हाईकोर्ट से पुरी अपडेट~जेबीटी व ड्राइंग टीचरों को नहीं मिली हाई काेर्ट से राहत
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में साल 2000 में चौटाला शासनकाल में भर्ती किए गए 3206 जेबीटी टीचरों को मंगलवार को भी राहत नहीं मिली। हार्इ कोर्ट की एकल पीठ ने उनकी नियुक्ति रद कर दी थी
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई 21 जनवरी तक स्थगित कर दी।
दूसरी ओर, हाई कोर्ट ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल में नियुक्त किए गए 816 ड्राइंग टीचराें को भी राहत नहीं दी। ये टीचर अपनी जगह होने वाली नई भर्ती पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। इनको इस साल फरवरी में हटा दिया गया था
हटाए गए 3206 जेबीटी टीचरों के वकील ने जस्टिस एसके मित्तल पर आधारित खंडपीठ को बताया कि इन जेबीटी टीचरों को काम करते हुए 15 साल हो गए हैं, ऐसे में इनको हटाना ठीक नहीं है। कोई समाधान निकाला जाए ताकि ये टीचर बेरोजगार न हों। इससे पहले भी हरियाणा सरकार ने कोर्ट द्वारा हटाए कर्मचारियों को दूसरी जगहों पर समायोजित किया था। इस मामले में भी कुछ ऐसा ही किया जाए
टीचरों के वकील की दलील का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस भर्ती में धांधली हुई है। सीबीआइ ने अपनी जांच में यह साबित भी कर दिया और मुख्य आरोपियों पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला व अन्य को इस मामले में मिली सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बहाल रखा है, ऐसे में इन टीचरों को नौकरी पर कैसे रखा जा सकता है।
सभी पक्षों के तर्क सुनने व हरियाणा सरकार द्वारा इस मामले में जवाब देने के लिए समय की मांग पर डिवीजन बेंच ने सुनवाई 21 जनवरी तक स्थगित कर दी।
इस मामले में एकल बेंच ने वर्ष 2000 में भर्ती 3206 जेबीटी टीचरों की नियुक्ति रद करने का फैसला सुनाते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने के लिए सरकार को आदेश दिया था।
ड्रॉइंग टीचर्स की नई भर्ती पर रोक से हाईकोर्ट का इंकार
दूसरी ओर, भूपेंद्र सिंह सरकार द्वारा नियुक्त 816 ड्रॉइंग टीचर्स काे भी हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली। उनकी नियुक्ति इसी साल फऱवरी माह में हाई कोर्ट ने रद्द कर दी थी। इन शिक्षकों ने मंगलवार को हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर अपने स्थान पर नई भर्ती पर रोक लगाने की मांग की।
अर्जी के अनुसार मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक नई भर्ती नही की जानी चाहिए। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने नई भर्ती पर रोक लगाने से इंकार कर दिया, लेकिन हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया। ये टीचर साल 2006 में नियुक्त किए गए थे। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने इन शिक्षकों को हटा कर नई भर्ती करने का आदेश दिया था।
इसलिए हुई थी भर्ती रद्द
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 20 जुलाई 2006 को 816 ड्राइंग टीचरों की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे थे। इसके खिलाफ दायर याचिका में बताया गया कि इस दौरान नियम रखा गया था कि एक टेस्ट आयोजित किया जाएगा और इसके अलावा 25 अंकों का इंटरव्यू आयोजित किया जाएगा। बाद में कई बार नियमों को बदला गया।
कुछ उम्मीदवारों के फार्म तो अंतिम तिथि के बाद भी स्वीकार किए गए।
हाई कोर्ट ने पूरी नियुक्ति प्रक्रिया का रिकॉर्ड देखा तो इसमें अनियमिता सामने आई। इसमें पता चला कि कमीशन के चेयरमैन ने अन्य किसी भी सदस्य से परामर्श किए बिना ही नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान ही इसका पैमाने बदल दिया।
तत्कालीन मुख्यमंत्री की सहमति से ही लिखित परीक्षा की बजाय सभी योग्य आवेदकों को इंटरव्यू में बुलाए जाने का फैसला किया गया था।
इसके खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया था की सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में सुनाए गए कई फैसलों में यह साफ़ किया गया है की नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान इसका पैमाना नहीं बदला जा सकता है।
पीठ ने माना था कि आयोग ने एक सदस्यीय आयोग के तौर पर काम किया। इसके साथ ही पीठ ने हरियाणा सरकार को पांच महीनों में नए सिरे से इन पदों पर नियुक्तियां किये जाने के आदेश दे दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश के तहत ही सरकार ने पिछले दिनों इन पदों पर भर्ती प्रकिया शुरू की थी
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