रोहतक. सुप्रीम कोर्ट ने एमडी व एमएस काउंसलिंग मामले में पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस को आदेश जारी कर दिए हैं। कोर्ट की ओर से जारी आदेशों में कहा है कि यूनिवर्सिटी पुरानी पालिसी से ही दाखिले करे। परीक्षा के दौरान काउंसलिंग में नियमों को बदलना सही नहीं है।
हेल्थ यूनिवर्सिटी ने दो मार्च को एचसी एमएस कोटे की एमडी और एमएस की परीक्षा ली थी, जिसमें 36 सीटों के लिए 57 डाक्टरों ने शिरकत की थी। मैरिट लिस्ट तीन मार्च को जारी की गई। खास बात यह थी कि प्रोस्पेक्टस में प्रकाशित पालिसी के तहत सभी 57 डाक्टर एनओसी की शर्त को पूरी करते थे। लेकिन काउंसलिंग से ठीक एक दिन पूर्व सरकार ने एनओसी देने की शर्त में बदलाव कर नई पालिसी जारी कर दी।
इन शर्तो के अनुसार तीन साल कुल सर्विस को बढ़ाकर पांच साल कर दिया। जिसमें से तीन साल किसी भी जिला व खंड स्तर के अस्पताल तथा दो साल किसी गांव के अस्पताल में ड्यूटी होनी जरूरी थी। लेकिन जब पीड़ित अभ्यर्थियों ने जन सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो सच्चाई कुछ ओर सामने आई।
जन सूचना अधिकार के तहत पता चला कि जिन 23 डाक्टरों को एनओसी दी गई है, उनमें से 15 डाक्टर एनओसी की शर्तो को पूरा नहीं करते। जबकि इन डाक्टरों ने न तो जिलास्तर के अस्पताल में कार्य किया था और न ही खंड स्तर के अस्पताल में किया था। कुछ अभ्यर्थियों ने जरूर काम किया है लेकिन वे तीन साल की शर्त पूरी नहीं करते। लिहाजा नई पालिसी से एचसी एमएस की 36 सीटों में से केवल आठ डाक्टर ही शर्तो को पूरा करते हैं।
अब भर सकेंगी 28 रिक्त सीटें
इस पूरे प्रकरण के चलते करीब 28 सीटें खाली रह गई थी, जिससे अब उन्हें भरा जा सकेगा। अब हेल्थ यूनिवर्सिटी प्रशासन को एक बार फिर से वर्क करना पड़ेगा और मैरिट लिस्ट दोबारा से बनानी पड़ेगी। सीटें रिक्त रहने की सूरत में दाखिला लेने वाले दूसरे अभ्यार्थियों को परेशानी उठानी पड़ रही थी। उन्हें डबल ड्यूटी देनी पड़ रही थी। इस आदेश से उन्हें जरूर राहत मिलेगी।
हेल्थ यूनिवर्सिटी ने दो मार्च को एचसी एमएस कोटे की एमडी और एमएस की परीक्षा ली थी, जिसमें 36 सीटों के लिए 57 डाक्टरों ने शिरकत की थी। मैरिट लिस्ट तीन मार्च को जारी की गई। खास बात यह थी कि प्रोस्पेक्टस में प्रकाशित पालिसी के तहत सभी 57 डाक्टर एनओसी की शर्त को पूरी करते थे। लेकिन काउंसलिंग से ठीक एक दिन पूर्व सरकार ने एनओसी देने की शर्त में बदलाव कर नई पालिसी जारी कर दी।
इन शर्तो के अनुसार तीन साल कुल सर्विस को बढ़ाकर पांच साल कर दिया। जिसमें से तीन साल किसी भी जिला व खंड स्तर के अस्पताल तथा दो साल किसी गांव के अस्पताल में ड्यूटी होनी जरूरी थी। लेकिन जब पीड़ित अभ्यर्थियों ने जन सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो सच्चाई कुछ ओर सामने आई।
जन सूचना अधिकार के तहत पता चला कि जिन 23 डाक्टरों को एनओसी दी गई है, उनमें से 15 डाक्टर एनओसी की शर्तो को पूरा नहीं करते। जबकि इन डाक्टरों ने न तो जिलास्तर के अस्पताल में कार्य किया था और न ही खंड स्तर के अस्पताल में किया था। कुछ अभ्यर्थियों ने जरूर काम किया है लेकिन वे तीन साल की शर्त पूरी नहीं करते। लिहाजा नई पालिसी से एचसी एमएस की 36 सीटों में से केवल आठ डाक्टर ही शर्तो को पूरा करते हैं।
अब भर सकेंगी 28 रिक्त सीटें
इस पूरे प्रकरण के चलते करीब 28 सीटें खाली रह गई थी, जिससे अब उन्हें भरा जा सकेगा। अब हेल्थ यूनिवर्सिटी प्रशासन को एक बार फिर से वर्क करना पड़ेगा और मैरिट लिस्ट दोबारा से बनानी पड़ेगी। सीटें रिक्त रहने की सूरत में दाखिला लेने वाले दूसरे अभ्यार्थियों को परेशानी उठानी पड़ रही थी। उन्हें डबल ड्यूटी देनी पड़ रही थी। इस आदेश से उन्हें जरूर राहत मिलेगी।