गरीब लोगों को न्याय दिलवाने के उद्देश्य से राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने हेल्पलाइन सेवा शुरू की है, इसका टोल फ्री नंबर 1800-180-2057 है। इस पर प्रदेश भर से कोई भी व्यक्ति फोन करके नि:शुल्क कानूनी सहायता प्राप्त कर सकता है।
गुड़गांव के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव जसबीर सिंह ने बताया कि राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा पहले हेल्पलाइन नंबर 0172-2604055 पर कानूनी सहायता देने की शुरुआत की थी।
अब प्राधिकरण द्वारा एक नई हेल्पलाइन शुरू की गई है, जिसका टोल फ्री नंबर 1800-180-2057 है। इस टोल फ्री हेल्पलाइन पर प्रात: 9 बजे से रात्रि 12 बजे तक एक कर्मचारी मौजूद रहेगा, जोकि मुफ्त कानूनी सलाह के लिए आने वाले फोन को सुनेगा तथा पीड़ित पक्ष को समझकर पैनल पर रखे गए अधिवक्ता के पास कॉल ट्रांसफर करेगा। मामला उच्च न्यायालय स्तर का, जिला स्तर का या उपमंडल स्तर का, जिस भी स्तर के न्यायालय के लायक पीड़ित का मामला होगा, उसी अनुरूप पैनल पर रखे गए अधिवक्ता के साथ उसकी बात करवाई जाएगी। संबंधित अधिवक्ता पीड़ित व्यक्ति की पूरी बात सुनकर उसे नि:शुल्क कानूनी सलाह देगा। जसबीर सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस सुविधा का उपयोग अपने लंबित केसों की जानकारी तथा उन पर न्यायालय द्वारा दिए गए फैसलों का पता करने के लिए भी कर सकते हैं।
गुड़गांव के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव जसबीर सिंह ने बताया कि राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा पहले हेल्पलाइन नंबर 0172-2604055 पर कानूनी सहायता देने की शुरुआत की थी।
अब प्राधिकरण द्वारा एक नई हेल्पलाइन शुरू की गई है, जिसका टोल फ्री नंबर 1800-180-2057 है। इस टोल फ्री हेल्पलाइन पर प्रात: 9 बजे से रात्रि 12 बजे तक एक कर्मचारी मौजूद रहेगा, जोकि मुफ्त कानूनी सलाह के लिए आने वाले फोन को सुनेगा तथा पीड़ित पक्ष को समझकर पैनल पर रखे गए अधिवक्ता के पास कॉल ट्रांसफर करेगा। मामला उच्च न्यायालय स्तर का, जिला स्तर का या उपमंडल स्तर का, जिस भी स्तर के न्यायालय के लायक पीड़ित का मामला होगा, उसी अनुरूप पैनल पर रखे गए अधिवक्ता के साथ उसकी बात करवाई जाएगी। संबंधित अधिवक्ता पीड़ित व्यक्ति की पूरी बात सुनकर उसे नि:शुल्क कानूनी सलाह देगा। जसबीर सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस सुविधा का उपयोग अपने लंबित केसों की जानकारी तथा उन पर न्यायालय द्वारा दिए गए फैसलों का पता करने के लिए भी कर सकते हैं।