प्रदेश में आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए ' हमारी फुल्लवारी ' स्कीम लागू



चंडीगढ़:हरियाणा में आंगनवाड़ी केन्द्रों को और अधिक प्रभावी व सभी सुविधाओं से बाल मैत्री बनाने और इन केन्द्रों को आधुनिकीकृत पद्धति पर रूपांतरित करने के लिए राज्य सरकार ने आंगनवाड़ी अडोप्शन प्रोग्राम ‘हमारी फुल्लवारी’ स्कीम को लागू किया है ताकि अभिभावक अनौपचारिक प्री-स्कूल एजुकेशन के लिए अपने बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्रों में भेजने पर गर्व महसूस कर सकें। 
महिला एवं बाल विकास विभाग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य के विकास में योगदान के लिए पंचायत, नगर परिषद, व्यक्तिगत महानुभावों, कॉर्पोरेट क्षेत्र और नागरिक संगठनों के लिए यह योजना एक अनूठा माध्यम सिद्ध होगी।
उन्होंने कहा कि इस योजना के उद्देश्यों में आंगनवाड़ी केंद्रों की मजबूत भौतिक और डिजिटल अवसंरचना, बचपन की शिक्षा व देखभाल, पोषण व स्वास्थ्य शिक्षा, बाल अधिकार व महिला अधिकारों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं/सहायकों और पर्यवेक्षकों की क्षमता का विकास करना शामिल हैं। यह योजना आंगनवाड़ी केंद्रों के लाभार्थियों की शिक्षा और कौशल विकास के लिए तकनीकी इनपुट भी प्रदान करेगी।
प्रवक्ता ने बताया कि पंचायतें, नगर परिषद, व्यक्तिगत व्यक्तित्व, कॉर्पोरेट क्षेत्र, नागरिक संगठन और समुदाय इन आंगनवाड़ी केन्द्रों की इमारतों को पूरा करने या उनका आंशिक निर्माण कराने, आंगनवाड़ी केन्द्रों की दीवारों पर बाल-अनुकूल चित्रकला कराने, भौतिक बुनियादी ढांचे का निर्माण या नवीकरण करवाकर सहयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, वे आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के अनुकूल शौचालय, आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए फेनाइल और साबुन प्रदान करने, मच्छर या मक्खी पकडऩे वाला उपकरण प्रदान करने, कक्षा/रसोईघर का निर्माण या नवीनीकरण करवाकर, खेल उपकरण प्रदान करके और स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करके आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिए योगदान कर सकते हैं। वे सौर पैनलों, जल संग्रहण सुविधाओं, फर्नीचर, विद्युत फिटिंग, टीवी और पंखे जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, खाना पकाने और बर्तन प्रदान करने और गार्डनिंग के लिए पौधारोपण में योगदान भी दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य उपकरण के रूप में वजन मशीन दान करके भी योगदान किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, वे आंगनवाड़ी केंद्र के खिलौना बैंक में खिलौने दान कर, आंगनवाड़ी केंद्रों में कठपुतली शो, नाटक, कार्टून फिल्मों और बच्चों के लिए कविताओं का आयोजन करके तथा संगीत उपकरण जैसे डफली, ढोलक और मजीरा तथा खेल उपकरण जैसे बॉल, बैट बॉल, स्किपिंग रोप और बैडमिंटन प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि आंगनवाड़ी केंद्रों में ब्लैक बोर्ड या डिस्प्ले बोर्ड भी प्रदान किये जा सकते हैं। वार्षिक खेल प्रतियोगिताओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने के साथ-साथ परियोजना स्तर या जिला स्तर पर कम्प्यूटर युक्त कम्प्यूटर प्रयोगशाला स्थापित करके सॉफ्टवेयर, प्रिंटर, स्कैनर, इंटरनेट और अन्य उपकरण लगाकर भी इन आंगनवाड़ी केन्द्रों का योगदान किया जा सकता है। 
प्रवक्ता ने बताया कि लाभार्थियों को गेहूं, दाल, ताजे फल और सब्जियां प्रदान करके पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत योगदान भी किया जा सकता है। इसके अलावा, सहायक गतिविधियां के माध्यम से योगदान किया जा सकता है, आंगनवाड़ी केन्द्रों के लिए बिजली बिलों की अदायगी करके और आंगनवाड़ी केंद्रों में महिलाओं और बच्चों को सुविधाएं प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहित व पे्ररित करके योगदान दिया जा सकता है। 
उन्होंने कहा कि आवेदक अपने आवेदन को संबंधित महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी (डब्ल्यूसीडीपीओ) को सौंपेंगे, जिसे डीपीओ द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। दानकर्ता और महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया जाएगा। योगदानकर्ता द्वारा दी जाने वाली सहायता के प्रत्येक कार्य का विस्तृत विवरण दिया जाएगा और किस प्रकार का योगदान है, उसका भी उल्लेख किया जाएगा। योगदान के रूप में प्राप्त वस्तुओं की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी के रजिस्टर में स्टॉक इन्टरी की जाएगी। 
उन्होंने कहा कि एक लाख रुपये से अधिक की दान की गई वस्तुओं के सम्बंध में दानकर्ता का नाम आंगनवाड़ी केन्द्र में प्रदर्शित किया जाएगा और उसे महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी द्वारा प्रशंसा प्रमाण- पत्र जारी कया जाएगा। इसके अतिरिक्त, जिला स्तर पर आधिकारिक कार्यक्रमों और कार्यों के लिए उन्हें विशेष निमंत्रण दिया जाएगा।

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