जागरण संवाददाता, कैथल : सही ही गया है कि जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो फिर उसे कोई नहीं बचा सकता। एचटेट प्रकरण में भी यही सामने आ रहा है। जो कोचिंग सेंटर परीक्षार्थियों की बेहतर तैयारी कराने
का दावा करते नहीं थकते, वही बाद में पेपर पास कराने का सौदा कर लेते हैं। लाखों रुपये में सौदा तय होता है और मोबाइल पर सैंपल पेपर से लेकर आंसर-की भेजने की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है।1यूं तो इस तरह के कोचिंग सेंटर कमोबेश हर जिले में खुले हुए हैं। कुछ सीधे तौर पर इस खेल से जुड़े हुए हैं तो कुछ अन्य कोचिंग सेंटरों के साथ जुड़कर। शुरूआत में तो इन कोचिंग सेंटरों के संचालक परीक्षार्थियों से परीक्षा की अच्छे से तैयारी कराने की बात ही करते हैं। मगर बाद में जब परीक्षार्थी अथवा उसके परिजन पेपर पास होने में शंका आशंका जताते हैं तो ये लोग उन्हें पेपर पास कराने के जाल में भी फंसा लेते हैं। इसकी एवज में बाकायदा मोटी रकम की मांग की जाती है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ परीक्षार्थियों और सेंटरों से जुड़े कुछ अध्यापकों ने बताया कि लाखों रुपये में होने वाले इस सौदे के तहत मोबाइल का अहम रोल रहता है। मोबाइल के व्हाटसएप नंबर पर पहले सैंपल पेपर भेजकर चैक किया जाता है कि परीक्षार्थी के पास संबंधित सामग्री ठीक से जा भी रही है या नहीं। तत्पश्चात व्हाटसएप पर ही आंसर की भेजी जाती है। ब्लू टूथ, माइक और पेपर की फोटो उतारकर भेजने के लिए कैमरे वाली घड़ी भी इनके जरिए ही उपलब्ध कराई जाती है। कई बार यह आंसर की परीक्षा से कई घंटे पहले भेज दी जाती है तो कई बार समय पर ही मिल पाती है। एक कोचिंग सेंटर के संचालक ने बताया कि पेपर लीक कराने से लेकर आंसर की तैयार करने तक का काम एक पूरा माफिया करता है, जिसमें सफेदपोश तक शामिल रहते हैं। 1कोचिंग सेंटरों को तो मुनाफा का झांसा देकर कुछ दलाल टाइप के लोगों द्वारा माध्यम बनाया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह पूरा कारोबार करोड़ों रुपये का होता है। बहरहाल, सच्चाई की तह में भले ही और कितनी भी परतें खुलें मगर खट्टर सरकार के राज में भी दावों से इतर भ्रष्टाचार बदस्तूर अपने पंख फैलाए बैठा है।जागरण संवाददाता, कैथल : सही ही गया है कि जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो फिर उसे कोई नहीं बचा सकता। एचटेट प्रकरण में भी यही सामने आ रहा है। जो कोचिंग सेंटर परीक्षार्थियों की बेहतर तैयारी कराने का दावा करते नहीं थकते, वही बाद में पेपर पास कराने का सौदा कर लेते हैं। लाखों रुपये में सौदा तय होता है और मोबाइल पर सैंपल पेपर से लेकर आंसर-की भेजने की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है।1यूं तो इस तरह के कोचिंग सेंटर कमोबेश हर जिले में खुले हुए हैं। कुछ सीधे तौर पर इस खेल से जुड़े हुए हैं तो कुछ अन्य कोचिंग सेंटरों के साथ जुड़कर। शुरूआत में तो इन कोचिंग सेंटरों के संचालक परीक्षार्थियों से परीक्षा की अच्छे से तैयारी कराने की बात ही करते हैं। मगर बाद में जब परीक्षार्थी अथवा उसके परिजन पेपर पास होने में शंका आशंका जताते हैं तो ये लोग उन्हें पेपर पास कराने के जाल में भी फंसा लेते हैं। इसकी एवज में बाकायदा मोटी रकम की मांग की जाती है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ परीक्षार्थियों और सेंटरों से जुड़े कुछ अध्यापकों ने बताया कि लाखों रुपये में होने वाले इस सौदे के तहत मोबाइल का अहम रोल रहता है। मोबाइल के व्हाटसएप नंबर पर पहले सैंपल पेपर भेजकर चैक किया जाता है कि परीक्षार्थी के पास संबंधित सामग्री ठीक से जा भी रही है या नहीं। तत्पश्चात व्हाटसएप पर ही आंसर की भेजी जाती है। ब्लू टूथ, माइक और पेपर की फोटो उतारकर भेजने के लिए कैमरे वाली घड़ी भी इनके जरिए ही उपलब्ध कराई जाती है। कई बार यह आंसर की परीक्षा से कई घंटे पहले भेज दी जाती है तो कई बार समय पर ही मिल पाती है। एक कोचिंग सेंटर के संचालक ने बताया कि पेपर लीक कराने से लेकर आंसर की तैयार करने तक का काम एक पूरा माफिया करता है, जिसमें सफेदपोश तक शामिल रहते हैं। 1कोचिंग सेंटरों को तो मुनाफा का झांसा देकर कुछ दलाल टाइप के लोगों द्वारा माध्यम बनाया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह पूरा कारोबार करोड़ों रुपये का होता है। बहरहाल, सच्चाई की तह में भले ही और कितनी भी परतें खुलें मगर खट्टर सरकार के राज में भी दावों से इतर भ्रष्टाचार बदस्तूर अपने पंख फैलाए बैठा है।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
का दावा करते नहीं थकते, वही बाद में पेपर पास कराने का सौदा कर लेते हैं। लाखों रुपये में सौदा तय होता है और मोबाइल पर सैंपल पेपर से लेकर आंसर-की भेजने की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है।1यूं तो इस तरह के कोचिंग सेंटर कमोबेश हर जिले में खुले हुए हैं। कुछ सीधे तौर पर इस खेल से जुड़े हुए हैं तो कुछ अन्य कोचिंग सेंटरों के साथ जुड़कर। शुरूआत में तो इन कोचिंग सेंटरों के संचालक परीक्षार्थियों से परीक्षा की अच्छे से तैयारी कराने की बात ही करते हैं। मगर बाद में जब परीक्षार्थी अथवा उसके परिजन पेपर पास होने में शंका आशंका जताते हैं तो ये लोग उन्हें पेपर पास कराने के जाल में भी फंसा लेते हैं। इसकी एवज में बाकायदा मोटी रकम की मांग की जाती है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ परीक्षार्थियों और सेंटरों से जुड़े कुछ अध्यापकों ने बताया कि लाखों रुपये में होने वाले इस सौदे के तहत मोबाइल का अहम रोल रहता है। मोबाइल के व्हाटसएप नंबर पर पहले सैंपल पेपर भेजकर चैक किया जाता है कि परीक्षार्थी के पास संबंधित सामग्री ठीक से जा भी रही है या नहीं। तत्पश्चात व्हाटसएप पर ही आंसर की भेजी जाती है। ब्लू टूथ, माइक और पेपर की फोटो उतारकर भेजने के लिए कैमरे वाली घड़ी भी इनके जरिए ही उपलब्ध कराई जाती है। कई बार यह आंसर की परीक्षा से कई घंटे पहले भेज दी जाती है तो कई बार समय पर ही मिल पाती है। एक कोचिंग सेंटर के संचालक ने बताया कि पेपर लीक कराने से लेकर आंसर की तैयार करने तक का काम एक पूरा माफिया करता है, जिसमें सफेदपोश तक शामिल रहते हैं। 1कोचिंग सेंटरों को तो मुनाफा का झांसा देकर कुछ दलाल टाइप के लोगों द्वारा माध्यम बनाया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह पूरा कारोबार करोड़ों रुपये का होता है। बहरहाल, सच्चाई की तह में भले ही और कितनी भी परतें खुलें मगर खट्टर सरकार के राज में भी दावों से इतर भ्रष्टाचार बदस्तूर अपने पंख फैलाए बैठा है।जागरण संवाददाता, कैथल : सही ही गया है कि जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो फिर उसे कोई नहीं बचा सकता। एचटेट प्रकरण में भी यही सामने आ रहा है। जो कोचिंग सेंटर परीक्षार्थियों की बेहतर तैयारी कराने का दावा करते नहीं थकते, वही बाद में पेपर पास कराने का सौदा कर लेते हैं। लाखों रुपये में सौदा तय होता है और मोबाइल पर सैंपल पेपर से लेकर आंसर-की भेजने की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है।1यूं तो इस तरह के कोचिंग सेंटर कमोबेश हर जिले में खुले हुए हैं। कुछ सीधे तौर पर इस खेल से जुड़े हुए हैं तो कुछ अन्य कोचिंग सेंटरों के साथ जुड़कर। शुरूआत में तो इन कोचिंग सेंटरों के संचालक परीक्षार्थियों से परीक्षा की अच्छे से तैयारी कराने की बात ही करते हैं। मगर बाद में जब परीक्षार्थी अथवा उसके परिजन पेपर पास होने में शंका आशंका जताते हैं तो ये लोग उन्हें पेपर पास कराने के जाल में भी फंसा लेते हैं। इसकी एवज में बाकायदा मोटी रकम की मांग की जाती है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ परीक्षार्थियों और सेंटरों से जुड़े कुछ अध्यापकों ने बताया कि लाखों रुपये में होने वाले इस सौदे के तहत मोबाइल का अहम रोल रहता है। मोबाइल के व्हाटसएप नंबर पर पहले सैंपल पेपर भेजकर चैक किया जाता है कि परीक्षार्थी के पास संबंधित सामग्री ठीक से जा भी रही है या नहीं। तत्पश्चात व्हाटसएप पर ही आंसर की भेजी जाती है। ब्लू टूथ, माइक और पेपर की फोटो उतारकर भेजने के लिए कैमरे वाली घड़ी भी इनके जरिए ही उपलब्ध कराई जाती है। कई बार यह आंसर की परीक्षा से कई घंटे पहले भेज दी जाती है तो कई बार समय पर ही मिल पाती है। एक कोचिंग सेंटर के संचालक ने बताया कि पेपर लीक कराने से लेकर आंसर की तैयार करने तक का काम एक पूरा माफिया करता है, जिसमें सफेदपोश तक शामिल रहते हैं। 1कोचिंग सेंटरों को तो मुनाफा का झांसा देकर कुछ दलाल टाइप के लोगों द्वारा माध्यम बनाया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह पूरा कारोबार करोड़ों रुपये का होता है। बहरहाल, सच्चाई की तह में भले ही और कितनी भी परतें खुलें मगर खट्टर सरकार के राज में भी दावों से इतर भ्रष्टाचार बदस्तूर अपने पंख फैलाए बैठा है।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
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