हाईकोर्ट ने 60 प्रतिशत से कम अंक वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को पास न करने के निर्देश दिए
जयपुर।शिक्षक पात्रता के लिए हाल ही हुई टेट के करीब 2.50 प्रमाण-पत्र अब अटक गए हैं। हाईकोर्ट के टेट में 60 प्रतिशत से कम अंक लाने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी के संबंध में दिए गए दिशा-निर्देशों के बाद राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने फिलहाल इन प्रमाण-पत्रों रिलीज करने पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में 60 प्रतिशत से कम अंकों वाले किसी भी वर्ग के अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण करने पर रोक लगा दी थी।
परीक्षा की नोडल एजेंसी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव मिरजू राम शर्मा ने बताया कि टेट उत्तीर्ण करने वाले करीब ढाई लाख छात्रों के प्रमाण-पत्र तैयार करवाए जाने की प्रक्रिया जारी हैं। बोर्ड जल्द ही प्रमाण-पत्रों को रिलीज करने वाला था, लेकिन फिलहाल कोर्ट के निर्देशों के तहत इसे रोक दिया गया है।
शर्मा ने बताया कि अब प्रमाण-पत्रों को रिलीज करने की कार्यवाही कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही हो सकेगी। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद ही छात्र थर्ड ग्रेड शिक्षक बनने के योग्य हो सकेगा। इधर शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्रमाण-पत्र रिलीज होने पर लगी रोक के कारण अब थर्ड ग्रेड भर्ती परीक्षा आयोजित करने की तैयारी भी प्रभावित हो सकती है।
बीएसटीसी की दूसरी काउंसलिंग से इनकार
राज्य सरकार ने बीएसटीसी की दूसरी काउंसलिंग कराने से साफ इनकार कर दिया है। बीएसटीसी के लिए शुक्रवार को हुए अंतिम प्रवेश के बाद करीब डेढ़ हजार सीटें खाली रहने की संभावना है। खाली रही सीटों का विस्तृत ब्यौरा प्रवेश समिति सोमवार को जारी करेगी। इधर खाली सीटें रहने के बावजूद छात्रों को प्रवेश नहीं मिलने से प्रदेशभर में बीएसटीसी छात्रों में असंतोष है।
राज्य में बीएसटीसी की 13650 सीटों के लिए हुई काउंसलिंग के लिए करीब 65 हजार छात्रों का रजिस्ट्रेशन हुआ था। पहले दौर की काउंसलिंग में जिन छात्रों ने फीस नहीं जमा कराई थी, उनकी फीस जमा कराने की अंतिम तिथि 9 सितंबर तय करते हुए छात्रों को ऑप्शन दिया गया था। इस ऑप्शन के तहत करीब 550 छात्रों ने फीस जमा कराई।
बीएसटीसी प्रवेश समिति के संयोजक एम.एल. अग्रवाल का कहना है कि बीएसटीसी में इस बार करीब डेढ़ हजार सीटें खाली रहने की संभावना है। संस्थानवार इसकी सूची सोमवार तक तैयार कर ली जाएगी। अग्रवाल ने बताया कि अब दूसरे दौर की काउंसलिंग के लिए सरकार ने इनकार कर दिया है, ऐसे में ये सीटें मौजूदा सत्र में खाली ही रहेंगी। उल्लेखनीय है कि इस बार बीएड में भी दूसरे दौर की काउंसलिंग नहीं होने से करीब साढ़े सात हजार सीटें खाली रह गई हैं।
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