दसवीं में सवा लाख बच्चे हुए फेल

पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड ने दसवीं के नतीजे में 1.26 लाख बच्चों को फेल करके उनके ग्यारहवीं, बारहवीं में दाखिला लेने के सपनों को चकनाचूर कर दिया है। अब इन सवा लाख बच्चों को मजबूर होकर स्कूल छोड़ना पड़ेगा।
बोर्ड द्वारा लाखों बच्चों की जिंदगियों का यह शोषण सरकारी नीति के उलट जाकर किया जा रहा है क्योंकि देश में दसवीं का इम्तिहान आप्शनल करके ग्रेडिंग सिस्टम लागू किया जा चुका है और अब बच्चों को दसवीं तक की लाजमी शिक्षा देने हित बच्चों को फेल करने की परंपरा बंद कर दी गई है। लेकिन पंजाब बोर्ड द्वारा पूरे देश की नीति के उलट अपनी गलत, सिद्धांतहीन, संवेदनहीन और पैसा कमाऊ नीति जारी है और आज भी ग्रेडिंग सिस्टम लागू न करके लाखों बच्चों की जिंदगियों से खिलवाड़ किया जा रहा है।
पिछले सीबीएसई द्वारा दसवीं के 10.62 लाख बच्चों के नतीजे ऐलान किए गए, जिनकी पास प्रतिशता 99 फीसदी रही, क्योंकि इस बार सेंट्रल बोर्ड द्वारा दसवीं इम्तिहान को आप्शनल बनाने कारण 70 फीसदी विद्यार्थियों ने बोर्ड का इम्तिहान देने की बजाय, दसवीं की परीक्षा अपने स्कूल स्तर पर ही दी।
केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा अधिकार कानून 2009 में संशोधन करके इसी साल से बच्चों को दसवीं तक की लाजमी और जरूरी शिक्षा देने का अधिकार दिया जा रहा है। इसके तहत हर बच्चे को दसवीं पास तक की शिक्षा की गारंटी की गई है। पंजाब द्वारा अपनाई जा रही उक्त नीति इस केंद्रीय कानून, शिक्षा सलाहकार बोर्ड के फैसलों की घोर उल्लंघना है।

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