गांववासियों ने भी मेडल देकर किया सम्मानित
महम:छात्रों को नकल से दूर रखकर कामयाब बनाने की कोशिश करने वाले अध्यापक रामकिशन नेहरा शास्त्री को बोर्ड के अधिकारियों ने प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया। इसके अलावा गांव वालों ने भी इनका सम्मान मेडल देकर किया।
1972 में अध्यापक बनने के बाद रामकिशन नेहरा ने एमए की पढ़ाई छात्रों को पढ़ाते-पढ़ाते की। 65 वर्षीय रामकिशन नेहरा ¨हदी प्राध्यापक के पद पर रहकर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
मुख्यमंत्री के गांव निंदाना के रामकिशन नेहरा ने बताया कि नकल से पास होकर व्यक्ति कभी भी सफल नहीं हो सकता। उन्हें एक बार गांव के ही स्कूल में चल रही परीक्षाओं में उप निरीक्षक के पद पर भेजा गया तो एक छात्र को नकल से रोकने पर छुट्टी होते ही उसको बाप बेटे ने घेर कर पीट दिया।
इससे न तो उनके हौसले कम हुए और न ही अपनी मेहनत में कमी आने दी। इस बात का पता जब बोर्ड के अधिकारियों को लगा तो उन्हें प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया। वक्त बीत जाने के बाद ग्रामीणों ने उसकी बात को समझा तो सांसद धर्मवीर व पूर्व शिक्षा मंत्री सहित सभी सरपंच रामकिशन को मेडल से सम्मानित कर चुके हैं। रामकिशन नेहरा आज से कई साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनके अंदर छात्रों के प्रति वही उत्साह और लग्न आज भी है।
वहीं, आज समय ने करवट ली कि अध्यापक रामकिशोर नेहरा का नाम आते ही उन शिष्यों का भी सीना चौड़ा हो जाता है जो उनसे कक्षा में पढ़ाई न करने पर डांट खाते थे। यह बात इसी गांव के एक संपन्न व्यापारी ने कही। इसके अलावा अध्यापक रामकिशोर से बात हुई तो उनका कहना था कि शिष्यों को पढ़ाना इतना कठिन नहीं है जितना उन्हें सही राह पर लाना।
अगर शिष्य सही राह पर चल रहा है तो वह सफल जरूर होगा, लेकिन इस राह में कई दिक्कतें भी आती हैं। दिक्कतों से कभी भी मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। बच्चे गलतियां नहीं करेंगे तो बड़ों का काम ही खत्म हो जाएगा। हार कभी भी नहीं माननी चाहिए, अपनी सही जिद से ही हर व्यक्ति सफल हो सकता है। बस यही काम मैने भी किया है। मेरा लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ बच्चों को सही राह दिखाना है।