भिवानी सीआईए कार्यालय में भिवानी एसआईटी के हाथ लगी कामयाबी के बारे में बताते हुए एसपी अशोक कुमार ने बताया कि पुलिस ने भिवानी पब्लिक स्कूल के अंदर ऑसर की को कैंडिडेट तक पहुंचाने वाले अनिल पंघाल नामक युवक को गिरफतार कर लिया है। अनिल ने ही जेमर इंचार्ज से मिलकर फर्जी पास हासिल किया था और अंदर पहुंचकर कैंडिडेट से पेपर का कोड जाना था, इसके करीबन 40 मिनट बाद वह फिर से परीक्षा केन्द्र के अंदर दाखिल हुआ और कैंडिडेट को ऑसर की थमा कर वापस आ गया। अनिल पंघाल फिलहाल रोहतक में रह रहा है, जबकि वह मूल रूप से इंद्रा कॉलोनी भिवानी का रहने वाला है। जबकि उसका साथी वीरेन्द्र उर्फ गुडडू जींद का रहने वाला है और वह दुर्जनपुर गांव के सरकारी स्कूल में बतौर जेबीटी टीचर तैनात है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ये लोग जेमर इंचार्ज से सेटिंग कर शहर के करीबन दस से 11 नामी स्कूलों में बने सेंटरों में दस से 15 उम्मीदवारों का पेपर ऑसर की के जरिए करा रहे थे। प्रत्येक केंडिडेंट से करीबन छह लाख रूपये में सौदा तय किया गया था। जबकि कुछ पैसे एडवांस भी ले लेते थे। पुलिस ने इनके कब्जे से एक लाख रूपये की राशि भी बरामद की है। जबकि एसआईटी अब अन्य पहलुओं पर भी अपनी जांच आगे बढ़ा रही है।
अब तक हो चुके हैं तीन आरोपी गिरफतार
पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार के अनुसार अब तक एचएसएससी लीक मामले में तीन आरोपी गिरफतार हो चुके हैं, इनमें दो जेबीटी टीचर व एक परीक्षार्थी नरेन्द्र भी शामिल हैं। पुलिस अब यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि इससे पहले सम्पन्न हुई चार एचएसएससी की परीक्षाओं में भी इस गिरोह ने कहीं अपना नेटवर्क तो नहीं फैलाया था। इस मामले से जुड़े कई नामों का खुलासा होना अभी बाकी हैं, जबकि उन परीक्षार्थियों की भी तलाश की जा रही है, जिन्होंने परीक्षा में पास होने का ठेका इन लोगों को दिया था।
पेपर लीकेज गेम में जेमर इंचार्ज की भूमिका भी संदेह के घेरे में
एचएसएससी पेपर लीकेज मामले में अब तक यह बात सामने आई है कि परीक्षा केन्द्र में मोबाइल जेमर लगाने वाले इंचार्ज की भी इस गोरखधंधे में मिली भगत रही है। क्योंकि उसके हिस्से भी प्रति केंडिडेट के हिसाब से 60 हजार रूपये हिस्से आते थे, जबकि केडिंडेट से छह लाख रूपये में सौदा तय किया जाता था। परीक्षा केन्द्र में फर्जी फलाइंग बनकर जाने वाला अनिल पंघाल भी जेमबर इंचार्ज से फर्जी पास हासिल कर अंदर घुसा था और अपना काम बखूबी अंजाम दे गया था। मगर किस्मत ही खराब थी कि बीपीएस स्कूल में परीक्षा डयूटी में सतर्कता बरत रही मेडम ने पूरा खेल ही बिगाड़कर एचएसएससी के बड़े स्कैंडल से पर्दाफाश कर डाला।
एचएसएससी पेपर लीकेज मामले में अब तक यह बात सामने आई है कि परीक्षा केन्द्र में मोबाइल जेमर लगाने वाले इंचार्ज की भी इस गोरखधंधे में मिली भगत रही है। क्योंकि उसके हिस्से भी प्रति केंडिडेट के हिसाब से 60 हजार रूपये हिस्से आते थे, जबकि केडिंडेट से छह लाख रूपये में सौदा तय किया जाता था। परीक्षा केन्द्र में फर्जी फलाइंग बनकर जाने वाला अनिल पंघाल भी जेमबर इंचार्ज से फर्जी पास हासिल कर अंदर घुसा था और अपना काम बखूबी अंजाम दे गया था। मगर किस्मत ही खराब थी कि बीपीएस स्कूल में परीक्षा डयूटी में सतर्कता बरत रही मेडम ने पूरा खेल ही बिगाड़कर एचएसएससी के बड़े स्कैंडल से पर्दाफाश कर डाला।
एचएसएससी परीक्षा में धांधली ने परीक्षा की पवित्रता पर भी उठाए कई सवाल
शुरूआत से ही सरकार एचएसएससी की परीक्षा को बाहरी हस्तक्षेप रहित सम्पन्न कराने के लिए दावेकर रही थी औश्र इस बार तो पुख्ता प्रबंधों की बात कही जा रही थी, मगर सारे प्रबंधों को कच्चा बताते हुए इन आरोपियों ने सरकारी तंत्र के परीक्षा चक्रव्यूह को ही धवस्त कर डाला और कई मुन्ना भाईयों के हाथों में पेपर की मास्टर की थमा दी।
शुरूआत से ही सरकार एचएसएससी की परीक्षा को बाहरी हस्तक्षेप रहित सम्पन्न कराने के लिए दावेकर रही थी औश्र इस बार तो पुख्ता प्रबंधों की बात कही जा रही थी, मगर सारे प्रबंधों को कच्चा बताते हुए इन आरोपियों ने सरकारी तंत्र के परीक्षा चक्रव्यूह को ही धवस्त कर डाला और कई मुन्ना भाईयों के हाथों में पेपर की मास्टर की थमा दी।
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