पीजीटी भर्ती में शर्तों से बढ़ी ग्रामीण युवाओं की मुसीबतें !+++पात्र अध्यापकों ने दिया अल्टीमेटम

चंडीगढ़, 10 जून। हरियाणा में राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा खोली गई शिक्षकों की भर्ती इसकी प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही विवादों में आ गई है। भर्ती को लेकर लगाई गई नई शर्तें मुसीबत बनती दिख रही हैं। इतना ही नहीं, कहा तो यहां तक जा रहा है कि अगर ये शर्तें इसी तरह से लागू रही तो इस भर्ती प्रक्रिया से आधे के करीब उम्मीदवार तो वैसे ही दौड़ से बाहर हो जाएंगे। लम्बे इंतजार के बाद भी जब भर्ती का पिटारा खुला तो, उसने बड़ी संख्या में युवाओं को जहां खुश किया है, वहीं इससे नाखुश होने वालों की भी कमी नहीं है।
खुल जा सिम-सिम, खुल जा सिम-सिम की तर्ज पर जब सिम खुली तो सब हक्के-बक्के रह गए। मतलब ये कि हुड्डा कार्यकाल-। में यह सुना था कि टीचरों की भर्ती होगी पर यह कार्यकाल चला गया ङ्क्षकतु टीचर भर्ती नहीं हो पाई। हां, गेस्ट टीचर के रूप में नया विकल्प जरूर नजर आया। हुड्डा कार्यकाल-2 में भी यही उम्मीद रही और इस बीच शिक्षा अधिकार कानूून ही लागू भी हो गया परंतु शिक्षक भर्ती का ढोल ही नहीं बजा बल्कि कभी गेस्ट टीचर लड़ते दिखाई दिए कभी पात्र अध्यापक तो कभी सरकारी शिक्षकों की पुकार नजर आई परन्तु टीचर भर्ती हिचकोले ही लेती रही।
मामला कोर्ट में चलता रहा और सरकार बार-बार समय लेती रही। आखिरकार टीचर भर्ती बोर्ड का गठन हुआ। आंदोलन चलते रहे और आखिरकार लेक्चरर का पदनाम बदलकर पीजीटी कर प्रदेश के स्कूली इतिहास में सबसे बड़ी भर्ती का ढोल पीटा गया मगर इस ढोल ने जहां अधिक शोर किया वहीं एक नया विवाद भी खड़ा कर दिया है। सबसे पहले यूं खुली गई टीचर भर्ती के लिए जहां अनुभव का जिक्र है। एचटीईटी/एसटीईटी का जिक्र है लेकिन केंद्र द्वारा लिए जाने वाले सीटीईटी का कहीं भी जिक्र नहीं है।
इतना भी चल जाता परंतु पहली बार पीजीटी पदनाम बनाकर बीएड की शर्त लगाई गई है जबकि पूर्व में कभी भी ऐसा नहीं रहा। यहां तक भी चलता परंतु पता नहीं टीचर भर्ती के मन में क्या आया कि ‘गुड एकेडमिक रिकार्डÓ के नाम पर तीन लोअर परीक्षा में से दो में 50 फीसदी अंक व एक में 45 फीसदी अंक की शर्त भी लगा दी। बताते हैं कि इस शर्त से लगभग चालीस से पचास फीसदी ग्रामीण बेरोजगार शिक्षक, इतने ही गेस्ट टीचर, 40-50 फीसदी बीसी उम्मीदवार तथा करीब-करीब इतना ही एससी उम्मीदवार बिना कुछ किए ही दौड़ से बाहर हो सकते हैं।
यहां यह भी बता देना जरूरी है कि एससी आदि वर्ग को 5 फीसदी की छूट देने के बाद भी उनकी आशाओं पर पानी फिर गया। कारण चालीस फीसदी पात्र अध्यापक भी इससे बाहर हो गए। ऐसे में बात यहां तक उठ रही है कि शायद, विभाग ने इसमें कोई भूल की है, या जान-बूझकर इस तरह की अड़चनें पैदा की की गई हैं।  जानकारों का कहना है कि अगर इन सभी शर्तों को पूरा किया जाता है तो ग्रामीण इलाकों के अलावा बड़ी संख्या में आरक्षित वर्गों के युवाओं को इससे नुकसान होगा। खास बात यह है कि ऊपरी परीक्षाओं को तवज्जो देने का कहीं जिक्र ही नहीं किया गया। मसलन बीएड, एमएड, एमफिल, पीएचडी व एलएलएम आदि। यह भी मुद्दा उठ रहा है कि क्या तीन लोअर एग्जाम में कम अंक लेने वाले पढ़ाने योग्य नहीं है या फिर उच्च अंक प्राप्त करने वालों को प्रमाणित माना जा सकता है। हैरत की बात तो यह है कि कालेज/विवि. में सहायक प्रोफेसर बनने के लिये भी  इतना कड़ा गुड एकेडमिक रिकार्ड नहीं है। वहां पर दसवीं, जमा दो और स्नातक स्तर पर 50 फीसदी के साथ दो सैंकेड क्लास चाहिए और स्नातकोत्तर में प्रथम श्रेणी वालों पर यह शर्त भी लागू नहीं होती। दसवीं, बारहवीं और ग्रेजुएशन में सिर्फ अंकों के आधार पर तो कुछ भी कहना संभव नहीं है।
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पात्र अध्यापकों ने दिया अल्टीमेटम

रोहतक, 10 जून (हप्र)। पात्र अध्यापक संघ ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगें पूरी नहीं कि तो 17 जून से मुख्यमंत्री निवास
के सामने आमरण अनशन शुरू किया जाएगा। संघ के  प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि सरकार क ो पात्रता परीक्षा को छोड़कर कोई भी शर्त नहीं थोपनी चाहिए। पात्र अध्यापक संघ ने मानसरोवर पार्क  में बैठक का आयोजन किया। जिसकी अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने की। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के नए शिक्षक भर्ती नियमों में गुड एके डमिक रिकार्ड के अनुसार 10वीं, 12वीं और बीए में से किसी दो में तो 50 प्रतिशत अंक व किसी एक में 45 प्रतिशत अंक का होना सभी के लिए जरूरी है जो पात्र परीक्षा अध्यापकों के साथ अन्याय है, क्योंकि सन 1998 से पहले बीए, बीएससी, बीकाम करने वाले अभ्यर्थी बड़ी मुश्किल से ही पास होते थे। उन सभी उम्मीदवारों के लिए अंंक प्रतिशत की कोई भी शर्त नहीं होनी चाहिए।
इसके लिए पात्र अध्यापक संघ शीघ्र ही बातचीत करके इस समस्या का समाधान किया जाएगा। अगर सरकार ने उनकी मांगें पूरी नहीं कि तो 17 जून से मुख्यमंत्री निवास के सामने आमरण अनशन शुरू किया जाएगा।
महिला विंग की प्रदेशाध्यक्ष अर्चना सुहासिनी ने कहा कि सरकार क ो पात्रता परीक्षा को छोड़कर कोई भी शर्त नहीं थोपनी चाहिए। सरकार तुरंत प्रभाव से इन शत्र्तों को खत्म करे। इस मौके पर जितेंद्र दलाल, संदीप कुमार, देवराज, जसमीत कौर, रेखा रानी, राजबीर, बिरेंद्र दलाल, सरिता, सुुमन यादव, पूनम रानी, सुखबीर, सुभाष, इंदु, शीतल कमलेश, दलबीर, नवीन, रूपेश सहित अनेक पात्र अध्यापक मौजूद रहे।
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