चंडीगढ़ : हरियाणा हर स्तर पर प्रतिस्पर्धा और आगे बढ़ने का दावा तो करता है, लेकिन यह जानकर हैरानी होगी कि यहां के स्कूलों में अंग्रेजी विषय के शिक्षकों के पद ही स्वीकृत नहीं हैं। सामाजिक अध्ययन के शिक्षकों से ही इसकी पढ़ाई कराई जा रही है। सरकारी स्कूल सुविधाओं के साथ-साथ शिक्षकों की कमी से भी जूझ रहे हैं। प्रदेश में कक्षा एक से दसवीं तक के 15 हजार स्कूल हैं। इनमें 8890 प्राथमिक स्कूल, 5500 मिडल स्कूल और बाकी हाई स्कूल है, लेकिन अंग्रेजी विषय के शिक्षक का पद किसी भी स्तर पर स्वीकृत नहीं है। उसकी जगह सामाजिक अध्ययन के शिक्षक से यह काम लिया जाता है। वर्ष 2000 में इनेलो के शासनकाल में जब अंग्रेजी शिक्षकों की भर्ती की बात हुई थी, तब लगा था कि सरकारी स्कूल के बच्चे भी प्राइवेट स्कूलों की भांति फर्राटेदार अंग्रेजी बोलेंगे। बाद में हुड्डा सरकार ने नारा दिया कि हम अंग्रेजी शिक्षकों की भर्ती करेंगे। भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने भी कहा कि हम पहली एलकेजी व यूकेजी से अंग्रेजी विषय आरंभ करने जा रहे हैं, जबकि पिछले 12 वषों से अंग्रेजी विषय पहली कक्षा से अनिवार्य विषय है, लेकिन शिक्षकों के अभाव में अंग्रेजी विषय में बच्चे पिछड़ रहे हैं। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रधान विनोद ठाकरान और महासचिव दीपक गोस्वामी ने बताया कि प्राथमिक स्तर पर 60 प्रतिशत शिक्षक अंग्रेजी भाषा में स्नातक हैं, जिसमें से 50 प्रतिशत अंग्रेजी भाषा के प्रध्यापक पद की योग्यता रखते हैं। अगर सरकार अंग्रेजी विषय के मास्टर पद को स्वीकृति देती है तो प्राथमिक स्तर के शिक्षकों को इस विषय पर पदोन्नत कर उनके अनुभव का लाभ लिया जा सकता है।
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