चों की संख्या और बाकी हालात देखते हुए शिक्षकों की तैनाती की जा सके।
इस पूरे मामले में चंडीगढ़ में काम करने वाले शिक्षक भी चाहते हैं कि यहां काम करने वाले गैर यूटी के शिक्षक अपने राज्य को लौट जाएं। बताया गया है कि एजुकेशनल इंप्लाइज यूनियन भी इस पूरे मामले में केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों के सामने पूरी बात रख चुकी है। यूनियन के नेताओं ने बीती 30 सितंबर को ही पूरा मामला केंद्रीय गृह मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह से मिलकर पूरा मामला रखा था। इस संबंध में यूनियन के नेता मानव संसाधन विकास मंत्नी स्मृति ईरानी से भी मिले थे। जिसके बाद में इस क्रम में एक्शन के लिए आश्वासन दिया गया था। एजुकेशन डिपार्टर्मेंट यूटी में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल राज्य के शिक्षक आए हुए हैं। यूनियन चाहती है कि ओवर स्टे करने वाले लोगों को वापस भेजा जाए, क्योंकि यूटी कैडर्स शिक्षक नेताओं का दावा है कि पूरे मामले में उनकी प्रमोशन पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। यूटी कैडर यूनियन प्रधान स्वर्ण सिंह कांबोज और सचिव राकेश इस पूरे मामले में कहते है कि डेपुटेशन का मामला पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है। डेपुटेशन पर आने वाले काफी शिक्षक दस से बीस साल से यहां पर जमे हुए हैं।
शिक्षकों की रिपोर्टतैयार कर केंद्र को भेजी जाएगी
उधर, अब ऐसे में डेपुटेशन पर जमे शिक्षकों के सामने खुद के प्रदेश में वापसी लौटने का ही विकल्प बचेगा, क्योंकि सरकार व शिक्षा विभाग हरियाणा चाहता है कि उनके खजाने से सैलरी लेने वाले शिक्षक राज्य के अंदर ही बच्चों को अपनी सेवाएं दें। मानव संसाधन विकास मंत्नालय की ओर से मांगे गए ब्योरे को जल्द ही यूटी शिक्षा विभाग केंद्र के पास भेजेगा। अब पूरे मामले में शिक्षकों की रिपोर्ट तैयार कर केंद्र के पास में भेजी जाएगी। जिसके बाद में शिक्षकों की घर वापसी की तैयारी कर ली जाएगी। शिक्षा विभाग में जिन लोगों का डेपुटेशन किया जाता है। इस तरह के शिक्षकों का कायर्काल दो से तीन साल होता है। कुछ खास कारणों पर इसे बढ़ा दिया जाता है, और पांच साल कर दिया जाता है। कार्यकाल पूर्ण हो जाने के हालात में शिक्षकों को अपने मूल राज्य में जाना होता है।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
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