Study without pressure
अक्सर ऐसे ईमेल और पत्र आते हैं, जिनमें स्टूडेंट्स पढ़ाई में मन न लगने या किसी विषय विशेष में अपनी कमजोरी की समस्या को दूर करने का उपाय पूछते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं, जो अपने माता-पिता से अपनी पसंद-रुचि के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाते और दबाव में उनकी बताई राह पर बेमन से चलने को मजबूर होते हैं। इन दिनों दसवीं-बारहवीं के बोर्ड एग्जाम का काउंट डाउन शुरू होने के साथ ही इस परीक्षा में शामिल होने जा रहे परीक्षार्थियों पर दबाव का कथित माहौल बनाने की शुरुआत एक बार फिर हो रही है। यह हमारे एजुकेशन सिस्टम और लंबे समय से चली आ रही परंपरा की विडंबना ही है कि पढ़ाई के लिए प्रेरित करने की बजाय स्टूडेंट्स पर परीक्षा का इतना दबाव बना दिया जाता है कि उसकी स्वाभाविकता प्रभावित होने लगती है। परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा अंक लाने और दूसरों से आगे निकलने का दबाव अक्सर उस पर हावी हो जाता है। डर और दबाव में वह किताब के पन्ने तो पलटता है, पर घंटों ऐसा करने के बाद भी उसके दिमाग में कुछ नहीं घुसता। ऐसी स्थिति में उसकी परेशानी बढ़ती जाती है। दुर्भाग्य से अगर उसका रिजल्ट खराब हो गया, तो घर-परिवार और बाहर वह मुंह दिखाने के काबिल नहीं माना जाता।परीक्षा नहीं टैलेंट की पहचान
सवाल यह है कि क्या परीक्षा पास कर लेना और उसमें अच्छे अंक लाना ही किसी बच्चे के टैलेंट को पहचानने का एकमात्र तरीका है? क्या हर बच्चे पर इंजीनियरिंग-मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी के लिए दबाव बनाना उचित है? आज के तकनीकी और तेजी से बदलते समय में जब करियर के दर्जनों नए-नए और आकर्षक फील्ड लगातार सामने आ रहे हैं, ऐसे में एक-दो क्षेत्रों में ही करियर तलाशने की बात करना जिद नहीं तो और क्या है? माता-पिता जागरूकता की अपनी आंखें खोलें और देखें कि आज के समय में पहचान और कामयाबी पाने के कितने ज्यादा मौके हैं? बच्च तो आपकी नजरों के सामने बड़ा हुआ है। आपको तो उसकी हर पसंद-नापसंद का पता होगा, फिर आप उसकी प्रतिभा को पहचानने में चूक भला क्यों कर रहे हैं? टैलेंट को समझ कर उसी दिशा में उसे पढ़ाने-बढ़ाने का प्रयास करें।
बढ़ाएं मनोबल
अगर किसी कारण आपका बच्च पढ़ने में रुचि नहीं ले रहा, तो इसके कारण तलाशें और उनका समाधान निकालने का उपाय करें। आपको उसका मन समझना होगा। आप डांट-डपट कर या किसी बात का डर दिखाकर उससे अच्छा प्रदर्शन नहीं करा सकते। हां, अगर आप उसके मन की बात करते हुए उसे उत्साहित करते हैं और पढ़ाई में उसकी रुचि बढ़ाने का माहौल तैयार करते हैं, तो बहुत मुमकिन है कि उसका मन पढ़ने में लग जाए।
न लगाएं रिस्टिक्शन
बोर्ड एग्जाम के नाम पर आप अपने बच्चे पर तमाम तरह की बंदिशें न लगाएं। उसके खेलने-कूदने को न रोकें। एंटरटेनमेंट और फिजिकल एक्टिविटीज के जरिए उसका शरीर और दिमाग फिट रहेगा, तो वह कहीं अधिक उत्साह से पढ़ाई में एकाग्र हो सकेगा। अगर आप उसके घूमने, फिरने, खेलने-कूदने और एंटरटेनमेंट पर नियंत्रण लगाने की कोशिश करते हुए यह चाहेंगे कि वह हरदम पढ़ता ही रहे, तो एक तरह से आप खुद उसके परफॉर्मेस को प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
कमजोरियों पर दें ध्यान
चूंकि बोर्ड परीक्षा में अब ज्यादा समय नहीं बचा है, इसलिए आपने अब तक जो पढ़ा है, नोट्स के जरिए उसका रिवीजन करते रहें। कोर्स का कोई पार्ट बच गया हो, तो उसका कॉन्सेप्ट अच्छी तरह समझने का प्रयास करें, ताकि आप उसे भूल न सकें। रिवीजन के साथ-साथ मॉक प्रैक्टिस सेट के जरिए सवालों को हल करने की प्रैक्टिस भी लगातार करें। उत्तर लिखने के बाद ईमानदारी से खुद उसकी जांच करें कि आपने क्या सही किया और क्या गलत? आप खुद को जहां कमजोर पा रहे हों, उस पार्ट पर ज्यादा मेहनत करें। उससे डरें, भागें नहीं, बल्कि उस कमजोरी को आप अपनी ताकत बनाएं। चुनौती का मुकाबला करेंगे, तो जीत निश्चित रूप से आपकी ही होगी। एक बार पूरा कोर्स कंपलीट कर लेने के बाद आप आगामी परीक्षा को ध्यान में रखकर सलेक्टिव स्टडी भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको पिछली परीक्षाओं के प्रश्नों के पैटर्न का विश्लेषण करते हुए प्रश्न गेस करके उनकी तैयारी करनी होगी।
बढ़ाएं अपनी रुचि
हो सकता है कि जो सब्जेक्ट आप पढ़ रहे हों, वह आपको अरुचिकर लगता हो। लेकिन दसवीं-बारहवीं एक तरह से आपके करियर का बेस होता है। आप अपनी रुचि को समझकर उस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। फिलहाल अपना मन एकाग्र करके दसवीं-बारहवीं में कठिन लगने वाले विषयों में रुचि लेने का प्रयास करके उसे आसान बना सकते हैं। यह देखें कि आखिर उसमें रुचि कैसे बढ़ सकती है? इस बारे में अध्यापकों और साथियों की मदद भी ले सकते हैं।
तकनीक का साथ
आज आपके हाथों में स्मार्टफोन और इंटरनेट है। इसकी मदद से घर बैठे अपना प्रदर्शन सुधारते हुए उसे अधिक से अधिक बेहतर बना सकते हैं। फेसबुक और व्हाट्सऐप पर चैटिंग में टाइम जाया करने की बजाय इन सोशल प्लेटफॉर्म्स का लाभ आप दोस्तों-ग्रुप के साथ सवाल और समस्याएं सॉल्व करने में उठा सकते हैं। किसी सवाल को हल करते समय कहीं मुश्किल आ रही है, तो उसे उसी समय व्हाट्सऐप पर डाल कर सहपाठियों से मदद मांग सकते हैं।मेरे पास अक्सर ऐसे ईमेल और पत्र आते हैं, जिनमें स्टूडेंट्स पढ़ाई में मन न लगने या किसी विषय विशेष में अपनी कमजोरी की समस्या को दूर करने का उपाय पूछते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं, जो अपने माता-पिता से अपनी पसंद-रुचि के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाते और दबाव में उनकी बताई राह पर बेमन से चलने को मजबूर होते हैं। इन दिनों दसवीं-बारहवीं के बोर्ड एग्जाम का काउंट डाउन शुरू होने के साथ ही इस परीक्षा में शामिल होने जा रहे परीक्षार्थियों पर दबाव का कथित माहौल बनाने की शुरुआत एक बार फिर हो रही है। यह हमारे एजुकेशन सिस्टम और लंबे समय से चली आ रही परंपरा की विडंबना ही है कि पढ़ाई के लिए प्रेरित करने की बजाय स्टूडेंट्स पर परीक्षा का इतना दबाव बना दिया जाता है कि उसकी स्वाभाविकता प्रभावित होने लगती है। परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा अंक लाने और दूसरों से आगे निकलने का दबाव अक्सर उस पर हावी हो जाता है। डर और दबाव में वह किताब के पन्ने तो पलटता है, पर घंटों ऐसा करने के बाद भी उसके दिमाग में कुछ नहीं घुसता। ऐसी स्थिति में उसकी परेशानी बढ़ती जाती है। दुर्भाग्य से अगर उसका रिजल्ट खराब हो गया, तो घर-परिवार और बाहर वह मुंह दिखाने के काबिल नहीं माना जाता।
परीक्षा नहीं टैलेंट की पहचान
सवाल यह है कि क्या परीक्षा पास कर लेना और उसमें अच्छे अंक लाना ही किसी बच्चे के टैलेंट को पहचानने का एकमात्र तरीका है? क्या हर बच्चे पर इंजीनियरिंग-मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी के लिए दबाव बनाना उचित है? आज के तकनीकी और तेजी से बदलते समय में जब करियर के दर्जनों नए-नए और आकर्षक फील्ड लगातार सामने आ रहे हैं, ऐसे में एक-दो क्षेत्रों में ही करियर तलाशने की बात करना जिद नहीं तो और क्या है? माता-पिता जागरूकता की अपनी आंखें खोलें और देखें कि आज के समय में पहचान और कामयाबी पाने के कितने ज्यादा मौके हैं? बच्च तो आपकी नजरों के सामने बड़ा हुआ है। आपको तो उसकी हर पसंद-नापसंद का पता होगा, फिर आप उसकी प्रतिभा को पहचानने में चूक भला क्यों कर रहे हैं? टैलेंट को समझ कर उसी दिशा में उसे पढ़ाने-बढ़ाने का प्रयास करें। 1बढ़ाएं मनोबल 1अगर किसी कारण आपका बच्च पढ़ने में रुचि नहीं ले रहा, तो इसके कारण तलाशें और उनका समाधान निकालने का उपाय करें। आपको उसका मन समझना होगा। आप डांट-डपट कर या किसी बात का डर दिखाकर उससे अच्छा प्रदर्शन नहीं करा सकते। हां, अगर आप उसके मन की बात करते हुए उसे उत्साहित करते हैं और पढ़ाई में उसकी रुचि बढ़ाने का माहौल तैयार करते हैं, तो बहुत मुमकिन है कि उसका मन पढ़ने में लग जाए। 1न लगाएं रिस्टिक्शन 1बोर्ड एग्जाम के नाम पर आप अपने बच्चे पर तमाम तरह की बंदिशें न लगाएं। उसके खेलने-कूदने को न रोकें। एंटरटेनमेंट और फिजिकल एक्टिविटीज के जरिए उसका शरीर और दिमाग फिट रहेगा, तो वह कहीं अधिक उत्साह से पढ़ाई में एकाग्र हो सकेगा। अगर आप उसके घूमने, फिरने, खेलने-कूदने और एंटरटेनमेंट पर नियंत्रण लगाने की कोशिश करते हुए यह चाहेंगे कि वह हरदम पढ़ता ही रहे, तो एक तरह से आप खुद उसके परफॉर्मेस को प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार होंगे। 1कमजोरियों पर दें ध्यान 1चूंकि बोर्ड परीक्षा में अब ज्यादा समय नहीं बचा है, इसलिए आपने अब तक जो पढ़ा है, नोट्स के जरिए उसका रिवीजन करते रहें। कोर्स का कोई पार्ट बच गया हो, तो उसका कॉन्सेप्ट अच्छी तरह समझने का प्रयास करें, ताकि आप उसे भूल न सकें। रिवीजन के साथ-साथ मॉक प्रैक्टिस सेट के जरिए सवालों को हल करने की प्रैक्टिस भी लगातार करें। उत्तर लिखने के बाद ईमानदारी से खुद उसकी जांच करें कि आपने क्या सही किया और क्या गलत? आप खुद को जहां कमजोर पा रहे हों, उस पार्ट पर ज्यादा मेहनत करें। उससे डरें, भागें नहीं, बल्कि उस कमजोरी को आप अपनी ताकत बनाएं। चुनौती का मुकाबला करेंगे, तो जीत निश्चित रूप से आपकी ही होगी। एक बार पूरा कोर्स कंपलीट कर लेने के बाद आप आगामी परीक्षा को ध्यान में रखकर सलेक्टिव स्टडी भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको पिछली परीक्षाओं के प्रश्नों के पैटर्न का विश्लेषण करते हुए प्रश्न गेस करके उनकी तैयारी करनी होगी। 1बढ़ाएं अपनी रुचि 1हो सकता है कि जो सब्जेक्ट आप पढ़ रहे हों, वह आपको अरुचिकर लगता हो। लेकिन दसवीं-बारहवीं एक तरह से आपके करियर का बेस होता है। आप अपनी रुचि को समझकर उस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। फिलहाल अपना मन एकाग्र करके दसवीं-बारहवीं में कठिन लगने वाले विषयों में रुचि लेने का प्रयास करके उसे आसान बना सकते हैं। यह देखें कि आखिर उसमें रुचि कैसे बढ़ सकती है? इस बारे में अध्यापकों और साथियों की मदद भी ले सकते हैं। 1तकनीक का साथ1आज आपके हाथों में स्मार्टफोन और इंटरनेट है। इसकी मदद से घर बैठे अपना प्रदर्शन सुधारते हुए उसे अधिक से अधिक बेहतर बना सकते हैं। फेसबुक और व्हाट्सऐप पर चैटिंग में टाइम जाया करने की बजाय इन सोशल प्लेटफॉर्म्स का लाभ आप दोस्तों-ग्रुप के साथ सवाल और समस्याएं सॉल्व करने में उठा सकते हैं। किसी सवाल को हल करते समय कहीं मुश्किल आ रही है, तो उसे उसी समय व्हाट्सऐप पर डाल कर सहपाठियों से मदद मांग सकते हैं।
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