पंजाब की अकाली-भाजपा सरकार पर 14000 कर्मचारियों को रेगुलर करने का दबाव बढ़ गया है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कर्मचारियों में सरकार के खिलाफ रोष भी बढ़ता जा रहा है। उन्हें डर है कि कहीं विधानसभा चुनाव की घोषणा न हो जाए और इस बार भी उन्हें निराश न होना पड़े।
सरकार हालांकि आचार संहिता लागू होने से पहले उन्हें पक्का करना चाहती है, लेकिन कई कानूनी अड़चनों के चलते ऐसा अब तक नहीं हो पाया है। इसमें बहुत से कर्मचारी ऐसे हैं, जो 20-20 साल से कॉन्ट्रेक्ट पर ही काम कर रहे हैं और उनकी आयु सीमा भी पूरी हो चुकी है, जिससे उनको रेगुलर करने में अड़चन आ रही है।
पंजाब सरकार के विभिन्न विभागों में कर्मचारी डेलीवेजिज और कॉन्ट्रेक्ट पर काम कर रहे है। इस उम्मीद के साथ कि एक न एक दिन सरकार उनको पक्का करेगी। राज्य में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन उन्हें सिवाए आश्वासन के कुछ नहीं मिला। हर सरकार ने अपने घोषणा पत्र में इन कर्मचारियों को पक्का करने की बात की, लेकिन सरकार का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी इनकी स्थिति जस की तस रही।
संघर्ष करने को मजबूर : गुरमेल सिद्धू
अकाली-भाजपा सरकार ने भी 2007 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में इनको पक्का करने का जिक्र किया था, लेकिन चार साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी इनको पक्का नहीं किया गया। कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष गुरमेल सिंह सिद्धू का कहना है कि कॉन्ट्रेक्ट या डेलीवेजिज पर रखा गया कर्मचारी भी उतना ही काम करता है, जितना कि एक रेगुलर कर्मचारी।
फिर भी सरकार लंबा समय बीत जाने के बावजूद उनको पक्का नहीं करती। कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर राज्य में कई बार धरने-प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन सरकार ने मांगे नहीं मानी हैं। अब चुनाव से पहले कर्मचारियों की मांगों को लेकर अगर सरकार ने कोई निर्णय न लिया तो कर्मचारी संघर्ष का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
याद है वादा
कर्मचारियों की मांगों को लेकर सरकार गंभीर है। अकाली-भाजपा सरकार को अपनी चुनावी घोषणाएं याद हैं। नियम के मुताबिक सरकार रेगुलर होने वाले कर्मचारियों को चुनाव से पहले पक्का कर देगी।
-सुखबीर सिंह बादल, उप मुख्यमंत्री, पंजाब।
सरकार हालांकि आचार संहिता लागू होने से पहले उन्हें पक्का करना चाहती है, लेकिन कई कानूनी अड़चनों के चलते ऐसा अब तक नहीं हो पाया है। इसमें बहुत से कर्मचारी ऐसे हैं, जो 20-20 साल से कॉन्ट्रेक्ट पर ही काम कर रहे हैं और उनकी आयु सीमा भी पूरी हो चुकी है, जिससे उनको रेगुलर करने में अड़चन आ रही है।
पंजाब सरकार के विभिन्न विभागों में कर्मचारी डेलीवेजिज और कॉन्ट्रेक्ट पर काम कर रहे है। इस उम्मीद के साथ कि एक न एक दिन सरकार उनको पक्का करेगी। राज्य में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन उन्हें सिवाए आश्वासन के कुछ नहीं मिला। हर सरकार ने अपने घोषणा पत्र में इन कर्मचारियों को पक्का करने की बात की, लेकिन सरकार का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी इनकी स्थिति जस की तस रही।
संघर्ष करने को मजबूर : गुरमेल सिद्धू
अकाली-भाजपा सरकार ने भी 2007 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में इनको पक्का करने का जिक्र किया था, लेकिन चार साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी इनको पक्का नहीं किया गया। कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष गुरमेल सिंह सिद्धू का कहना है कि कॉन्ट्रेक्ट या डेलीवेजिज पर रखा गया कर्मचारी भी उतना ही काम करता है, जितना कि एक रेगुलर कर्मचारी।
फिर भी सरकार लंबा समय बीत जाने के बावजूद उनको पक्का नहीं करती। कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर राज्य में कई बार धरने-प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन सरकार ने मांगे नहीं मानी हैं। अब चुनाव से पहले कर्मचारियों की मांगों को लेकर अगर सरकार ने कोई निर्णय न लिया तो कर्मचारी संघर्ष का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे।
याद है वादा
कर्मचारियों की मांगों को लेकर सरकार गंभीर है। अकाली-भाजपा सरकार को अपनी चुनावी घोषणाएं याद हैं। नियम के मुताबिक सरकार रेगुलर होने वाले कर्मचारियों को चुनाव से पहले पक्का कर देगी।
-सुखबीर सिंह बादल, उप मुख्यमंत्री, पंजाब।