नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : दिल्ली के मेडिकल कालेजों में ओबीसी श्रेणी में एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। ये नोटिस न्यायमूर्ति एचएल दत्तू व न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की पीठ ने छात्रा गुंजन कंकरवाल की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए। इतना ही नहीं, कोर्ट ने लेडी हार्डिग कालेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश पाने वाली सात छात्राओं को भी नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है। इन छात्राओं को कालेज के प्रिंसपल के जरिए नोटिस भेजा गया है। गंुजन की याचिका में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में ओबीसी छात्रों को प्रवेश देने में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है। उसका कहना है कि उससे कम अंक पाने वाले छात्रों को एमबीबीएस में प्रवेश दिया गया, जबकि उसे नहीं दिया गया। गुंजन को बीडीएस में प्रवेश मिला है। गुंजन ने दिल्ली हाई कोर्ट के गत 29 सितंबर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उसका कहना है कि वह ओबीसी वर्ग की छात्रा है। उसने दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी, जिसमें उसे 427 अंक मिले। ओबीसी कैटेगरी में उसकी 170वीं रैंक आई। आठ जुलाई को ओबीसी की पहली काउंसलिंग घोषित हुई। जिसमें उस वर्ग के 1 से 300 रैंक तक के छात्रों को बुलाया गया। गुंजन का कहना है कि खराब स्वास्थ्य के कारण वह चाहकर भी उसमें हिस्सा नहीं ले पाई। विवि ने दूसरे दौर की काउंसलिंग की घोषणा की। जिसमें बताया गया कि ओबीसी कैटेगरी की 128 सीटों में से 66 सीटें खाली बची हैं। इन 66 एमबीबीएस सीटों के लिए 9 सितंबर को दूसरे दौर की काउंसलिंग की घोषणा हुई जिसमें 21 से 150 रैंक तक के ओबीसी छात्र बुलाए गए। याचिकाकर्ता भी दूसरे दौर की काउंसलिंग में भाग लेने गई थी, लेकिन उसे प्रवेश नहीं मिला। जबकि उससे कम रैंक वाले छात्रों को एमबीबीएस में प्रवेश दिया गया। दूसरे दौर की काउंसलिंग में आखिरी प्रवेश 192वीं रैंक के छात्र को मिला। इसके अलावा 174, 175 व 179 रैंक पाने वालों को भी एमबीबीएस में प्रवेश मिला। 26 सितंबर, को फिर काउंसलिंग हुई जिसमें गंुजन को बीडीएस में प्रवेश मिला।
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