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कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय-दोबारा होगी एमसीए की प्रवेश परीक्षा +++जीव विज्ञान के समकक्ष नहीं पर्यावरण विज्ञान!



गुरुवार को प्रवेश परीक्षा दिए बगैर लौटाए गए थे ७० से अधिक परीक्षार्थी 
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर विभाग में गुरुवार को हुई एमसीए की प्रवेश परीक्षा से वंचित रह गए विद्यार्थियों के लिए यह खबर राहत देने वाली है। चहेतों को एंट्री बाकियों को नो एंट्री हेडिंग से छपी दैनिक भास्कर की खबर का संज्ञान लेने के बाद केयू वीसी ने एमसीए की प्रवेश परीक्षा दोबारा करवाने की बात कही है। हालांकि इस पूरे मामले में रजिस्ट्रार कार्यालय पर भी सवालिया निशान उठ रहे हैं।

गौरतलब है कि प्रवेश परीक्षा में चार चहेतों को रजिस्ट्रार कार्यालय से स्टैंप लगी होने के कारण परीक्षा में बैठाया गया था। जिसकी पुष्टि खुद विभाग के अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार ने की थी। ऐसे में यह भी जांच का विषय है कि आखिर किस अधिकारी ने अपने चहेतों की तो प्रवेश परीक्षा में एंट्री करवा दी और बाकी विद्यार्थियों को बैरंग लौटना पड़ा। जिससे उनको परेशानी का सामना करना पड़ा।
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ञ्चसुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद जीव विज्ञान के स्कूल लेक्चरर पद की योग्यता से एमएससी पर्यावरण को किया बाहर, दोबारा मांगे जा सकते हैं आवेदन 
विकास बत्तान त्न कुरुक्षेत्र

प्रदेश अध्यापक भर्ती बोर्ड की ओर से निकाले गए स्कूल लेक्चरर पदों का विवाद आवेदन की अंतिम तिथि बीतने के बावजूद थम नहीं रहा। जीव विज्ञान शिक्षक पद की योग्यता में अब तक का सबसे बड़ा पेंच सामने आया है। इसके बाद बोर्ड को दोबारा से पदों के लिए विज्ञापन जारी करना पड़ सकता है।

अध्यापक भर्ती बोर्ड ने जीव विज्ञान के पीजीटी शिक्षक पद के लिए एमएससी पर्यावरण विषय को योग्यता सूची में शामिल नहीं किया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट 2002 में एक निर्णय दे चुकी है। इसमें जीव विज्ञान के स्कूल लेक्चरर पद पर एक एमएससी पर्यावरण आवेदक के हक में फैसला सुनाया गया था। निर्णय में साफतौर पर कहा गया है कि एमएससी पर्यावरण साइंस को एमएससी बायोलॉजी के समकक्ष समझा जाए। ऐसे में अध्यापक भर्ती बोर्ड के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

फैसले का हो सम्मान : पर्यावरण शिक्षक संघ के सदस्य नरेश भारद्वाज ने कहा अध्यापक भर्ती बोर्ड ने अपने 760 जीव विज्ञान पीजीटी पदों के लिए निकाले विज्ञापन में पर्यावरण विषय को योग्यता सूची में शामिल न करके सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान नहीं किया है। नरेश भारद्वाज ने कहा कि यह महज 760 शिक्षक पदों में पर्यावरण विषय को शामिल करवाने का मुद्दा नहीं है।

बल्कि भविष्य में पर्यावरण के विद्यार्थियों को होने वाली समस्या से बचाने का मुद्दा है। उन्होंने बताया कि अध्यापक भर्ती बोर्ड के सचिव ने इस मामले में सीनियर सेकेंडरी बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के निदेशक को भी पत्र लिखकर इस विषय में उचित कार्रवाई करने को कहा है। इसकी एक प्रति उन्हें भी भेजी गई है। 

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