परीक्षा के दौरान करीब 543 केन्द्र बनाए गए थे और हर परीक्षा केन्द्र पर 16-16 सीसीटीवी कैमरे थे। इन कैमरों की कीमत से कहीं ज्यादा किराया बोर्ड प्रशासन ने कंपनी को दिया। तीनों चरणों में एक कम्पनी को प्रति कैमरा 5100 रुपये का भुगतान किया गया, जो जीएसटी जोड़ कर प्रति कैमरा 6 हजार रुपए बनता है, जबकि बाजार में सीसीटीवी कैमरा 1500 से अढ़ाई हजार के बीच मिल जाता है।
बोर्ड ने सीसीटीवी कैमरों के टैंडर में 10 लाख की कीमत तक के कैमरे किराए पर देने की शर्त को हटाकर अपनी मर्जी की फर्म को टैंडर देने का काम किया। ऑनलाइन मार्केट में एक हजार रुपये में मिलने वाले मैटल डिटेक्टर का प्रति सेंटर लगभग 27 हजार भुगतान बोर्ड ने किया।
पेपर ले जाने के लिए जो संदूक व उनके ताले खरीदे गए उनके भुगतान का रिकार्ड ही नहीं है। आरोप है कि बगैर टैंडर के ही लगभग 15 से 20 लाख के सन्दूक व ताले खरीदे गए।
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