शिक्षा विभाग के आदेशों पर लगा सवालिया निशान
जींद : जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सहायक मुनीराम द्वारा 40 हजार रुपये की रिश्वत के मामले में बेशक विभाग ने उसे निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए हों, लेकिन जो आदेश विभाग ने जारी किए हैं, उससे लगता है कि विभाग ने उसे सजा के साथ-साथ खोया सम्मान भी वापस दे दिया हो। शिक्षा विभाग की यह कार्रवाई उन्हें कटघरे में खड़ा करने का काम कर रही है। इस मामले में विभाग के अधिकारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
गौरतलब है कि गत दो फरवरी को डीईओ कार्यालय का सहायक मुनीराम निजी स्कूल संचालक से मान्यता संबंधी फाइल के मामले में 40 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। इस मामले में डीईओ जोगेंद्र हुड्डा का नाम भी सामने आया था। विजिलेंस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। अदालत ने मुनीराम को जेल भेज दिया था जबकि डीईओ आज तक फरार चल रहा है। इस मामले में गत 15 फरवरी को विभाग ने आदेश जारी कर मुनीराम को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए, लेकिन निलंबन के रूप में जो सजा उसे दी गई है, वह उस सजा नहीं बल्कि पुरस्कार या फिर कहे उसका खोया सम्मान देने का काम विभाग ने किया है। विभाग ने आदेश जारी किए हैं कि डीईओ कार्यालय में सहायक के पद पर कार्यरत मुनीराम को दो फरवरी 2016 से निलंबित किया जाता है। साथ ही यह भी आदेश दे दिए गए कि उसका हैडक्वार्टर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जींद रहेगा और वह बिना अधिकारी की मंजूरी के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ पाएगा। यह आदेश विभाग के अतिरिक्त निदेशक एडमिनिस्ट्रेशन एएस मान ने जारी किए हैं। इन आदेशों ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं, क्योंकि जिस कार्यालय में रहते हुए वह 40 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था, अब वही कार्यालय उसका मुख्यालय बना दिया गया है। लगता है कि शिक्षा विभाग चाहता है कि वह अपने पुराने किए गए कांडों को आसानी से ही मिटा सके, इसलिए उसे निलंबित कर उसी स्थान पर लगा दिया गया है, जहां के मामले में वह रिश्वत लेते पकड़ा गया था।
गौरतलब है कि गत दो फरवरी को डीईओ कार्यालय का सहायक मुनीराम निजी स्कूल संचालक से मान्यता संबंधी फाइल के मामले में 40 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। इस मामले में डीईओ जोगेंद्र हुड्डा का नाम भी सामने आया था। विजिलेंस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। अदालत ने मुनीराम को जेल भेज दिया था जबकि डीईओ आज तक फरार चल रहा है। इस मामले में गत 15 फरवरी को विभाग ने आदेश जारी कर मुनीराम को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए, लेकिन निलंबन के रूप में जो सजा उसे दी गई है, वह उस सजा नहीं बल्कि पुरस्कार या फिर कहे उसका खोया सम्मान देने का काम विभाग ने किया है। विभाग ने आदेश जारी किए हैं कि डीईओ कार्यालय में सहायक के पद पर कार्यरत मुनीराम को दो फरवरी 2016 से निलंबित किया जाता है। साथ ही यह भी आदेश दे दिए गए कि उसका हैडक्वार्टर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जींद रहेगा और वह बिना अधिकारी की मंजूरी के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ पाएगा। यह आदेश विभाग के अतिरिक्त निदेशक एडमिनिस्ट्रेशन एएस मान ने जारी किए हैं। इन आदेशों ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं, क्योंकि जिस कार्यालय में रहते हुए वह 40 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था, अब वही कार्यालय उसका मुख्यालय बना दिया गया है। लगता है कि शिक्षा विभाग चाहता है कि वह अपने पुराने किए गए कांडों को आसानी से ही मिटा सके, इसलिए उसे निलंबित कर उसी स्थान पर लगा दिया गया है, जहां के मामले में वह रिश्वत लेते पकड़ा गया था।
पुलिस की पहुंच से डीईओ दूर, सहायक को भेजा जेल
डीईईओ को सौंपा चार्ज
शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारी पद का चार्ज जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को सौंप दिया है। इस बारे में विभाग ने पत्र भी जारी कर दिया है। अब डीईईओ के पास ही डीईओ का अतिरिक्त चार्ज रहेगा।
अधिकारी बोलने को तैयार नहीं, डीईओ का पता नहीं चला
रिश्वत प्रकरण मामले में अब तक डीईओ का पता नहीं लग सका है। विजिलेंस की कार्रवाई पर भी सवालिया निशान लग रहा है, क्योंकि अब तक रिकार्ड लेने के अलावा कुछ कार्रवाई विभाग ने नहीं की है और न ही कहीं दबिश देने का काम किया है। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
विजिलेंस इंस्पेक्टर संजीव कुमार ने बताया कि अब तक डीईओ का पता नहीं लगा है। उनकी तलाश जारी है।
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(Recruitment , vacancy , job , news)डीईईओ को सौंपा चार्ज
शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारी पद का चार्ज जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को सौंप दिया है। इस बारे में विभाग ने पत्र भी जारी कर दिया है। अब डीईईओ के पास ही डीईओ का अतिरिक्त चार्ज रहेगा।
अधिकारी बोलने को तैयार नहीं, डीईओ का पता नहीं चला
रिश्वत प्रकरण मामले में अब तक डीईओ का पता नहीं लग सका है। विजिलेंस की कार्रवाई पर भी सवालिया निशान लग रहा है, क्योंकि अब तक रिकार्ड लेने के अलावा कुछ कार्रवाई विभाग ने नहीं की है और न ही कहीं दबिश देने का काम किया है। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
विजिलेंस इंस्पेक्टर संजीव कुमार ने बताया कि अब तक डीईओ का पता नहीं लगा है। उनकी तलाश जारी है।
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