MDM Laboratory checking

खाने की जांच माह में एक बार लैब में कराई जाए, मिड डे मील की नहीं होती जांच

दीपक पांडेय, फरीदाबाद मिड डे मील की शुद्धता को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी लापरवाह नजर आ रहे हैं। मौलिक शिक्षा निदेशालय की तरफ से जारी एक पत्र में यह लापरवाही उजागर हुई है। इसमें कहा गया है कि निदेशालय की तरफ से आदेश दिए गए थे कि मिड डे मिल की माह में एक बार सरकारी लैब में जांच कराई जाए। इससे उसकी शुद्धता उजागर हो सके, लेकिन प्रदेश में कहीं भी मिड डे मील की जांच लैब में नहीं कराई गई।
Also see- Mid day meal (MDM) instructions ,RULES

प्राइमरी स्कूलों में पहली से आठवीं तक बच्चों के मिड डे मील दिया जाता है। कई जिलों में शिक्षा विभाग द्वारा मिड डे मील परोसने का जिम्मा निजी एजेंसी को भी दिया गया है। निजी एजेंसी द्वारा ही खाना बनाकर परोसा जाता है। विभाग की तरफ से अलग-अलग दिन का मैन्यू भी तय किया गया है, जिससे बच्चों को सप्ताह में अलग-अलग तरह का खाना मिल सके। मगर बच्चों को परोसे जाने वाले इस आहार के प्रति कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारी लापरवाही दिखा जाते हैं।


मिड डे मील को लेकर कई बार शिक्षा विभाग अधिकारियों व स्कूल की लापरवाही उजागर हुई है। ऐसे में मौलिक शिक्षा निदेशालय की तरफ से आदेश दिया गया था कि बच्चों को खाना परोसने के लिए समय स्कूल का एक सदस्य मौके पर मौजूद होना चाहिए। इसके अलावा बच्चों को परोसे जाने वाले खाने की जांच माह में एक बार सरकारी लैब में करानी होगी, जिससे उसकी शुद्धता परखी जा सके, लेकिन प्रदेश में किसी भी शिक्षा विभाग में खाने की जांच लैब में नहीं कराई गई।
निदेशालय की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि किसी भी शिक्षा विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया। ऐसे में अगर मीड डे मील में कोई कमी पाई जाती है तो इसके लिए मौलिक शिक्षा अधिकारी जिम्मेदार होंगे। वहीं दोबारा से आदेश दिए जाते है कि
शिक्षा विभाग को आदेश दिए गए है कि वह बच्चों को दिए जाने वाले मीड डे मील को लेकर सावधानी बरते। उनसे माह में एक बार खाने की जांच सरकारी लैब में कराने के आदेश दिए गए है।
- आरएस खरब, निदेशक, मौलिक शिक्षा निदेशालय।
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