हाईकोर्ट का पंजाब सरकार को नोटिस, विज्ञापन में प्रकाशित पांच सेवा शर्तों को चुनौती
चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में 7041 प्राइमरी टीचरों की भरती प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। जस्टिस केएस आहलूवालिया और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस संबंध में सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को 13 जुलाई के लिए नोटिस जारी किया है।
याची अभिषेक ऋषि ने वकील विकास चतरथ के माध्यम से याचिका दायर कर पंजाब सरकार द्वारा पंजाब पंचायती राज प्राइमरी टीचर (नियुक्ति और सेवा शर्तें) रुल्स में 18 अप्रैल 2011 को किए गए बदलाव और उसके आधार पर प्राइमरी टीचर भरती करने के लिए 26 अप्रैल 2011 को जारी विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की है। खंडपीठ ने याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए रुल्स में बदलाव और विज्ञापन में दी गई शर्तों को संविधान के विरुद्ध माना। खंडपीठ ने सवाल किया कि नौकरी में मिट्टी के पुत्रों को तरजीह देने के लिए क्या माइग्रेंट वर्करों को उनके प्रदेशों में वापस भेज दिया जाए? खंडपीठ ने विज्ञापन में पांच शर्तों को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया। खंडपीठ ने कहा ये शर्तें कानून के सामने नहीं टिक सकती।
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आवेदक के लिए पंजाब और चंडीगढ़ का मूल निवासी होना जरूरी (हाईकोर्ट ने कहा, समानता के अधिकार के खिलाफ)
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जिन्होंने जेबीटी/ईटीटी पंजाब से पास किया है, उनके लिए 70 फीसदी सीटें रिजर्व और पंजाब से बाहर पास हुए आवेदकों के लिए 30 फीसदी सीटें (हाईकोर्ट ने कहा, यह नियमानुसार नहीं)
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जिस उम्मीदवार ने जेबीटी/ईटीटी जितने साल पहले पास की थी, उसे हर साल के लिए एक नंबर मिलेगा और अधिकतम 10 नंबर मिलेंगे (हाईकोर्ट ने कहा, एक साल पहले टॉप करने वाले से अन्याय होगा)।
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ग्रामीण स्कूल से 8वीं और 10 वीं पास करने वालों को अतिरिक्त पांच अंक मिलेंगे (हाईकोर्ट ने कहा, फैसला असंवैधानिक है)
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आवेदकों की नियुक्ति जिलावार होगी (हाईकोर्ट ने कहा, राज्य को टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता)।
चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब में 7041 प्राइमरी टीचरों की भरती प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। जस्टिस केएस आहलूवालिया और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस संबंध में सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को 13 जुलाई के लिए नोटिस जारी किया है।
याची अभिषेक ऋषि ने वकील विकास चतरथ के माध्यम से याचिका दायर कर पंजाब सरकार द्वारा पंजाब पंचायती राज प्राइमरी टीचर (नियुक्ति और सेवा शर्तें) रुल्स में 18 अप्रैल 2011 को किए गए बदलाव और उसके आधार पर प्राइमरी टीचर भरती करने के लिए 26 अप्रैल 2011 को जारी विज्ञापन पर रोक लगाने की मांग की है। खंडपीठ ने याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए रुल्स में बदलाव और विज्ञापन में दी गई शर्तों को संविधान के विरुद्ध माना। खंडपीठ ने सवाल किया कि नौकरी में मिट्टी के पुत्रों को तरजीह देने के लिए क्या माइग्रेंट वर्करों को उनके प्रदेशों में वापस भेज दिया जाए? खंडपीठ ने विज्ञापन में पांच शर्तों को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया। खंडपीठ ने कहा ये शर्तें कानून के सामने नहीं टिक सकती।
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आवेदक के लिए पंजाब और चंडीगढ़ का मूल निवासी होना जरूरी (हाईकोर्ट ने कहा, समानता के अधिकार के खिलाफ)
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जिन्होंने जेबीटी/ईटीटी पंजाब से पास किया है, उनके लिए 70 फीसदी सीटें रिजर्व और पंजाब से बाहर पास हुए आवेदकों के लिए 30 फीसदी सीटें (हाईकोर्ट ने कहा, यह नियमानुसार नहीं)
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जिस उम्मीदवार ने जेबीटी/ईटीटी जितने साल पहले पास की थी, उसे हर साल के लिए एक नंबर मिलेगा और अधिकतम 10 नंबर मिलेंगे (हाईकोर्ट ने कहा, एक साल पहले टॉप करने वाले से अन्याय होगा)।
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ग्रामीण स्कूल से 8वीं और 10 वीं पास करने वालों को अतिरिक्त पांच अंक मिलेंगे (हाईकोर्ट ने कहा, फैसला असंवैधानिक है)
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आवेदकों की नियुक्ति जिलावार होगी (हाईकोर्ट ने कहा, राज्य को टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता)।