हरियाणा शिक्षा विभाग अब ‘मास्टरों’ का होगा रैशनेलाइजेशन
अब ‘मास्टरों’ का होगा रैशनेलाइजेशन
शिक्षा निदेशालय में विषयवार छात्रों की संख्या के अनुसार रैशनेलाइजेशन प्रक्रिया पर कार्रवाई शुरू
नई शिक्षा पालिसी में छठी से आठवीं कक्षा तक ही पढ़ाएंगे मास्टर
शिक्षा निदेशालय में विषयवार छात्रों की संख्या के अनुसार रैशनेलाइजेशन प्रक्रिया पर कार्रवाई शुरूनई शिक्षा पालिसी में छठी से आठवीं कक्षा तक ही पढ़ाएंगे मास्टरचंडीगढ़, 25 जुलाई (पांडेय): शिक्षा के अधिकार कानून की पालना में तल्लीन हरियाणा शिक्षा विभाग अब सूबे के स्कूल मास्टरों की रैशनेलाइजेशन (वैज्ञानिकीकरण) करने की तैयारी में है। इस प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाने के लिए शिक्षा निदेशालय की ओर से राज्य के सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों से विषयवार छात्रों की संख्या मांगी गई है। इसी संख्या के तहत स्कूल मास्टरों को दूसरे स्कूलों में खाली पदों पर समायोजित किया जाएगा। रैशनेलाइजेशन प्रक्रिया अपनाने के पीछे कई स्कूलों में मास्टरों का सरप्लस और कइयों में खाली पदों को भरना बताया गया है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि रैशनेलाइजेशन के बाद स्कूल मास्टरों को छठी से आठवीं तक की कक्षाएं तथा स्कूल लैक्चररों को नवीं से बारहवीं तक की कक्षाएं दी जाएंगी। फिलहाल शिक्षा निदेशालय की इस प्रक्रिया से स्कूल मास्टरों में उहापोह की स्थिति बन गई है। निदेशालय के अधिकारियों की माने तो जल्द ही स्कूल मास्टरों की रैशनेलाइजेशन प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। याद रहे कि शिक्षा के अधिकार कानून को लागू करने की कड़ी में महीनों पहले हरियाणा शिक्षा विभाग ने नई शिक्षा पालिसी तैयार की थी। जिसमें स्कूल लैक्चररों को 11-12वीं कक्षाओं के अलावा 9-10वीं के विद्यार्थियों को पढ़ाने का मसौदा तैयार किया गया है।
इसी कवायद को सिरे चढ़ाने के लिए अब शिक्षा निदेशालय ने स्कूल मास्टरों की रैशनेलाइजेशन करने की प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया है। इसमें सभी स्कूलों से विषयवार छात्रों की संख्या मांगी गई है। छात्रों की संख्या के आधार पर ही मास्टरों को समायोजित करने का प्रारूप तैयार किया गया है। निदेशालय सूत्रों की माने तो रैशनेलाइजेशन में स्कूल मास्टरों की संख्या सरप्लस हो सकती है, जो मास्टरों की कमी से प्रभावित हो रहे स्कूलों को राहत दे सकती है। निदेशालय की इस उधेड़बुन से अब सूबे के मास्टरों में उहापोह की स्थिति बन गई है, क्योंकि सरप्लस स्कूलों से मास्टरों का तबादला होना निश्चित है।
40 हजार के करीब है मास्टरों की संख्या
शिक्षा निदेशालय के मुताबिक सूूबे में स्कूल मास्टरों की संख्या करीब 40 हजार है। जबकि स्कूल लैक्चररों की तादात 12 हजार के करीब है। संभावना जताई जा रही है कि रैशनेलाइजेशन प्रक्रिया के बाद स्कूलों में मास्टरों की कोई कमी नहीं रह जाएगी, क्योंकि नई पालिसी में स्कूल मास्टरों की जिम्मेदारी छठी से 8वीं कक्षा तक के विद्याॢथयों को पढ़ाने के लिए दी जानी है।
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