सियासी दबाव बढ़ा तो स्कूलों से वापस होने लगे नोटिस, रसूखदारों के स्कूलों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे शिक्षा अधिकारी



चंडीगढ़ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम के नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को दाखिला दिलाने के लिए शिक्षा विभाग ने भले ही करीब ढाई हजार निजी स्कूल संचालकों को नोटिस जारी कर दिए हैं। इसके बावजूद गरीबों की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रहीं। सियासी दबाव में कई रसूखदार नेताओं के निजी स्कूलों को जारी नोटिसों को वापस लेने का क्रम शुरू हो गया है। प्रदेश सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद खाली सीटें सार्वजनिक न करने वाले स्कूलों में रसूखदार नेताओं के स्कूलों का आंकड़ा भी काफी बड़ा है। सरकार ने अभिभावकों और दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के दबाव में जानकारी छुपाने वाले स्कूलों को नोटिस जारी कर मान्यता रद करने के आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन अब उन्हें अमलीजामा पहनाने में पसीने आ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, अंबाला, सिरसा और रोहतक में तो मान्यता रद करने के लिए जारी नोटिस वापस भी ले लिए गए। इन जिलों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बड़े नेताओं के निजी स्कूल ज्यादा हैं। कोटे की सीटों को सार्वजनिक नहीं किए जाने के बावजूद इन पर कार्रवाई को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी ऊहापोह की स्थिति में हैं। शिक्षा निदेशालय से तो कार्रवाई के आदेश हो चुके, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारियों के लिए इन्हें अमल में लाना चुनौती बन गया है।
रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, अंबाला, में कई स्कूलों से नोटिस वापस लिए
गरीब छात्रों को दाखिला देने में आनाकानी करने पर दिया गया था नोटिसआंदोलन के लिए मजबूर न करे सरकार : कुंडू
उधर, हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के प्रदेशाध्यक्ष सत्यवान कुंडू व प्रांतीय संरक्षक तेलूराम रामायण वाला ने प्रदेश सरकार पर निजी स्कूलों के प्रति उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हजारों स्कूलों को जो नोटिस थमाए हैं, वे गलत हैं। इनमें से 95 फीसद स्कूलों ने बीईओ या डीईओ की मेल पर खाली सीटों का ब्योरा निर्धारित समय से पहले ऑनलाइन किया हुआ है। इसके बावजूद कारण बताओ नोटिस से मान्यता रद करने की धमकी दी जा रही है। ऐसे में प्रदेश सरकार निजी स्कूलों को आंदोलन करने के लिए मजबूर कर रही है।

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