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1600 स्कूलों की मान्यता हुई रद्द, दो लाख छात्रों का भविष्य अधर में
www.teacherharyana.blogspot.inचंडीगढ़. शिक्षा मंत्रालय ने राज्य के 16सौ निजी स्कूलों की मान्यता रीन्यू नहीं की है। ऐसे में करीब दो लाख बच्चों के सामने भविष्य का संकट पैदा हो सकता है। ये स्कूल 12वीं तक के हैं।
हरियाणा स्कूल नियमावली 2003 के तहत ये स्कूल खरा नहीं उतर रहे थे। इनको बार-बार नोटिस दिया गया लेकिन इन्होंने कमरे, भवन, खेल मैदान जैसे अनेक नियमों को पूरा नहीं किया। ऐसे में सरकार ने इनकी मान्यता फिलहाल रद्द रखी है। इधर, इस बारे में विचार किया जा रहा है कि इनके बारे में क्या किया जाए।
अकेले यमुनानगर में बीस हजार बच्चे इससे प्रभावित हैं। कुल बच्चों की संख्या दो लाख से ज्यादा बताई गई है। ऐसे में सरकार इनको ढील दे सकती है। मुख्य संसदीय सचिव शिक्षा राव दान सिंह ने कहा है कि सरकार के नियम पूरे करने होते हैं लेकिन इस बारे में विचार किया जाएगा। हरियाणा निजी स्कूल संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्राचार्य आरएस सिंधु ने कहा है कि सरकार इनकी मान्यता स्थाई करे। इससे बच्चों का भविष्य जुड़ा हुआ है। इनको शिक्षा अधिकार अधिनियम के अनुरूप मान्यता दी जाए। ये वे स्कूल हैं जिनको 2003से पहले मान्यता दी हुई है।
प्रवेश दिलाने में डीसी व एसपी कमेटियां नाकाम
चंडीगढ़. हरियाणा स्कूल रूल की धारा 134ए गले की फांस बन गई है। राज्य सरकार के अथक प्रयास के बावजूद प्रदेश में इस धारा के तहत दाखिला नहीं हो रहा है। निजी स्कूल अपने रुख पर अडिग हैं। यहां तक कि दाखिले दिलाने के गठित डीसी, एसपी वाली कमेटियां नाकाम साबित हुई हैं। आरटीई के तहत 25प्रतिशत एवं 134ए के तहत भी 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला मिलना है। ये रेशियो 50 प्रतिशत है।
यानी आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत पहली कक्षा में जबकि134ए के तहत पहली से 12वीं तक दाखिला मिलना हैं। मजेदार बात यह है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बाद राज्य सरकार ने इस धारा के तहत दाखिला सुनिश्चित करने के लिए कमेटियां गठित कर दी हैं, लेकिन राज्य के करीब 11 हजार निजी स्कूलों में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। किसी गरीब बच्चे को दाखिला नहीं मिला है, ना ही सरकार की तरफ से गठित कमेटियों की तरफ से कोई सख्ती की सूचना है। जगह-जगह विवाद की सूचनाएं चंडीगढ़ मुख्यालय पर पहुंच रही हैं।
मामला गंभीर होता देख अब इस संबंध में हाईकोर्ट का रुख करने वाले ‘दो जमा पांच’ मुद्दे आंदोलन के अध्यक्ष हाईकोर्ट के वकील सतबीर हुड्डा ने सरकार को फिर पत्र लिखा है। बावजूद इसके स्कूलों में कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ रहा है। 23 अप्रैल को इस मामले में एक बार फिर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता अपना पक्ष रखने की तैयारी में हैं।
शिक्षामंत्री ने मांगी रिपोर्ट
शिक्षा अधिकारी गीता भुक्कल ने सभी जिलों से धारा 134ए के तहत दाखिलों की रिपोर्ट मांगी है। भुक्कल ने स्पष्ट किया है कि दाखिले तो देने ही होंगे। सरकार गरीब बच्चों के हक से खिलवाड़ नहीं होने देगी। संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है। शिक्षा मंत्री के कड़े रुख के बाद 21जिलों में खलबली मच गई है, सभी रिपोर्ट तैयार करने लगे हैं। भुक्कल ने कहा है कि इस मामले में सीधे डीसी से शिकायत की जा सकती है।
हरियाणा स्कूल नियमावली 2003 के तहत ये स्कूल खरा नहीं उतर रहे थे। इनको बार-बार नोटिस दिया गया लेकिन इन्होंने कमरे, भवन, खेल मैदान जैसे अनेक नियमों को पूरा नहीं किया। ऐसे में सरकार ने इनकी मान्यता फिलहाल रद्द रखी है। इधर, इस बारे में विचार किया जा रहा है कि इनके बारे में क्या किया जाए।
अकेले यमुनानगर में बीस हजार बच्चे इससे प्रभावित हैं। कुल बच्चों की संख्या दो लाख से ज्यादा बताई गई है। ऐसे में सरकार इनको ढील दे सकती है। मुख्य संसदीय सचिव शिक्षा राव दान सिंह ने कहा है कि सरकार के नियम पूरे करने होते हैं लेकिन इस बारे में विचार किया जाएगा। हरियाणा निजी स्कूल संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्राचार्य आरएस सिंधु ने कहा है कि सरकार इनकी मान्यता स्थाई करे। इससे बच्चों का भविष्य जुड़ा हुआ है। इनको शिक्षा अधिकार अधिनियम के अनुरूप मान्यता दी जाए। ये वे स्कूल हैं जिनको 2003से पहले मान्यता दी हुई है।
प्रवेश दिलाने में डीसी व एसपी कमेटियां नाकाम
चंडीगढ़. हरियाणा स्कूल रूल की धारा 134ए गले की फांस बन गई है। राज्य सरकार के अथक प्रयास के बावजूद प्रदेश में इस धारा के तहत दाखिला नहीं हो रहा है। निजी स्कूल अपने रुख पर अडिग हैं। यहां तक कि दाखिले दिलाने के गठित डीसी, एसपी वाली कमेटियां नाकाम साबित हुई हैं। आरटीई के तहत 25प्रतिशत एवं 134ए के तहत भी 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला मिलना है। ये रेशियो 50 प्रतिशत है।
यानी आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत पहली कक्षा में जबकि134ए के तहत पहली से 12वीं तक दाखिला मिलना हैं। मजेदार बात यह है कि हाईकोर्ट के आदेशों के बाद राज्य सरकार ने इस धारा के तहत दाखिला सुनिश्चित करने के लिए कमेटियां गठित कर दी हैं, लेकिन राज्य के करीब 11 हजार निजी स्कूलों में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। किसी गरीब बच्चे को दाखिला नहीं मिला है, ना ही सरकार की तरफ से गठित कमेटियों की तरफ से कोई सख्ती की सूचना है। जगह-जगह विवाद की सूचनाएं चंडीगढ़ मुख्यालय पर पहुंच रही हैं।
मामला गंभीर होता देख अब इस संबंध में हाईकोर्ट का रुख करने वाले ‘दो जमा पांच’ मुद्दे आंदोलन के अध्यक्ष हाईकोर्ट के वकील सतबीर हुड्डा ने सरकार को फिर पत्र लिखा है। बावजूद इसके स्कूलों में कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ रहा है। 23 अप्रैल को इस मामले में एक बार फिर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता अपना पक्ष रखने की तैयारी में हैं।
शिक्षामंत्री ने मांगी रिपोर्ट
शिक्षा अधिकारी गीता भुक्कल ने सभी जिलों से धारा 134ए के तहत दाखिलों की रिपोर्ट मांगी है। भुक्कल ने स्पष्ट किया है कि दाखिले तो देने ही होंगे। सरकार गरीब बच्चों के हक से खिलवाड़ नहीं होने देगी। संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है। शिक्षा मंत्री के कड़े रुख के बाद 21जिलों में खलबली मच गई है, सभी रिपोर्ट तैयार करने लगे हैं। भुक्कल ने कहा है कि इस मामले में सीधे डीसी से शिकायत की जा सकती है।
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