नई दिल्ली। केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में अब प्रत्येक वर्ष महंगाई के अनुसार बढ़ाने पर विचार कर रही है। सरकार ने बकायदा इसके लिए एक कमिटी का गठन करने जा रही है। ताकि इस बात का आकलन किया जाए कि ऐसा करना कितना तर्कसंगत होगा।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सरकार वेतन आयोग की पुरानी परंपरा को समाप्त करना चाहती है। सरकार का तर्क है कि कर्मचारियों की वेतन में नियमित रूप से प्रत्येक वर्ष इजाफा किया जाए। इसके लिए एक पैरामीटर बनाया जाए।
सातवें वेतन आयोग के मुख्य जस्टिस एके माथुर ने अपनी सिफारिश में कहा है कि सरकार और सरकारी खजाने के लिए बेहतर रहेगा कि वह हर साल केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में इजाफा करे, न कि हर दस साल में वेतन आयोग का गठन कर वेतन बढ़ोत्तरी पर फैसला ले। यही मुख्य कारण है कि इस पर सरकार ने इस तरफ आगे बढ़ने का फैसला किया है।
वित्त मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि इसके लिए हमने मंत्रालय और राज्य सरकारों से भी उनकी सलाह मांगी है। केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ने पर राज्य सरकारों को अपने कर्मचारियों को भी वेतन बढ़ाना पड़ेगा।
सरकार कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोत्तरी के लिए महंगाई का एक श्रेणी बना सकती है। इसमें खाद्य वस्तुओं से लेकर पेट्रोल और डीजल की कीमतें, कपड़े, ट्रांसपोर्टेशन, मकान के किराये और अन्य वस्तुओं के संबंधित महंगाई दर का चार्ट बनाया जाएगा। इस चार्ट के आधार पर कर्मचारियों की वेतन में बढ़ोत्तरी की जाएगी।
कमिटी तय करेगी कि महंगाई के किस वस्तु का कितना महत्व रखा जाएगा। यानी महंगाई के चार्ट में किस की कितनी हिस्सेदारी रखी जाए। हिस्सेदारी तय होने पर फिर महंगाई को लेकर कोई विवाद नहीं रहेगा। जिस हिसाब से चार्ट में बढ़ोतरी होगी, उसके अनुपात में वेतन बढ़ाने पर सहमति के साथ फैसला लिया जाएगा।
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