कभी जिला कोर्ट तक नहीं देखा...स्कूल सुधारने के लिए हाईकोर्ट पहुंच गए 7 बच्चे



कैथल:बालू के सरकारी स्कूल में कक्षा छठी का छात्र अंकुश, सातवीं के अमन, मनजीत सौरभ, नौंवी का अभिषेक और दसवीं के संजीत मोहित, ये वो छात्र हैं जिन्होंने सरकार को हाईकोर्ट के कटघरे में खड़ा किया है। सभी विद्यार्थी किसान मजदूर परिवारों से हैं, किसी ने कभी जिला कोर्ट भी नहीं देखा, लेकिन स्कूल बिल्डिंग टीचरों की मांग के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने भी याचिका पर संज्ञान लेकर सरकार को फटकार लगाते हुए स्कूलों में शिक्षकों की स्थिति पर शपथ पत्र मांगा है।
याचिका दायर करने वाले विद्यार्थियों ने बताया कि स्कूल की इमारत काफी पुरानी है और लेंटर गिर रहा है, शिक्षक पूरे नहीं। शौचालयों की ठीक सुविधा नहीं। बच्चे 4 हजार टीडीएस युक्त खारा पानी पीकर कई बार बीमार हो चुके हैं। बिजली कटों के कारण एजुसेट नहीं चल पाता। छुट्टी होने के बाद बिजली आती है। कहने को जनरेटर की सुविधा है, लेकिन चलाने के लिए ईंधन नहीं है। साथ लगते तालाब का पानी भी स्कूल में घुस जाता है। बीईओ डीईओ को शिकायत देने के बाद भी सुनवाई नहीं हुई। पंचायत ने समाधान नहीं किया। इस बारे में स्कूल में बातचीत करते थे। परिवार वालों ने जनहित याचिका दायर करने का सुझाव दिया। पिछले ही दिनों एक बच्चे की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी। गांव के ही वकील प्रदीप रापड़िया से सलाह मशविरा करने के बाद हाईकोर्ट में याचिका डाली। हाईकोर्ट के संज्ञान के बाद गुरुवार को कई अधिकारी स्कूल में पहुंचे तो उन्हें सुविधाएं मिलने की उम्मीद जगी है।
हाईकोर्ट की ओर से अभी तक नोटिस नहीं मिला है। 8 कमरों को कंडम घोषित किया जा चुका है। नए कमरे बनाने के लिए निदेशालय के पास प्रपोजल भेजा हुआ है। 1.4 करोड़ रुपए खर्च करके 11 कमरे, 6 शौचालय, चारदीवारी, पानी की दो टंकी गली बनाई जाएंगी- शमशेर सिंह सिरोही, डीईओ कैथल
स्कूल आजादी से पहले का है। पहले छोटा था, वर्ष 1952 में वर्तमान जगह पर शुरू हुआ। 1974 में पंचायत ने 8 कमरे बनवाए। 1991 में बने कमरों की हालत भी खस्ता हैं। इस समय 15 कमरे जर्जर हैं। कुछ कमरों को स्टोर साइकिल स्टैंड के तौर पर प्रयोग हो रहे हैं।
90 के दशक में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बालू की पहचान अच्छे स्कूल में होती थी। पूर्व छात्र गांव के आरटीआई एक्टिविस्ट गुरदेव सिंह ने बताया कि 1991 में स्कूल को दसवीं से बढ़ाकर 12वीं तक किया गया। उस समय पड़ोसी गांव चौशाला, वजीर नगर, कसान, देवबन, सहारण, तारागढ़, बढ़सीकरी कलायत से विद्यार्थी साइकिलों पर बालू में पढ़ने पहुंचते थे। सुविधाएं घटती गईं तो विद्यार्थी की संख्या भी 1200 से घटकर 325 रह गई। पूर्व डीजीपी बलबीर सिंह, रिटायर कर्नल ईश्वर सिंह इसी स्कूल में पढ़े। अब यहां प्रिंसिपल भी नहीं। हेड टीचर को ही क्लर्क का काम संभालना पड़ता है। शिक्षकों के 18 में से 8 पद खाली हैं। बीते सेशन में दसवीं में 35 में से 30 विद्यार्थी फेल हो गए।

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