सिरसा : पंचायत चुनाव में ड्यूटियों पर लगे अधिकारियों कर्मचारियों को मानदेय का भुगतान ईपीएस के माध्यम से किया जाएगा। इसके लिए सभी अधिकारियों कर्मचारियों को अपने
यूनिक कोड,
पैन नंबर,
बैंक का नाम,
खाता संख्या
आईएफएससी कोड
को पूर्ण ब्यौरा चुनाव ड्यूटी के दौरान उपलब्ध कराना होगा। उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी शरणदीप कौर बराड़ ने बताया कि ( see More news and instructions about election ) सभी अधिकारी कर्मचारी अपनी रिहर्सल के दौरान ही अपना पूर्ण ब्यौरा जमा करवा दें। उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग की हिदायतों अनुसार पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर लगाए गए अधिकारियों कर्मचारियों को सीधा भुगतान किया जाना है। इसके लिए सभी अधिकारियों कर्मचारियों को अपनी बैंक संबंधी सभी जानकारियां ड्यूटी के दौरान उपलब्ध करवानी होगी।www.facebook.com/teacherharyana
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(Recruitment , vacancy , job , news)वोट तो दे देंगे पहल्या घूंघट तो खोल ले
शर्तों का असर हरियाणा में 584 पंच पदों के लिए नहीं मिला योग्य उम्मीदवार
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 5 जनवरी
हरियाणा के 584 वार्डों में पंच पद के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिले। यही नहीं, कैथल व करनाल जिले के दो गांवों से सरपंच पद के लिए भी नामांकन-पत्र जमा नहीं हुए। ये आंकड़े राज्य में चल रहे पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में पहले चरण के हैं। वैसे दूसरे चरण का नामांकन भी पूरा हो चुका है। तीसरे चरण के लिए नामांकन-प्रक्रिया मंगलवार से शुरू हुई है। तीनों चरणों में पंचों के हजार से भी अधिक पद खाली रह सकते हैं।
भारी पड़ी शर्तें : माना जा रहा है कि राज्य सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं (ग्राम पंचायत, पंचायत समितियां व जिला परिषद) के चुनाव लड़ने के लिए तय की गयी शैक्षिक योग्यता सहित दूसरी शर्तों की वजह से पंच पदों के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिले। आयोग से जुड़े सूत्रों के अनुसार अभी केवल प्रथम चरण के नामांकन का ब्योरा पहुंचा है। इसके अनुसार राज्य में कुल 584 वार्ड ऐसे हैं, जहां पंच पद के लिए एक भी नामांकन दाखिल नहीं हुआ।
ये है जिलेवार ब्योरा : बताते हैं कि जिन वार्डों में पंच पद के लिए आवेदन नहीं आया है, उनमें अनुसूचित जाति के वार्ड अधिक हैं। सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए शैक्षिक योग्यता आठवीं तय की हुई है। अनुसूचित जाति की महिला के लिए यह योग्यता 5वीं पास रखी गयी है। इस हिसाब से 584 वार्ड ऐसे हैं, जहां 5वीं पास महिलाएं भी नहीं हैं। अनुसूचित जाति व महिलाओं के लिए आरक्षित कई वार्डों में भी नामांकन नहीं होने की सूचना है। आंकड़ों के अनुसार जिन वार्डों के लिए नामांकन नहीं आए, उनमें अम्बाला के 5, भिवानी के 31, फरीदाबाद के 18, फतेहाबाद के 42, गुड़गांव के 12, हिसार के 39, झज्जर के 17, जींद के 74, कैथल के 41, करनाल के 2, कुरुक्षेत्र के 26, महेंद्रगढ़ के 3, मेवात के 63, पलवल के 37, पंचकूला के 20, पानीपत के 14, रोहतक के 24, रेवाड़ी के 13, सिरसा के 37, सोनीपत के 15 तथा यमुनानगर जिले के 51 वार्ड शामिल हैं। अगर गांवों में पंच या सरपंच के पद खाली रहते हैं तो सरकार ही फैसला करेगी कि इन्हें कैसे भरा जाए।
ये हो सकते हैं मुख्य कारण
पंच पद के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने के पीछे सबसे बड़ा कारण शैक्षिक योग्यता को ही माना जा रहा है। इससे भी इंकार नहीं किया जा रहा कि कई वार्ड ऐसे हैं, जहां पढ़े-लिखे युवा और महिलाएं भी मौजूद हैं लेकिन उनकी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है। ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों पर बिजली व सहकारी बैंकों का लाखों रुपये बकाया है लेकिन उन्होंने इस पैसे का भुगतान नहीं किया।
तो फिर क्या होगा
जिन 584 वार्डों में पंच पद के लिए उम्मीदवार नहीं मिले, वे पहले चरण के हैं। दूसरे व तीसरे चरण का डॉटा आना बाकी है। राज्य चुनाव आयोग फिलहाल चुनाव प्रक्रिया जारी रखेगा। तीनों चरणों के मतदान के बाद नतीजे आने के बाद उन पदों पर फिर चुनाव करवाया जाएगा, जो खाली रह जाएंगे। दोबारा मतदान के बाद भी अगर योग्य उम्मीदवार नहीं मिले तो चुनाव आयोग सरकार को पत्र लिखेगा।
मतदान के बाद खाली पदों के लिए फिर से चुनाव करवाया जाएगा। इसके बाद भी अगर पद खाली रहते हैं तो सरकार को पत्र लिखा जाएगा। आखिरी फैसला राज्य सरकार ही करेगी।
-राजीव शर्मा, राज्य चुनाव आयुक्त
सरकार दलितों और पिछड़ों को उनके अधिकार से वंचित कर रही है। संविधान में सभी को बराबर का अधिकार है। आज कहते हैं पढ़े-लिखे ही चुनाव लड़ेंगे, कल को अनपढ़ लोगों के वोट के अधिकार पर भी रोक लगा दी जाएगी।
-डॉ़ अशोक तंवर, कांग्रेस प्रदेशाध्यक
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