केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय की पीएचडी प्रवेश परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग होगी। गोरखपुर यूनिवर्सिटी और कानपुर यूनिवर्सिटी ने पीएचडी अध्यादेश में बदलाव भी कर दिया है। अब राज्यपाल से मंजूरी का इंतजार है। संशोधित अध्यादेश को मंजूरी मिलते ही नए नियम से पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी। नेगेटिव मार्किंग के जो नियम बने हैं, उसके मुताबिक एक सवाल का गलत जवाब देने पर सही जवाब से एक मार्क्स कट जाएंगे।
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने पीएचडी की प्रवेश परीक्षा को कठिन बना दिया है। अब परीक्षा में 55 फीसदी मार्क्स पाने वाले अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण माने जाएंगे। एडमिशन से पहले 6 महीने की सेमेस्टर पढ़ाई करनी होगी, फिर दो अलग-अलग पेपर देने पड़ेंगे। अच्छा प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थियों को सिनॉप्सिस और थीसिस बनाने का मौका मिलेगा। ओबीसी, एससी और एसटी के लिए क्वालिफाइंग मार्क्स 50 फीसदी हैं।
दो शिक्षक वाला कॉलेज बनेगा पीएचडी का स्टडी सेंटर
UGC के मुताबिक जिस कॉलेज में एक सब्जेक्ट के दो शिक्षक होंगे उन्हीं को पीएचडी का स्टडी सेंटर बनाया जा सकेगा। एक शिक्षक की तैनाती से रिसर्च स्कॉलर को परेशानी होती है। शिक्षक छुट्टी या फिर रिटायर होते हैं तो रिसर्च का काम ठप हो जाता है। दो शिक्षकों की तैनाती से इस तरह की समस्या नहीं आएगी।
अब परास्नातक कक्षा में पांच साल तक पढ़ाने का अनुभव रखने वाले नियमित शिक्षक ही पीएचडी सुपरवाइजर बन सकेंगे। यह व्यवस्था पहली बार लागू होगी। इससे पहले स्नातक कक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षक भी सुपरवाइजर बनाए जा रहे थे।
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