रेवाड़ी : शिक्षा विभाग के अहम निर्णय के अनुसार रेवाड़ी जिले के 18 प्राथमिक स्कूल बंद किए जाएंगे। शिक्षा निदेशालय ने यह फैसला इन स्कूलों में छात्र संख्या 25 से कम रह जाने के कारण लिया है। निदेशालय ने ऐसे स्कूलों को तुरत प्रभाव से बंद करने के आदेश दे दिए है।
निर्णय लागू होने के बाद अब इन स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को निकट के दूसरे प्राथमिक सरकारी स्कूलों में भेजा जाएगा। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के आदेशों के बाद जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने भी इन स्कूलों को बंद करने की कवायद शुरू कर दी है।
जिन स्कूलों को छात्र संख्या की कमी के चलते बंद करने के आदेश दिए गए है, उनमें सबसे अधिक 10 रेवाड़ी विकास खंड में है, जबकि सबसे कम 1 स्कूल नाहड़ विकास खंड में है। बावल विकास खंड में 2, खोल विकास खंड में 3 व जाटूसाना विकास खंड में 2 प्राइमरी
स्कूलों को बंद किया जाएगा। शिक्षा निदेशालय द्वारा कम छात्र संख्या वाले जिले के इन 18 स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में विलय कर दिया जाएगा। शिक्षा निदेशालय के यह आदेश तुरत प्रभाव से लागू भी कर दिए गए हैं। इन स्कूलों के अध्यापकों को भी अन्य स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। शिक्षा निदेशालय के इस निर्णय ने छात्र संख्या को लेकर शिक्षा विभाग की खामियों को भी उजागर कर दिया है। जाहिर है कि अभिभावकों का प्राइमरी पाठशालाओं से मोहभंग हो रहा है। निजी स्कूलों में जहा छात्र संख्या बढ़ रही है, वहीं प्राइमरी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए गुरुजनों के प्रयास भी सिरे नहीं चढ़ रहे है।
गत वर्ष मई में शिक्षा निदेशालय में प्रदेश भर से ऐसे स्कूलों की सूची मांगी गई थी, जिनमें छात्र संख्या 25 से कम है। दैनिक जागरण ने उसी समय छात्र संख्या के आधार पर कुछ स्कूलों के बंद होने की बात प्रकाशित की थी। निदेशालय का तर्क था कि जिन स्कूलों में छात्र संख्या मात्र 10-15 रह गई है, वहा भला किस आधार पर दो-दो अध्यापक भेजे जा सकते है। ऐसे स्कूलों के छात्रों को दूसरी जगह भेजने पर न केवल अध्यापकों की कमी दूर हो जाएगी, बल्कि दूसरे स्कूलों की छात्र संख्या भी सम्मानजनक स्थिति में पहुच जाएगी।
जिले में वर्तमान में कुल 444 प्राथमिक पाठशालाएं है, लेकिन नये आदेश के बाद यह संख्या घट गई है। कुछ को छोड़कर अधिकाश प्राइमरी स्कूलों की हालत दयनीय है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत कमरे आदि की कमी तो दूर हुई है, लेकिन प्रतिस्पर्धा के बीच निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी पाठशालाएं कहीं नहीं ठहर पा रही हैं। सरकारी पाठशालाएं अब केवल बेबस व लाचार बच्चों के अलावा उन बच्चों के लिए रह गई हैं, जिन्हे सरकार से मिलने वाले वजीफे का मोह है।
-किस विकास खंड में बंद होंगे कितने स्कूल
खंड स्कूल
बावल:
1 राप्रावि आराम नगर
2 राप्रावि प्रागपुरा
खोल:
1 राप्रावि बगडवा
2 राप्रावि माहखरिया
3 राप्रावि मामडिया अहीर(ब्वायज)
जाटूसाना:
1 राप्रावि रसूली
2 राप्रावि मस्तापुर
नाहड़:
1 राप्रावि भूरथला
रेवाड़ी:
1 राप्रावि अकबपुर
2 राप्रावि खरसाणकी,
3 राप्रावि प्रहलादपुरा
4 राप्रावि लाखनौर
5 राप्रावि राजपुरा खालसा
6 राप्रावि जाटी
7 राप्रावि धनौरा
8 राप्रावि भूरथल ठेठर
9 राप्रावि रसगण
10 राप्रावि बंजारवाड़ा
निर्णय लागू होने के बाद अब इन स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को निकट के दूसरे प्राथमिक सरकारी स्कूलों में भेजा जाएगा। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के आदेशों के बाद जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने भी इन स्कूलों को बंद करने की कवायद शुरू कर दी है।
जिन स्कूलों को छात्र संख्या की कमी के चलते बंद करने के आदेश दिए गए है, उनमें सबसे अधिक 10 रेवाड़ी विकास खंड में है, जबकि सबसे कम 1 स्कूल नाहड़ विकास खंड में है। बावल विकास खंड में 2, खोल विकास खंड में 3 व जाटूसाना विकास खंड में 2 प्राइमरी
स्कूलों को बंद किया जाएगा। शिक्षा निदेशालय द्वारा कम छात्र संख्या वाले जिले के इन 18 स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में विलय कर दिया जाएगा। शिक्षा निदेशालय के यह आदेश तुरत प्रभाव से लागू भी कर दिए गए हैं। इन स्कूलों के अध्यापकों को भी अन्य स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। शिक्षा निदेशालय के इस निर्णय ने छात्र संख्या को लेकर शिक्षा विभाग की खामियों को भी उजागर कर दिया है। जाहिर है कि अभिभावकों का प्राइमरी पाठशालाओं से मोहभंग हो रहा है। निजी स्कूलों में जहा छात्र संख्या बढ़ रही है, वहीं प्राइमरी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए गुरुजनों के प्रयास भी सिरे नहीं चढ़ रहे है।
गत वर्ष मई में शिक्षा निदेशालय में प्रदेश भर से ऐसे स्कूलों की सूची मांगी गई थी, जिनमें छात्र संख्या 25 से कम है। दैनिक जागरण ने उसी समय छात्र संख्या के आधार पर कुछ स्कूलों के बंद होने की बात प्रकाशित की थी। निदेशालय का तर्क था कि जिन स्कूलों में छात्र संख्या मात्र 10-15 रह गई है, वहा भला किस आधार पर दो-दो अध्यापक भेजे जा सकते है। ऐसे स्कूलों के छात्रों को दूसरी जगह भेजने पर न केवल अध्यापकों की कमी दूर हो जाएगी, बल्कि दूसरे स्कूलों की छात्र संख्या भी सम्मानजनक स्थिति में पहुच जाएगी।
जिले में वर्तमान में कुल 444 प्राथमिक पाठशालाएं है, लेकिन नये आदेश के बाद यह संख्या घट गई है। कुछ को छोड़कर अधिकाश प्राइमरी स्कूलों की हालत दयनीय है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत कमरे आदि की कमी तो दूर हुई है, लेकिन प्रतिस्पर्धा के बीच निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी पाठशालाएं कहीं नहीं ठहर पा रही हैं। सरकारी पाठशालाएं अब केवल बेबस व लाचार बच्चों के अलावा उन बच्चों के लिए रह गई हैं, जिन्हे सरकार से मिलने वाले वजीफे का मोह है।
-किस विकास खंड में बंद होंगे कितने स्कूल
खंड स्कूल
बावल:
1 राप्रावि आराम नगर
2 राप्रावि प्रागपुरा
खोल:
1 राप्रावि बगडवा
2 राप्रावि माहखरिया
3 राप्रावि मामडिया अहीर(ब्वायज)
जाटूसाना:
1 राप्रावि रसूली
2 राप्रावि मस्तापुर
नाहड़:
1 राप्रावि भूरथला
रेवाड़ी:
1 राप्रावि अकबपुर
2 राप्रावि खरसाणकी,
3 राप्रावि प्रहलादपुरा
4 राप्रावि लाखनौर
5 राप्रावि राजपुरा खालसा
6 राप्रावि जाटी
7 राप्रावि धनौरा
8 राप्रावि भूरथल ठेठर
9 राप्रावि रसगण
10 राप्रावि बंजारवाड़ा
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