सोनीपत त्न पात्र अध्यापक संघ, सोनीपत द्वारा 15 जनवरी को झज्जर में शिक्षा मंत्री का घेराव किया जाएगा। यह निर्णय रविवार को सम्पन्न हुई संघ की बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान अजीत कुहाड़ ने की।
बैठक में कुहाड़ ने आरोप लगाया कि सरकार लगातार न्यायालय की अवमानना कर रही है। जो बीएड डिग्रियां धारक जेबीटी की पात्रता के लिए करोड़ों रुपए सरकार को दे चुके हैं, पात्रता पास कर चुके हैं। अब उनके सर्टिफिकेट मात्र कागज बन गए हैं, चूंकि इनकी समय सीमा एक जनवरी थी और सरकार ने अध्यापक भर्ती के फार्म नहीं निकाले। प्रदेश सचिव राजीव वशिष्ट ने कहा कि सरकार ने छाह माह पहले सामाजिक अध्ययन अध्यापक भर्ती के लिए साक्षात्कार लिए थे, लेकिन उसकी चयन सूची अभी तक जारी नहीं की है। सरकार अतिथि अध्यापकों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा कर रही है। उन्होंने अध्यापकों की भर्ती करने की मांग की है। इस अवसर पर नरेंद्र, विजय, राजकुमार, सीमा पाराशर, नरेश छिक्कारा, नीलम, सुमन, वरूण मौजूद थे।
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बैठक में कुहाड़ ने आरोप लगाया कि सरकार लगातार न्यायालय की अवमानना कर रही है। जो बीएड डिग्रियां धारक जेबीटी की पात्रता के लिए करोड़ों रुपए सरकार को दे चुके हैं, पात्रता पास कर चुके हैं। अब उनके सर्टिफिकेट मात्र कागज बन गए हैं, चूंकि इनकी समय सीमा एक जनवरी थी और सरकार ने अध्यापक भर्ती के फार्म नहीं निकाले। प्रदेश सचिव राजीव वशिष्ट ने कहा कि सरकार ने छाह माह पहले सामाजिक अध्ययन अध्यापक भर्ती के लिए साक्षात्कार लिए थे, लेकिन उसकी चयन सूची अभी तक जारी नहीं की है। सरकार अतिथि अध्यापकों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा कर रही है। उन्होंने अध्यापकों की भर्ती करने की मांग की है। इस अवसर पर नरेंद्र, विजय, राजकुमार, सीमा पाराशर, नरेश छिक्कारा, नीलम, सुमन, वरूण मौजूद थे।
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एमबीए व एमसीए छात्रों के लिए न्यू ईयर में गुड न्यूज
कुरुक्षेत्र. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (निट) से एमबीए व एमसीए करने के इच्छुक देशभर के मेधावी विद्यार्थियों को अब मोटी फीस नहीं चुकानी पड़ेगी। क्योंकि निट प्रशासन ने नए सत्र के दोनों कोर्सो को सेल्फ फाइनेंस के साथ-साथ बजटिड में भी शुरू करने का फैसला लिया है।
जिससे एमबीए और एमसीए का भविष्य भी सुधरेगा और महंगी फीस न जुटा पाने वाले देशभर के विद्यार्थियों को भी लाभ मिलेगा। इतना ही नहीं एमबीए व एमसीए दोनों ही कोर्सो के लिए इस फैसले के बाद अब नियमित शिक्षक भी उपलब्ध होंगे।
दोनों ही कोर्सो में पढ़ने वाले विद्यार्थी पिछले काफी समय से रेगुलर शिक्षकों की भर्ती की मांग कर रहे थे। लेकिन दोनों कोस सेल्फ फाइनेंस में होने के कारण नियमित शिक्षक भर्ती की मांग पूरी नहीं हो रही थी।
निट में एमबीए की दो सालों की पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को दो लाख रुपए सेल्फ फाइनेंस की फीस के रूप में जमा करवाने पड़ते थे। इतना ही नहीं एमबीए विभाग के लिए एक भी रेगुलर शिक्षक उपलब्ध नहीं था। प्रत्येक सेमेस्टर के बाद शिक्षकों का दोबारा इंटरव्यू होता था और शिक्षकों को यह भी नहीं पता होता था कि अगले सेमेस्टर में वे रहेंगे या नहीं।
रेगुलर शिक्षकों के अभाव में विद्यार्थियों की प्लेसमेंट के भी विशेष प्रयास नहीं हुए और शत-प्रतिशत प्लेसमेंट देने वाले निट के एमबीए विद्यार्थियों को जॉब के लिए भटकना पड़ा। विद्यार्थियों ने नियमित शिक्षकों की मांग को लेकर लगातार आठ दिनों तक कैंपस में हड़ताल भी की थी। नए निदेशक ने आने के छह महीने बाद ही समस्या का हल निकालकर विद्यार्थियों को राहत दी है।
हर साल 70 हजार का लाभ
निट के डीन एकेडमिक अफेयर प्रो. एके गुप्ता ने बताया कि अब एमबीए व एमसीए में दाखिला लेने के लिए 30 हजार रुपए के करीब देने होंगे। जबकि इस समय एमबीए के एक साल के कोर्स की फीस एक लाख रुपए है। दो सालों की पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को दो लाख रुपए जमा करवाने पड़ते थे। अब हर साल छात्रों के 70 हजार रुपए बचेंगे।
प्रो. गुप्ता ने बताया कि अब बजटिड स्कीम में सीटों को बढ़ाने या इन्हीं ९क् सीटों में रेगुलर सीटें एडजस्ट करने का फैसला एमएचआरडी की स्वीकृति के बाद लिया जाएगा। निट में अभी दोनों कोर्सो के लिए 90-90 सीटें उपलब्ध हैं।
पूरा प्रपोजल तैयार
निट के निदेशक प्रो. आनंद मोहन ने बताया कि एमबीए व एमसीए को बजटिड स्कीम में सेल्फ फाइनेंस के साथ चलाने का पूरा प्रपोजल तैयार किया जा चुका है। दोनों कोर्स की परफार्मेंस सेल्फ फाइनेंस के कारण बेहतर नहीं हो पाई थी। सेल्फ फाइनेंस कोर्स को भी साथ में चलाने का उद्देश्य यह है कि कम स्कोर करने वाले विद्यार्थियों को भी दाखिला मिल पाए साथ ही मेधावी को ज्यादा पैसे नहीं खर्च करने पड़ेंगे।
जिससे एमबीए और एमसीए का भविष्य भी सुधरेगा और महंगी फीस न जुटा पाने वाले देशभर के विद्यार्थियों को भी लाभ मिलेगा। इतना ही नहीं एमबीए व एमसीए दोनों ही कोर्सो के लिए इस फैसले के बाद अब नियमित शिक्षक भी उपलब्ध होंगे।
दोनों ही कोर्सो में पढ़ने वाले विद्यार्थी पिछले काफी समय से रेगुलर शिक्षकों की भर्ती की मांग कर रहे थे। लेकिन दोनों कोस सेल्फ फाइनेंस में होने के कारण नियमित शिक्षक भर्ती की मांग पूरी नहीं हो रही थी।
निट में एमबीए की दो सालों की पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को दो लाख रुपए सेल्फ फाइनेंस की फीस के रूप में जमा करवाने पड़ते थे। इतना ही नहीं एमबीए विभाग के लिए एक भी रेगुलर शिक्षक उपलब्ध नहीं था। प्रत्येक सेमेस्टर के बाद शिक्षकों का दोबारा इंटरव्यू होता था और शिक्षकों को यह भी नहीं पता होता था कि अगले सेमेस्टर में वे रहेंगे या नहीं।
रेगुलर शिक्षकों के अभाव में विद्यार्थियों की प्लेसमेंट के भी विशेष प्रयास नहीं हुए और शत-प्रतिशत प्लेसमेंट देने वाले निट के एमबीए विद्यार्थियों को जॉब के लिए भटकना पड़ा। विद्यार्थियों ने नियमित शिक्षकों की मांग को लेकर लगातार आठ दिनों तक कैंपस में हड़ताल भी की थी। नए निदेशक ने आने के छह महीने बाद ही समस्या का हल निकालकर विद्यार्थियों को राहत दी है।
हर साल 70 हजार का लाभ
निट के डीन एकेडमिक अफेयर प्रो. एके गुप्ता ने बताया कि अब एमबीए व एमसीए में दाखिला लेने के लिए 30 हजार रुपए के करीब देने होंगे। जबकि इस समय एमबीए के एक साल के कोर्स की फीस एक लाख रुपए है। दो सालों की पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को दो लाख रुपए जमा करवाने पड़ते थे। अब हर साल छात्रों के 70 हजार रुपए बचेंगे।
प्रो. गुप्ता ने बताया कि अब बजटिड स्कीम में सीटों को बढ़ाने या इन्हीं ९क् सीटों में रेगुलर सीटें एडजस्ट करने का फैसला एमएचआरडी की स्वीकृति के बाद लिया जाएगा। निट में अभी दोनों कोर्सो के लिए 90-90 सीटें उपलब्ध हैं।
पूरा प्रपोजल तैयार
निट के निदेशक प्रो. आनंद मोहन ने बताया कि एमबीए व एमसीए को बजटिड स्कीम में सेल्फ फाइनेंस के साथ चलाने का पूरा प्रपोजल तैयार किया जा चुका है। दोनों कोर्स की परफार्मेंस सेल्फ फाइनेंस के कारण बेहतर नहीं हो पाई थी। सेल्फ फाइनेंस कोर्स को भी साथ में चलाने का उद्देश्य यह है कि कम स्कोर करने वाले विद्यार्थियों को भी दाखिला मिल पाए साथ ही मेधावी को ज्यादा पैसे नहीं खर्च करने पड़ेंगे।
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