वर्ष 2005 से 2008 के दौरान बिना अनुमति लिए अपनी योग्यता बढ़ाने वाले जेबीटी को अब पदोन्नति मिल सकेगी। विभाग व जेबीटी शिक्षकों के बीच हुई बैठक में इस पर मोहर लगा दी गई है। जेबीटी अध्यापकों से अब अनुमति प्रमाण पत्र नहीं मांगा जाएगा। इससे प्रदेश के लगभग अढ़ाई हजार जेबीटी शिक्षकों को लाभ मिलेगा।
वर्ष 2004 में जिला परिषद के तहत 6583 जेबीटी अध्यापक प्रदेश में लगाए थे। शिक्षा विभाग में समायोजित करने के लिए सरकार ने विभागीय परीक्षा पास करने की शर्त रखी थी। इसके बाद 18 अगस्त 2005 को विभाग ने पत्र जारी करके बिना परीक्षा ही सभी जेबीटी अध्यापकों को विभाग में समायोजित कर लिया था और उनकी रेगुलर सर्विस 10 अगस्त 2005 से ही मान ली थी।
इस पर विभाग ने अंग्रेजी के साथ बीए पास की शर्त रख दी थी। योग्यता बढ़ाने के लिए अकेडमिक योग्यता बढ़ाने के लिए शिक्षकों को डीडीओ से अनुमति लेनी होती है जबकि प्रोफेशनल कोर्स के लिए नियुक्ति प्राधिकृत अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। जेबीटी अध्यापकों को अपनी यह योग्यता तीन साल की अवधि यानी 2005 से 2008 तक बढ़ानी थी।
लेकिन इस दौरान लगभग अढ़ाई हजार के करीबन जेबीटी अध्यापकों ने बिना अनुमति के ही अपनी योग्यता बढ़ा ली थी, लेकिन जब बारी पदोन्नति की आई तो पदोन्नति के लिए जेबीटी अध्यापकों से योग्यता बढ़ाने के लिए मांगी गई अनुमति का प्रमाण पत्र मांग लिया गया, जोकि जेबीटी अध्यापक नहीं दिखा सके, जिस कारण उनकी पदोन्नति पर ब्रेक लग गए थे। जब भी उनके केस पदोन्नति के लिए भेजे गए तो अनुमति प्रमाण पत्र न होने के कारण यह रोक दी जाती थी। अब गत 18 नवंबर को शिक्षक संगठनों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में यह तय किया गया है कि 2005 से 2008 तक योग्यता बढ़ाने वाले जेबीटी शिक्षकों से अनुमति प्रमाण पत्र नहीं मांगा जाएगा और उन्हें पदोन्नति दे दी जाएगी। इससे लगभग अढ़ाई हजार जेबीटी शिक्षकों को राहत मिली और पदोन्नति के रास्ते खुल गए हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव दीपक गोस्वामी का कहना है कि गत 18 नवंबर को हुई बैठक में यह तय हो गया है कि 2005 से 2008 के बीच योग्यता बढ़ाने वाले जेबीटी अध्यापकों को अब अनुमति प्रमाण पत्र नहीं दिखाना होगा और उन्हें पदोन्नति मिल जाएगी। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी साधुराम रोहिला ने कहा कि फिलहाल इस बारे कोई पत्र या निर्देश नहीं मिले हैं। बैठक दो दिन पहले हुई है और दो दिन सरकारी अवकाश होने के कारण कोई सूचना नहीं मिली है। सोमवार को ही इस बारे में कुछ कहा जा सकेगा
वर्ष 2004 में जिला परिषद के तहत 6583 जेबीटी अध्यापक प्रदेश में लगाए थे। शिक्षा विभाग में समायोजित करने के लिए सरकार ने विभागीय परीक्षा पास करने की शर्त रखी थी। इसके बाद 18 अगस्त 2005 को विभाग ने पत्र जारी करके बिना परीक्षा ही सभी जेबीटी अध्यापकों को विभाग में समायोजित कर लिया था और उनकी रेगुलर सर्विस 10 अगस्त 2005 से ही मान ली थी।
इस पर विभाग ने अंग्रेजी के साथ बीए पास की शर्त रख दी थी। योग्यता बढ़ाने के लिए अकेडमिक योग्यता बढ़ाने के लिए शिक्षकों को डीडीओ से अनुमति लेनी होती है जबकि प्रोफेशनल कोर्स के लिए नियुक्ति प्राधिकृत अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। जेबीटी अध्यापकों को अपनी यह योग्यता तीन साल की अवधि यानी 2005 से 2008 तक बढ़ानी थी।
लेकिन इस दौरान लगभग अढ़ाई हजार के करीबन जेबीटी अध्यापकों ने बिना अनुमति के ही अपनी योग्यता बढ़ा ली थी, लेकिन जब बारी पदोन्नति की आई तो पदोन्नति के लिए जेबीटी अध्यापकों से योग्यता बढ़ाने के लिए मांगी गई अनुमति का प्रमाण पत्र मांग लिया गया, जोकि जेबीटी अध्यापक नहीं दिखा सके, जिस कारण उनकी पदोन्नति पर ब्रेक लग गए थे। जब भी उनके केस पदोन्नति के लिए भेजे गए तो अनुमति प्रमाण पत्र न होने के कारण यह रोक दी जाती थी। अब गत 18 नवंबर को शिक्षक संगठनों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में यह तय किया गया है कि 2005 से 2008 तक योग्यता बढ़ाने वाले जेबीटी शिक्षकों से अनुमति प्रमाण पत्र नहीं मांगा जाएगा और उन्हें पदोन्नति दे दी जाएगी। इससे लगभग अढ़ाई हजार जेबीटी शिक्षकों को राहत मिली और पदोन्नति के रास्ते खुल गए हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव दीपक गोस्वामी का कहना है कि गत 18 नवंबर को हुई बैठक में यह तय हो गया है कि 2005 से 2008 के बीच योग्यता बढ़ाने वाले जेबीटी अध्यापकों को अब अनुमति प्रमाण पत्र नहीं दिखाना होगा और उन्हें पदोन्नति मिल जाएगी। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी साधुराम रोहिला ने कहा कि फिलहाल इस बारे कोई पत्र या निर्देश नहीं मिले हैं। बैठक दो दिन पहले हुई है और दो दिन सरकारी अवकाश होने के कारण कोई सूचना नहीं मिली है। सोमवार को ही इस बारे में कुछ कहा जा सकेगा
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