न नियमित हुए कर्मी, न वेतन बढ़ा

जागरण संवाददाता, सिरसा : चुनाव से पहले भले ही भाजपा की मनोहर सरकार ने कर्मचारियों के वोट बैंक को हथियाने के लिए बड़े लंबे चौड़े दावे किए, लेकिन सरकार के एक साल के कार्यकाल में ये सब खोखले नजर आए। कर्मचारी पंजाब के सम्मान वेतन मिलने एवं उन्हें पक्का करने का इंतजार करते देखे गए। पर सरकार ने आश्वासनों के लॉलीपाप से सिवाए कर्मचारियों को कुछ नहीं दिए। 1धरना, प्रदर्शन, चक्का जाम एवं हड़ताल से आमजन को हुई परेशानी के बाद भी सरकार की नींद नहीं टूटी और सरकार ने ही कर्मचारियों को इस बाबत सौगात देने की दिशा में कदम बढ़ाए। कुल मिलाकर कर्मचारियों के संघर्ष में जनता ही पिसती देखी गई। बता दें कि चुनाव से पहले पंजाब के समान वेतनमान और कर्मचारियों को पक्का करने के सपने दिखाकर ही भाजपा सता में आई, पर फिर भी उक्त सरकार द्वारा कर्मचारी हित में कदम नहीं बढ़ाया गया और ही न ही सरकार कर्मचारी हितैषी बन पाई। वार्ताओं के दौर में हुए समझौता पर भी सरकार कर्मचारियों के हक की मुहर नहीं लगा पाई। कर्मचारियों में केवल सरकार के प्रति रोष के सिवाए कुछ देखने को नहीं मिला। सरकार अपने एक साल के कार्यकाल में कर्मचारियों को सातवें वेतन का तोहफा भी नहीं दे पाई। पंजाब के सम्मान वेतनमान मिलने के कर्मचारी सपने ही देखते रहे और न ही कर्मचारी नियमित हो पाए। 1बसें रहीं बंद, नहीं आया पानी, फिर भी नहीं ली कर्मचारियों की सुध 1हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन संबंधित सर्व कर्मचारी संघ के डिपो प्रधान मदनलाल कहते है कि राष्ट्रव्यापी हड़ताल के समय बसों का चक्का जाम रहा। लोगों के घरों में पानी नहीं आया। इसके बावजूद सरकार ने कर्मचारियों की सुध नहीं ली। न तो निजी बसों के परमिट रदद किए गए और न ही कच्चे कर्मचारियों को पक्का। रोड सेफ्टी बिल में भी कोई संशोधन नहीं किया गया है। कर्मचारियों को सरकार से एक साल के कार्यकाल में कुछ लाभ नहीं मिला और सरकार कर्मचारियों के दिलों में जगह नहीं बना पाई। 1मांगों के लिए लड़ते रहेंगे लड़ाई 1रोडवेज कर्मचारी यूनियन संबंधित महासंघ के डिपो प्रधान रामकुमार का कहना है कि सरकार कर्मचारियों की मांगे मानने का वायदा करके सत्ता में आई, मगर सरकार कर्मचारियों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। एक साल के कार्यकाल में केवल झूठे आश्वासनों के सिवाए उन्हें कुछ नहीं मिला। कर्मचारियों में सरकार के प्रति गहरा रोष है। वे मांगों के लिए सरकार से लड़ाई लड़ते रहेंगे, जब तक सरकार की नींद नहीं टूटेगी।

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