भिवानी:हर गांव को 100 फीसद साक्षर करने के लिए भले ही बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हों लेकिन प्रेरकों को हटाने के बाद यह लक्ष्य जल्द हासिल हो पाएगा ऐसा नहीं लगता है। सरकार ने वित्तीय कारणों का हवाला देकर प्रदेश में कार्यरत 5018 प्रेरकों को इसी साल 5 जून को हटा दिया था। राज्य साक्षरता प्राधिकरण मिशन अथारिटी हरियाणा ने अब स्कूलों के माध्यम से 15 से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों को 100 फीसद साक्षर करने का लक्ष्य रखा है। खास बात यह है कि न कक्षाएं लगी और न ही किसी प्रकार के संसाधन मुहैया करवाए गए।
जब प्रेरकों के होते पांच साल में 100 फीसद साक्षरता दर हासिल नहीं हो सकी तो अब बिना किसी प्रकार के संसाधनों के यह लक्ष्य कैसे हासिल हो पाएगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने पत्र क्रमांक केड्ब्ल्यू 1/8-2011 एसबीएम (2) के तहत के तहत जिला शिक्षा अधिकारियों, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को जारी पत्र में बताया गया कि स्कूल मुखिया किसी अध्यापक को नोडल अधिकारी बनाए। वह गांवों में निरक्षरों का चयन करेगा। वह गांव के किसी स्वयं सेवक की पहचान करेगा और इस मिशन का दायित्व सौंपेगा। इस बारे में 15 जून तक कार्यालय में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया। इतने थोड़े समय में निरक्षरों को कैसे 100 फीसद साक्षर किया जा सकेगा समझ से परे है।
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