1900 से अधिक पद खाली, कैसे होगी विद्यार्थियों की पढ़ाई

1900 से अधिक पद खाली, कैसे होगी विद्यार्थियों की पढ़ाई

जागरण संवाददाता, जींद : जिले में शिक्षकों के विभिन्न कैटेगरी के लगभग 1900 से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं। ऐसे में जब परीक्षाएं सिर पर हैं, तो विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई को लेकर दिक्कतें आ रही हैं। कोई ट्यूशन के जरिये तो कोई अतिरिक्त समय देकर तैयारी करने में जुटा हुआ है। शिक्षकों के पद खाली होने की परेशानी कोई नई नहीं है, लेकिन विभाग को जानकारी होने के बावजूद इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है और इसका सीधा असर परीक्षा परिणामों पर पड़ता है। हाल में 10वीं और 12वीं का कम परीक्षा परिणाम भी शिक्षकों की कमी एक मुख्य कारण सामने आया है।
जिले में जेबीटी से लेकर ¨प्रसिपल और हेडमास्टर तक के 7573 पद नियमित स्वीकृत हैं। इसमें से 4985 पर ही नियमित शिक्षक काम कर रहे हैं। इसके अलावा 652 पदों पर गेस्ट टीचर कार्यरत हैं। इसके चलते 1936 पद विभिन्न कैटेगरी के शिक्षकों के खाली पड़े हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रहा है। शिक्षा निदेशालय को जानकारी होने के बाद भी ऐसा हो रहा है। यही नहीं कई-कई स्कूलों में तो एक ही विषय के दो से तीन शिक्षक पढ़ा रहे हैं, लेकिन कई स्कूलों में उन विषयों के पद खाली पड़े हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

हर कैटेगरी में पद खाली
जिले में हर कैटेगरी में पद खाली हैं। सबसे ज्यादा पद लेक्चरार के खाली हैं। जिले में लेक्चरार के कुल 1841 पद हैं, जिसे से 1018 पर ही वह कार्यरत हैं और लगभग 700 के करीब पद खाली पड़े हुए हैं। यही स्थिति मास्टरों की है। मास्टरों के कुल 1505 पद हैं, जिसमें से 830 पर कार्यरत हैं और 350 पद खाली हैं। इसी प्रकार से सीएंडवी के कुल 1305 में से 895 पर ही शिक्षक कार्यरत हैं और 350 पद खाली पड़े हैं।
मुखिया के पद भी रिक्त
जिले में स्कूल मुखिया के पद भी खाली पड़े हुए हैं। जिले में ¨प्रसिपल के कुल 98 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 81 पर ही कार्यरत हैं। 17 पद खाली पड़े हैं। इसी प्रकार से हेडमास्टर के कुल 119 पद है, जिसमें से 64 पर ही कार्यरत हैं। बाकी 53 पद खाली पड़े हुए हैं|
मिडिल स्कूलों में नहीं हिंदी का पद
प्रदेश भर के मिडिल स्कूलों में हिन्दी पढ़ाने का काम संस्कृत विषय के अध्यापक के सिर पर है। यदि संबंधित स्कूल में संस्कृत और हिन्दी का शिक्षक नहीं है, तो बच्चों को सामाजिक विज्ञान के शिक्षक को ही यह विषय पढ़ाने पढ़ रहे हैं। जिले में कुल 98 मिडलि स्कूल हैं, लेकिन दो साल से इनमें हिन्दी का विषय पद ही नहीं है। वर्ष 2012 में नई शिक्षा नीति नियमों के बाद ऐसा किया गया। नए नियमों के तहत मिडिल स्कूलों में विषयों के ग्रुप बनाए दिए गए और उन पदों के हिसाब से शिक्षकों के पद मिडिल स्कूलों में रखे गए हैं।
स्लेबस भी नहीं हुआ पूरा
शिक्षा विभाग हर माह परीक्षाएं ले रहा है, लेकिन छुट्टियों व अन्य गैर शैक्षणिक कार्यो में अध्यापकों के व्यस्त रहने के कारण पूरा स्लेबस तक नहीं हो पाता है। हाल ही में जनवरी माह में भी चुनाव में अधिकतर शिक्षक व्यस्त रहे और स्लेबस भी पूरा नहीं हो सका। ऐसे में बार-बार परीक्षाओं के चलते समय अधिक खराब होता है और तैयारी नहीं हो पाती।
थ्री टायर पद्धति अब तक उलझी
शिक्षा विभाग ने थ्री टायर पद्धति लागू करने के आदेश जारी कर रखे हैं, लेकिन आज तक यह उलझी हुई है और थ्री टायर के हिसाब से बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। सबसे ज्यादा समस्या नौवीं से बारहवीं के बच्चों की पढ़ाई को लेकर हो रही है, क्योंकि विभाग ने छठीं से आठवीं का जिम्मा मास्टर के जिम्मे व नौवीं से बारहवीं का लेक्चरार के जिम्मे सौंपा हुआ है, लेकिन कई हाई स्कूलों में अब भी मास्टर या लेक्चरार ही नौवीं व दसवीं को पढ़ा रहे हैं। बार-बार जारी होते दिशा-निर्देशों ने बच्चों की पढ़ाई प्रभावित करके रख दी है।।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in Haryana news (Recruitment , vacancy , job , news)

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