Haryana Gk in Hindi for HSSC exam
- ओरना- बिजाई के काम आने वाला बांस से बना एक उपकरण |
- कजावा- ऊंट की पीठ पर रखकर सामान धोने का एक साधन, जिसे प्लाण पर रखा जाता था|
- कड़बी- बाजरे/ज्वार के पोधों का भूसा|
- कढावणी- हारे में दूध गर्म करने का मटका|
- कसार/पंजीरी - आटे को भूनकर उसमें मीठा मिलकर बनाया गया सूखा पाउडर |
- कहोड- ऐसी लकड़ी जो ऊपर दो हिस्सों में बंट जाती है और जिस पर चाक लगाकर कुएं से पानी निकाला जाता है|
- कीला- हाथ से चलने वाली चक्की का धुरा जिस पर ऊपरी पाट घूमता है|
- कुंडा- मिटटी का एक पात्र जिसमें आटा गूंथा जाता था|
- कुलडा- मिटटी का मटके जैसा छोटा पात्र, जो पानी लस्सी आदि डालने के काम आता था|
- कुलड़ी- कुलडे से छोटे आकर का पात्र|
- कुस/फाल- हल में प्रयोग होने वाला लोहे का उपकरण |
- कूंची- ऊंट की सवारी करने के लिए उसके ऊपर रखा जाने वाला एक ढांचा|
- कूप/ बूंगा- चारा डालने का सरकंडों/ घासफूस से बना ढांचा|
- कोठला- अनाज डालने का मिटटी का बड़ा पात्र|
- कोठली- अनाज डालने का मिटटी का छोटा पात्र।
- खाट- चारपाई|
- खेल- पशुओं के पानी पीने की हौद|
- खोड़िया- एक नृत्य |
- गरंड- हाथ चक्की का घेरा जिसमें पिसा हुआ आटा गिरता है|
- गिर्डी- पत्थर का गोल आकर का एक उपकरण जो गहाई के काम आता है|
- गूण- कुएं से पानी खींचते समय ऊंट या बैल जिस गढ़े में जाते हैं|
- गोस्से/उपले/पाथिये- गोबर के कंडे|
- घीलडी- घी डालने का मिटटी का पात्र |
- चाक- लकड़ी का बना वह गोल चक्का जिस पर रस्सी चढ़ा कर कुंए से पानी निकाला जाता है|
- चाकी- पत्थर से बना आटा पीसने का यन्त्र|
- चीड़स- चमड़े का एक पात्र जिससे कुएं से पानी निकाला जाता था|
- चूरमा- मोटी रोटी का चूरा बनाकर उसमें घी डालकर बनाया गया व्यंजन|
- छाज- सरकंडे के उपरी हिस्से तुलियों से बना एक पात्र जो अनाज साफ़ करने के काम आता है|
- छालनी- लोहे से बना एक पात्र जो छानने के काम आता है|
- छिक्का- घी, दूध या रोटी रखने का रस्सी का जाला| पशुओं के मुंह पर लगने वाले जले को भी छिक्का कहते हैं|
- जमावनी- दूध जमाने का मटका |
- जमावनी- दूध जमाने का मटका |
- जामण- दूध ज़माने के लिए डाली जाने वाली छाछ |
- जुआ/जूडा- ऊंट अथवा बैल को हल में जोतने के लिए प्रयोग होने वाला लकड़ी का ढांचा|
- झाल/मौण- मिटटी का घड़े से बड़े आकार का बर्तन|
- झावला- दूध गर्म करने के मटके (कढ़ावनी) को ढकने का मिटटी का पात्र जिसमें भाप निकलने को छेद होते थे|
- झावली- मिटटी का एक पात्र, जिसमें सामान डालते थे|
- टोकनी- पीतल का घड़ा|
- ढाणा- कुएं से चीड़स से पानी निकाल कर जिस हौद में डाला जाता है|
- तूड़ी- गेंहूँ/जौ के पोधों का भूसा|
- दुबका- ऊंट या किसी अन्य पशु के पैरों को बांधना ताकि वह भाग न सके|
- दोघड- सिर पर ऊपर नीचे एक साथ दो घड़े|
- धोरा/धाना- खेतों में पानी बहाने का नाला|
- नलाव/नलाई/निनान- फसल
- नांगला- रई को सीधी रखने के लिए डाले जाने वाले दो रस्से |
- नेता- हाथ से दूध बिलोने की रई को घुमाने वाला रस्सा|
- नोट- मिटटी के मटके आदि बर्तन बनाने का यंत्र भी चाक कहलाता है|
- न्याणा- गाय का दूध निकालने के पूर्व उसके पिछले पैरों को बांधने का रस्सा|
- पंखी- हाथ से हवा करने की घूमने वाली पंखी|
- पंजवाल- खेत में पानी देने वाला|
- पनघट- वह सार्वजानिक कुआं जहाँ से पीने का पानी लाया जाता था|
- पनिहारन-कुएं से पानी लाने वाली|
- पांत/सीरा- आटे को भूनकर उसमें मीठा पानी मिलाकर बनाया गया पतला व्यंजन
- पाली- पशु चराने वाला|
- पूली- फसल की कटाई से समय कुछ मात्र के एक साथ बांधे गए पौधे |
- प्लाण- गाडी में जोतने से पहले ऊंट की पीठ पर रखा जाने वाला एक लकड़ी का ढांचा |
- बटेऊ- दामाद
- बधाण- ऊंट/बैल गाडी, ट्रक्टर ट्राली या ट्रक आदि में लादे गए सामान को बांधने का रस्सा
- बरवा- मिट्टी का एक बर्तन |
- बरही/नेजू- कुएं से पानी खींचने की मोटी रस्सी|
- बांठ/ चाट- पकाकर पशुओं को डाली जानी वाली खाद्य सामग्री, जैसे बिनोले, ग्वार, चने आदि|
- बिजंडी- बीज डालने का थैला या अन्य पात्र|
- बिजणा- हाथ से हवा करने का पंखा|
- बिटोड़ा- गोसे/ उपलों का व्यवस्थित ढेर|
- बिलोवना/बिलोवनी- दूध बिलोने के लिए प्रयोग होने वाला मटका|
- बींड- ऊंट को हल में जोतने के लिए प्रयोग होने वाला रस्सों का जाल |
- मंडासा- कुएं के उपरी हिस्से पर बनायीं गयी दीवार|
- मन्जोली- मुज़ की गठरी|
- मूंज- सरकंडों में से निकला गया वह हिस्सा जिससे रस्सी बनती है|
- मांडना- गेरू या रंगों से दीवारों पर की जाने वाली चित्रकारी|
- मानी- हाथ चक्की के ऊपरी पाट में लगने वाला लकड़ी का टुकड़ा जो कीले पर टिकता है|
- मूंज- सरकंडों में से निकला गया वह हिस्सा जिससे रस्सी बनती है|
- मोगरी- मूंज. फसल आदि को कूटने की मोटी लकड़ी|
- रई- दूध बिलोने का लकड़ी का यन्त्र|
- रहट- बैलों की मदद से कुएं से पानी निकालने का एक यन्त्र|
- राछ- औजार |
- रास- ऊंट की लगाम।
- लनीहार- दुल्हन को लेने आया मेहमान|
- लापसी- आटे को भूनकर उसमें मीठा पानी मिलाकर बनाया गया गाढा व्यंजन|
- सत्तू- भूने हुए जौ का आटा|
- सरकंडा/झूंडा/झूंड - एक प्रकार का पौधा जिस के तने और पत्ते छप्पर आदि बनाने काम में लिए जाते हैं|
- सांकल- दरवाजे की कुण्डी|
- साथिये- स्वस्तिक आदि |
- सिकोरा- मिटटी का एक बर्तन|
- सीठना- दामाद को गीत के रूप में दी जाने वाली गालियाँ |
- सुराही- लम्बी गर्दन और बीच में पानी निकालने के छेड़ युक्त घड़े के आकर का मिटटी का पात्र|
- सूड़- खेत में हल चलाने से पहले की जाने वाली कटाई-छंटाई|
- हलसोतिया- बिजाई शुरू करने के दिन का उत्सव||
- हाथेली- हल का वह भाग जिसे पकड़ कर हल चलाया जाता है|
- हारा- गोबर के कंडे (उपले) जलाकर कुछ पकाने का स्थान |
- हारी- कपडे या घास से बना गोल घेरा जिस पर गर्म बर्तन रखा जाता था|
- हाली- हल चलाने वाला|
- हरियाणा के तथ्य
- HSSC Haryana part 1 GK
- हरियाणा में प्रथम
- हरियाणा के प्रसिद्ध स्थल
- हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की सूची समय सहित
- प्रदेश में बनीं 10 तहसील, 3 नई सब-तहसील
- हरियाणा के शहरों के उपनाम
- Haryana vehicle number plate and codes
- Haryana Gk हरियाणा के मुख्य जीव अभयारण्य व प्रजनन केंद्र
- हरियाणवी संस्कृति और उसके शब्द अर्थ
जले का क्या अर्थ होता है
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