हरियाणा की बेटी साक्षी मालिक ने कुश्ती में कांसा जीत रियो ओलंपिक में देश का पदकों का सूखा समाप्त किया ही, साथ में रक्षाबंधन पर्व पर 125 करोड़ भारतीयों को नायाब तोहफा भी दिया है। यह पदक हरियाणा ही नहीं पूरे देश की बेटियों के लिए एक नई राह खोल देगा। दुनिया को हरियाणा के बारे में सोचने का नया नजरिया देगा। कभी छुईमुई सी रहने वाली साक्षी ने अपनी जिजिविषा से अपनी ही नहीं देश की 60 करोड़ से अधिक बेटियों को नई सोच और नई दिशा दी। पहली बार ओलंपिक दल में हरियाणा की भी 11 बेटियां शामिल हुईं थी। कुश्ती के अलावा हॉकी से लेकर एथलेटिक्स में बेटियां जौहर दिखाने पहुंची। 36 साल बाद महिला हॉकी टीम ओलंपिक तक पहुंची उसमें भी हरियाणा की बेटियों का जज्बा ही था।1 खेलों ने प्रदेश की बेटियों के लिए अलग राह खोल दी है। शिक्षा व संस्कृति के क्षेत्र में तो बेटियां पहले से ही अव्वल स्थान पा ही चुकी हैं। अब खेल में उनकी चमक आम जनमानस की सोच निश्चित तौर पर बदल देगी। गांव की चौपाल व पगडंडी से निकलकर बेटियां सामने आ रही हैं। इस पदक का पूरा हरियाणा एकजुट होकर बेसब्री से इंतजार कर रहा था। इस तरह बेटी ने हरियाणा के दिलों के तार का फिर से ङिांझोड़ दिया, जो कुछ माह पूर्व हुई अनहोनी के कारण दर्द में डूबे थे। निश्चित तौर पर यह पदक ‘हरियाणा एक, हरियाणवी एक’ के नारे को संबल प्रदान करेगा। अब समय आ गया है कि जश्न के साथ फिर से मंथन करें और मिलकर आगे बढ़ने निर्णय लें। साथ ही बेटियों को आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर देने होंगे ताकि वे सफलता के यूं ही नए कीर्तिमान स्थापित कर देश को जश्न मनाने का अवसर प्रदान करती रहें।
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