जयपुर.हाईकोर्ट ने द्वितीय श्रेणी शिक्षक सीधी भर्ती 2008 में आरक्षण को चुनौती देने के मामले में मुख्य सचिव, प्रमुख कार्मिक सचिव, आरपीएससी सचिव, प्रमुख शिक्षा सचिव व आयुक्त माध्यमिक शिक्षा को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एन.के. जैन (प्रथम) की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश सोमवार को समता आंदोलन समिति व 38 अन्य की याचिका पर दिया। मामले की सुनवाई 16 नवंबर को होगी।
याचिका में 13 अगस्त, 2008 को 8946 पदों पर भर्ती के लिए जारी विज्ञप्ति में 1973 की अधिसूचना, 1975 के आदेश व 1993 की अधिसूचना को चुनौती देते हुए इन्हें निरस्त करने की गुहार की। गौरतलब है कि 1973 की अधिसूचना में सीधी भर्ती में आरक्षण की व्यवस्था की थी, जबकि 1975 के आदेश से 16 व 12 प्रतिशत आरक्षण तय किया था और 1993 की अधिसूचना से ओबीसी को 21 प्रतिशत आरक्षण दिया था।
याचिका में कहा कि सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 16(4) के तहत संविधान का अध्ययन नहीं किया और न ही एम. नागराज मामले में दी गई शर्तो का ही अध्ययन किया। आर.के. सब्बरवाल मामले के तहत 20 नवंबर,1997 को जारी परिपत्र का पालन भी नहीं किया, ऐसे में आरक्षित वर्ग को सीधी भर्ती में आरक्षण देना गैरकानूनी है और आरक्षित पदों पर नियुक्ति देने पर रोक लगाई जाए। खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई कर सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा।
मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एन.के. जैन (प्रथम) की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश सोमवार को समता आंदोलन समिति व 38 अन्य की याचिका पर दिया। मामले की सुनवाई 16 नवंबर को होगी।
याचिका में 13 अगस्त, 2008 को 8946 पदों पर भर्ती के लिए जारी विज्ञप्ति में 1973 की अधिसूचना, 1975 के आदेश व 1993 की अधिसूचना को चुनौती देते हुए इन्हें निरस्त करने की गुहार की। गौरतलब है कि 1973 की अधिसूचना में सीधी भर्ती में आरक्षण की व्यवस्था की थी, जबकि 1975 के आदेश से 16 व 12 प्रतिशत आरक्षण तय किया था और 1993 की अधिसूचना से ओबीसी को 21 प्रतिशत आरक्षण दिया था।
याचिका में कहा कि सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 16(4) के तहत संविधान का अध्ययन नहीं किया और न ही एम. नागराज मामले में दी गई शर्तो का ही अध्ययन किया। आर.के. सब्बरवाल मामले के तहत 20 नवंबर,1997 को जारी परिपत्र का पालन भी नहीं किया, ऐसे में आरक्षित वर्ग को सीधी भर्ती में आरक्षण देना गैरकानूनी है और आरक्षित पदों पर नियुक्ति देने पर रोक लगाई जाए। खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई कर सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा।
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