हरियाणा में भाजपा की सरकार के सत्ता में आने के बाद कुछ समय पहले ही गौ-संवर्धन एक्ट को लागू किया गया है। इसके अलावा हरियाणा ने सबसे पहली बार न केवल गायों के लिए आधार कार्ड (शिनाख्त कार्ड) योजना को लागू किया है बल्कि पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए गायों तथा अन्य पशुओं के लिए फैशन शो का भी आयोजन किया जा रहा है।
प्रदेश में लावारिस पशुओं की समस्या दिनों-दिन गंभीर रूप धारण करती जा रही है। विधानसभा में बजट सत्र के दौरान प्रदेश के कृषि एवं पशु पालन मंत्री ओ.पी.धनखड़ ने एक संभावित सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बताया कि राज्य में इस समय एक लाख 17 हजार 209 लावारिस पशु हैं। जिनमें 84 हजार 500 ग्रामीण तथा 32 हजार 500 शहरी क्षेत्र से संबंधित हैं। धनखड़ ने बताया कि राज्य में चल रही करीब 400 गौ-शालाओं में इस समय करीब तीन लाख गौ-वंश हैं। जिनमें 50 हजार के करीब देसी गाय हैं।
प्रदेश में देसी नस्ल की गाय लगातार लुप्त होती जा रही है। देसी नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार ने गौ-शालाओं में पल रही देसी गायों को सेरोगेट मदर के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया है। हरियाणा सरकार गौशाला में रहने वाली देसी गायों का स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के बाद सेरोगेट मदर हेतु चयन किया जाएगा। धनखड़ ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा बहुत जल्द गौशालाओं के भीतर रहने वाले तथा सडक़ों पर लावारिस घूम रहे पशुओं की गणना करवाते हुए उन्हें शिनाख्ती टैग लगाए जाएंगे। दूसरे चरण में पालतु पशुओं को भी सरकार द्वार टैग लगाकर रिकार्ड तैयार किया जाएगा। इस दिशा में काम शुरू हो चुका है।
क्या है सेरोगेट मदर
सेरोगेसी शब्द लैटिन भाषा के शब्द (सबरोगेट) से आया है जिसका अर्थ होता है किसी और को अपने काम के लिए नियुक्त करना। इस पद्धति में संतान सुख के इच्छुक दंपति में से नर के शुक्राणुओं को एक स्वस्थ महिला के अंडाणु के साथ प्राकृतिक रूप से निषेचित किया जाता है। शुक्राणुओं को सेरोगेट मदर के नेचुरल ओव्युलेशन के समय डाला जाता है। इसमें जेनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है।
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