आयात घटा, निर्यात बढ़ा
एक्सपोर्ट की बात करें तो अगस्त में ये 10.3 फीसदी बढ़ा जबकि भारत का कुल इंपोर्ट
21 फीसदी बढ़कर 3,546 करोड़ डॉलर के पार चला गया।
करंट अकाउंट घाटा बढ़ा यह घाटा अप्रैल-जून में बढ़कर जीडीपी का 2.4 फीसदी हो गया। व्यापार घाटा बढ़ने की वजह से यह 1430 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया, जो इकॉनमी के लिए अच्छी खबर नहीं है।
फैक्ट्रियों में छाई सुस्ती
जुलाई में औद्योगिक उत्पादन की ग्रोथ 1.2 % रही। अप्रैल-जुलाई में IIP ग्रोथ 6.5% घटकर 1.7% रह गई। मतलब, मार्केट में डिमांड नहीं है।
जुलाई में औद्योगिक उत्पादन की ग्रोथ 1.2 % रही। अप्रैल-जुलाई में IIP ग्रोथ 6.5% घटकर 1.7% रह गई। मतलब, मार्केट में डिमांड नहीं है।
कोर सेक्टर हुआ बीमार
कोर सेक्टर की ग्रोथ जुलाई में 2.4% रही, जो उम्मीद से काफी कम है। नैचुरल गैस, स्टील, बिजली, कोयला जैसे सेक्टरों में सुस्ती से चिंता बढ़ी।
कोर सेक्टर की ग्रोथ जुलाई में 2.4% रही, जो उम्मीद से काफी कम है। नैचुरल गैस, स्टील, बिजली, कोयला जैसे सेक्टरों में सुस्ती से चिंता बढ़ी।
महंगाई बढ़ने से परेशानी
रिटेल महंगाई दर अगस्त में 3.36% हो गई, जो जुलाई में 2.36% थी। थोक महंगाई दर भी अगस्त में चार महीने के टॉप पर पहुंच गई।
रिटेल महंगाई दर अगस्त में 3.36% हो गई, जो जुलाई में 2.36% थी। थोक महंगाई दर भी अगस्त में चार महीने के टॉप पर पहुंच गई।
आर्थिक वृद्धि दर घटी
2018 की पहली तिमाही में जीडीपी 3 साल में सबसे कम 5.7% हो गई जबकि पिछले साल अप्रैल-जून में जीडीपी ग्रोथ 7.9% रही थी।
विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
देश की इकॉनमी में स्लोडाउन की आहट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। सरकार को लग रहा है कि इकॉनमी की ग्रोथ को न बढ़ाया गया, महंगाई को काबू में न किया गया तो उसे आर्थिक मोर्चे के साथ साथ राजनीतिक मोर्चे पर भी नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में उच्च्स्तरीय बैठक में मंथन किया गया।
सूत्रों के अनुसार, समीक्षा बैठक में इन सवालों के जवाब तलाशने की कवायद हुई। क्या नोटबंदी के वाकई असर इकॉनमी पर पड़ा है/ क्या इसके कारण जीडीपी में कमी आई है/ जीएसटी का इकॉनमी और मार्केट पर कितना असर हुआ है/ क्या जीएसटी के कारण महंगाई बढ़ रही है और इसके आगे बढ़ने की आशंका है/ सूत्रों के मुताबिक, जेटली ने कहा कि इकॉनमी को मजबूत करने के लिए पॉजिटिव आइडिया और ठोस कदमों की जरूरत है। इसके लिए सभी मंत्रालयों को एकजुट होकर काम करना होगा। बैठक में जेटली के अलावा वाणिज्य मंत्री, रेल मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष आदि भी शामिल हुए। पहले यह बैठक पीएम लेने वाले थे।
2018 की पहली तिमाही में जीडीपी 3 साल में सबसे कम 5.7% हो गई जबकि पिछले साल अप्रैल-जून में जीडीपी ग्रोथ 7.9% रही थी।
विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
देश की इकॉनमी में स्लोडाउन की आहट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। सरकार को लग रहा है कि इकॉनमी की ग्रोथ को न बढ़ाया गया, महंगाई को काबू में न किया गया तो उसे आर्थिक मोर्चे के साथ साथ राजनीतिक मोर्चे पर भी नुकसान हो सकता है। यही कारण है कि मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में उच्च्स्तरीय बैठक में मंथन किया गया।
सूत्रों के अनुसार, समीक्षा बैठक में इन सवालों के जवाब तलाशने की कवायद हुई। क्या नोटबंदी के वाकई असर इकॉनमी पर पड़ा है/ क्या इसके कारण जीडीपी में कमी आई है/ जीएसटी का इकॉनमी और मार्केट पर कितना असर हुआ है/ क्या जीएसटी के कारण महंगाई बढ़ रही है और इसके आगे बढ़ने की आशंका है/ सूत्रों के मुताबिक, जेटली ने कहा कि इकॉनमी को मजबूत करने के लिए पॉजिटिव आइडिया और ठोस कदमों की जरूरत है। इसके लिए सभी मंत्रालयों को एकजुट होकर काम करना होगा। बैठक में जेटली के अलावा वाणिज्य मंत्री, रेल मंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष आदि भी शामिल हुए। पहले यह बैठक पीएम लेने वाले थे।
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