सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील परोसने से पहले शिक्षकों को खुद खाना चखना होगा

सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील परोसने से पहले शिक्षकों को खुद खाना चखना होगा। ऐसा बच्चों को बीमार पडऩे से बचाने के लिए किया गया है। केंद्र सरकार ने इस तरह के दिशा-निर्देश कई राज्यों को दिए हैं। हालांकि हरियाणा सरकार ने केंद्र और राज्य के बीच इस संबंध में हुई एक बैठक में बताया कि उनके प्रदेश में यह निर्देश पहले ही दे दिए गए हैं। कुछ स्कूलों में तो इसका पालन भी शुरू हो गया।

पीएबी बैठक में निर्देश दिए गए हैं कि एनजीओ से पका खाना प्राप्त करने से पहले अध्यापक जांच लें कि कंटेनर साफ-सुथरा है या नहीं। बच्चों को परोसने से पहले सुनिश्चित कर लें कि खाना अध्यापक ने चख लिया है।

उधर, शिक्षक चाहते हैं कि उनके सिर पर जिम्मेदारी न डाली जाए। हरियाणा में इवेल्यूएशन स्टडी के मुताबिक, अध्यापक चाहते हैं कि खाना पकाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से प्राइवेट एजेंसी को दे दिया जाए।

इसके अलावा केंद्र ने बच्चों को आयरन, विटामिन ए आदि की खुराक समय पर देने के लिए स्पेशल मॉनिटरिंग का इंतजाम करने को कहा गया है। राज्यों की मॉनिटरिंग बैठक के दौरान पत चला है कि कई स्कूलों में बच्चों को पोषक तत्व की भरपाई के लिए जरूरी टैबलेट नहीं मिल रहे हैं।

भिवानी में महज 50 फीसदी स्कूल को आयरन और फोलिक एसिड टैबलेट दी गई। विटामिन ए की खुराक महज 15 स्कूलों में दी गई। कुरुक्षेत्र में 85 फीसदी स्कूलों में आयरन टैबलेट और 50 फीसदी स्कूलों में फोलिक एसिड टैबलेट दी गई। हिसार के 47.5 फीसदी स्कूलों में ही आयरन टैबलेट दी गई। जबकि फोलिक एसिड टेबलेट 17.5 फीसदी स्कूलों में दी गई। सोनीपत के
67.5 फीसदी स्कूलों में आयरन, फोलिक एसिड टैबलेट दी गई

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