नई दिल्ली पैसा पानी की तरह बहाने के बावजूद गांवों और गांववालों की शक्ल-सूरत बदलने की कोशिश नाकाम होने के बाद केंद्र सरकार का भरोसा अब सरपंचों या ग्राम प्रधानों से उठ गया है। गांव को शहरों की सुविधा से लैस करने का जिम्मा अब केंद्र सरकार पेशेवर एमबीए और बी.टेक इंजीनियरों से कराएगी। ग्रामीण विकास कार्यों में सरपंचों की भूमिका सलाह देने तक ही सीमित की जाएगी। ग्रामीण बुनियादी ढांचे के प्रबंधन के लिए एमबीए और तकनीकी जरूरतें पूरी करने के लिए बी.टेक इंजीनियरों की नियुक्ति की योजना पर केंद्र सरकार तेजी से चल पड़ी है। मनरेगा, वाटरशेड, प्रोग्राम और स्वच्छता राष्ट्रीय आजीविका मिशन, इंदिरा आवास और अन्य केंद्रीय योजनाओं के संचालन का दायित्व अब इन्हीं के हाथों में होगी। एमबीए और बी.टेक की डिग्री वाले इन युवाओं की नियुक्ति की जरूरत तब महसूस की गई, जब हजारों करोड़ की ग्रामीण योजनाएं फ्लॉप हो गईं। ग्राम प्रधान, सरपंच और विकास खंडों पर तैनात कर्मचारियों व अधिकारियों की गैर पेशेवर कार्यप्रणाली से केंद्रीय योजनाओं का बंटाधार हो गया। केंद्र की वित्तीय मदद से संचालित एक दर्जन से अधिक योजनाओं में जमकर धन की बर्बादी हुई। मनरेगा जैसी भारी भरकम योजना अनियमितता की भेंट चढ़ गई। जो काम कराए गए, उनमें नियम कानून की धज्जियां तो उड़ी ही, तकनीकी गड़बडि़यां भी जगजाहिर हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने देश की सभी ग्राम पंचायतों में मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन(एमबीए) की डिग्री वाले प्रबंधक और बी.टेक वाले इंजीनियर की नियुक्ति का फैसला लिया है। अनुबंध के आधार पर होने वाली इन नियुक्तियों में एमबीए को मासिक तौर पर जहां 12 हजार रुपये वहीं बी.टेक डिग्री धारक इंजीनियर को मासिक 10 हजार रुपये मिलेंगे। राज्य सरकारें अपना योगदान देकर, इस वेतन को बढ़ा सकती हैं। केंद्र ने राज्यों से आग्रह भी किया है कि वे अपना भी हिस्सा जोड़कर नियुक्तियां करें। देश की कुल ढाई लाख ग्राम पंचायतों में ये नियुक्तियां किए जाने की योजना है। राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने इस दिशा में पहल भी कर दी है। यानी कुल पांच लाख से अधिक एमबीए और इंजीनियरों की नियुक्ति के नए अवसर भी खुल गए हैं। ग्रामीण विकास मंत्री विलास राव देशमुख ने बताया कि सरकार की इस पहल से ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण में तेजी आएगी। बगैर योजना और बिना किसी तकनीकी सलाह के कराए गए विकास कार्यो में भी सुधार किया जाएगा। युवा प्रबंधकों और इंजीनियरों के वेतन व अन्य व्यय को मनरेगा समेत अन्य योजनाओं के प्रशासनिक खर्च से समायोजित किया जाएगा।
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